सार्वजनिक बैंकों ने किसानों को फसली ऋण देने में खोला खजाना, निजी बैंक ऋण देने में कतरा रहो, जानिये वजह
Crop Loan to Farmer किसानों को फसल उगाने के लिए सेठ-साहूकारों के घर चक्कर ना काटना पड़े इसके लिए सरकार ने फसली ऋण की व्यवस्था कर रखी है लेकिन जिले की निजी क्षेत्र की बैंक किसानों को कर्ज देने में रुचि नहीं दिखा रही हैं।
By Samanvay PandeyEdited By: Updated: Mon, 13 Dec 2021 08:35 AM (IST)
बरेली, जेएनएन। Crop Loan to Farmer : किसानों को फसल उगाने के लिए सेठ-साहूकारों के घर चक्कर ना काटना पड़े, इसके लिए सरकार ने फसली ऋण की व्यवस्था कर रखी है, लेकिन जिले की निजी क्षेत्र की बैंक किसानों को कर्ज देने में रुचि नहीं दिखा रही हैं। सहकारी बैंकों की स्थिति भी बहुत अच्छी नहीं थी, जबकि सार्वजनिक क्षेत्र की बैंकों ने किसानों को कर्ज देने में अपना खजाना खोल दिया। ऐसे में सार्वजनिक क्षेत्रों की बैंकों ने एहसास कराया कि वे ना सिर्फ देश के किसानों का साथ देने के लिए दृढ़ हैं बल्कि सरकारी योजनाओं में भी महत्वपूर्ण भूमिका अदा करेंगे।
प्रदेश और केंद्र सरकार ने ऋण माफी, फसली ऋण योजना, फसल बीमा योजना समेत किसानों की हितकारी तमाम योजनाएं शुरू कर रखी हैं। इनमें तमाम योजनाएं ऐसी हैं, जो सीधे बैंकों से संबंधित हैं। इसलिए इन तमाम योजनाओं का लाभ किसानों को तभी मिल सकेगा, जब बैंक इनमें रुचि दिखाएगीं। वित्त वर्ष 2021-22 की पहली तिमाही यानी कि मार्च, अप्रैल और जून कोरोना की दूसरी लहर आने की वजह से निकल गई। इसके बाद दूसरी तिमाही में बैंकों ने सही काम किया।
इसमें सार्वजनिक क्षेत्रों की बैंकों को दो लाख 31 हजार 478 लोगों को फसली ऋण देने का लक्ष्य दिया गया था, जिसमें 72 हजार 397 लोगों को केसीसी या फसली ऋण दिया गया। वहीं, निजी क्षेत्र की बैंकों को 52046 लोगों को फसली ऋण देने का लक्ष्य दिया गया था, जिसमें महज 1958 लोगों को ही ऋण दिया गया, जबकि सहकारी बैंकों को 36 हजार 799 लोगों को फसली ऋण देने का लक्ष्य दिया गया था, लेकिन उसमें से 26 हजार 834 लोगों को कर्ज दिया गया। सभी बैंकों का देखा जाए तो तीन लाख 90 हजार 584 किसानों को कर्ज देने का लक्ष्य था, जिसमें एक लाख 22 हजार 379 किसानों को कर्ज दिया गया।
इसीलिए जरूरी हैं सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकः ट्रेड यूनियन फेडरेशन के महामंत्री संजीव मेहरोत्रा ने कहा कि फसली ऋण से देख लेना चाहिए कि देश के लिए सार्वजनिक क्षेंत्रों के बैंक क्यों जरूरी हैं। यही वजह है कि सार्वजनिक क्षेत्र की बैंकों के निजीकरण के विरोध में बैंकों के कर्मचारी और अधिकारी लगातार विरोध कर रहे हैं। ऐसे में किसानों को बैंक कर्मियों का समर्थन करना चाहिए। अग्रणी शाखा प्रबंधक एमएम प्रसाद ने बताया कि निजी क्षेत्र की बैंकों को भी फसली ऋण देने के लिए लगातार कहा जाता है, लेकिन निजी क्षेत्र की अधिकांश बैँक इसमें रुचि नहीं लेती हैं। इससे सरकार से मिलने वाले लक्ष्य को पूरा कराने में दिक्कत होती है।
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