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Model Village in Bareilly: पिता की सीख और सांसद के सहयोग से बनवाई विकास की ‘सड़क’

Model Village in Bareilly बरेली के सांसद एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री संतोष गंगवार ने बताया कि भरतौल गांव में जो जिला मुख्यालयों की तरह सुविधाएं हैं। इसे आदर्श बनाने में प्रधान प्रवेश और पति रीतराम की कड़ी मेहनत छिपी है।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Updated: Thu, 30 Jun 2022 04:52 PM (IST)
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Model Village in Bareilly: पंचायत भवन दूर से देखने आते हैं लोग
नीलेश प्रताप सिंह, बरेली: प्रवेश ने पिता प्यारेलाल को तीरथपुर गांव की प्रधानी करते देखा था। 15 वर्ष तक दरवाजे पर ग्रामीणों की भीड़, हर किसी की अपेक्षा को बड़े करीब से महसूस किया। भरतौल गांव में ब्याहकर गईं तो वर्ष 2005 में पति रीतराम प्रधान बन गए। पिता की चौखट पर मिली सीख को प्रवेश ने सेवा का माध्यम बना लिया। पहले पति के साथ, इसके बाद वर्ष 2010 से अब तक वह भरतौल को घर के आंगन की तरह सजा रही हैं। इस गांव को पिछले वर्ष मुख्यमंत्री प्रोत्साहन पुरस्कार और इस वर्ष केंद्र सरकार की ओर से पंडित दीनदयाल उपाध्याय पंचायत सशक्तीकरण पुरस्कार मिल चुका है।

पांचवीं पास प्रवेश ने सबसे पहले दो सरकारी स्कूलों को सौंदर्यीकरण कराया। शहर को जोड़ने वाला मार्ग कच्चा पड़ा था, क्योंकि सैन्य क्षेत्र से सटा गांव होने के कारण सेना की अनुमति नहीं मिल रही थी। प्रवेश ने सांसद संतोष गंगवार से सहयोग लेकर सड़क बनवाई, इसके बाद विकास की गाड़ी दौड़ने लगी। गांव की 275 गलियां पक्के रास्तों में बदल चुकी हैं। हर घर में शौचालय और पंचायत भवन के पास दो सामुदायिक शौचालय बनाए गए हैं। स्वच्छता का संदेश देने के लिए परिवार समेत झाड़ू लेकर गांव में निकलीं तो ग्रामीणों ने भी साथ देना शुरू कर दिया। सफाईकर्मी नियमित आते हैं मगर, अधिकतर ग्रामीण अपने दरवाजे के आसपास खुद सफाई करते हैं। सुरक्षा के लिए गांव के हर चौराहा पर कैमरे लगवाए गए हैं।

पंचायत भवन दूर से देखने आते हैं लोग: गांव में 65 लाख रुपये से बने पंचायत भवन में सात एसी लगे हैं। कंप्यूटर सेंटर, सभागार, पुस्तकालय और चारों ओर हरियाली इसकी खूबसूरती बढ़ाती है। प्रवेश कहती हैं कि सरकारी रुपयों का सही उपयोग कर लिया जाए तो बजट की कहीं कमी नहीं है। ग्रामीण परिवेश के आकर्षण के बीच प्राइवेट कंपनियों के लोग यहां बैठकें करने आते हैं, शादियां आयोजित होती हैं। इनसे मिलने वाले शुल्क से रखरखाव हो जाता है।

मोटर साइकिल से पति संग कार्यालयों की दौड़ लगाती प्रधान: ग्रामीण रामेश्वर दयाल कहते हैं कि यदि एक घंटा भी बिजली की अघोषित कटौती हो जाए तो प्रधान प्रवेश अपने पति रीतराम के साथ मोटर साइकिल पर बैठकर उपकेंद्र पहुंच जाती हैं। सावित्री बताती हैं कि सड़कें पक्की कराने के लिए प्रधान से एक बार भी आग्रह नहीं करना पड़ा। प्रधान गांव को आंगन की तरह सजा रही हैं। धर्मपाल कहते हैं कि शैक्षिक सत्र के समय प्रधान खुद घर-घर जाकर बच्चों को स्कूल भेजने के लिए प्रेरित करती हैं।

विकास के लिए विरोधी भी बनते हमसफर: पूर्व प्रधान सोनू कहते हैं कि राजनीति अलग बात है। विकास कार्यों में प्रधान का पूरा सहयोग करते हैं। वह भी समय-समय पर सुझाव लेने के लिए बुलाती हैं।

आय के रास्ते बनाए: प्रधान प्रवेश कहती हैं कि बुनियादी सुविधाएं पूरी चुकी हैं। गांव में बैंक शाखा भी खुल गई। अब महिलाओं के स्वरोजगार पर ध्यान दे रहे हैं। 11 समूहों में 120 महिलाएं कुटीर उद्योग संचालित कर रहीं, इनकी संख्या बढ़ाने का प्रयास है। ग्रामीणों से बात की है। सभी की सहमति है कि दुकानों, चक्की, टेंट हाउस, फेरी, डेरी आदि व्यावसायिक प्रतिष्ठानों से कर वसूली की जाए।

बरेली (उत्तर प्रदेश) के भरतौल गांव की प्रधान प्रवेश ने बताया कि मैंने सिर्फ सरकारी संसाधनों का सही उपयोग करने का प्रयास किया है। गांव को राष्ट्रीय स्तर पहुंचाने का श्रेय ग्रामीणों को है, जिन्होंने हर कार्य में अपनी भूमिका निभाई। एक प्रधान या सरकारी व्यवस्था किसी स्थान को सर्वोच्च पर नहीं ले जाती। सभी ग्रामीण भरतौल परिवार के सदस्य हैं, सब मिलकर गांव को चमका रहे।

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