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तीन तलाक का दर्द बताते-बताते थम गई रजिया की सांसें

जुल्म के खिलाफ हक के लिए लड़ रही तीन तलाक पीड़िताओं में से सोमवार को एक ने दम तोड़ दिया।

By JagranEdited By: Updated: Tue, 10 Jul 2018 09:24 AM (IST)
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तीन तलाक का दर्द बताते-बताते थम गई रजिया की सांसें

जागरण संवाददाता, बरेली : जुल्म के खिलाफ हक के लिए लड़ रही तीन तलाक पीड़िताओं में से सोमवार को एक ने दम तोड़ दिया। रजिया नाम की इस महिला को शौहर ने न सिर्फ तलाक दी, बल्कि कैद में रखकर बेपनाह जुल्म ढहाए। मारपीट के अलावा तमाम यातनाएं दीं, जिससे वह सूखकर हड्डियों का ढांचा रह गई थी। जिला अस्पताल में मौत से संघर्ष कर रही थी। उसकी हालत का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि अस्पताल प्रशासन ने उसे बमुश्किल तमाम अनुरोध के बाद भर्ती किया था। दोपहर इलाज के लिए लखनऊ ले जाते वक्त उनकी मौत हो गई।

रूह कपा देने वाले जुल्म

स्वालेनगर में रहने वाली रजिया की शादी करीब 13 साल पहले 2005 में किला कटघर के नईम से हुई थी। उनकी बहन तारा का आरोप है कि शादी के बाद से ही नईम दहेज के लिए रजिया को तंग करने लगा। इसी साल फरवरी मार्च में उसके साथ मारपीट की गई।

रजिया की जुबानी, खाना नहीं था क्या खाती

दो जुलाई को रजिया जिला अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड में छह नंबर बेड पर भर्ती थीं। रजिया तबीयत के बारे में पूछते ही सुबकने लगी। कहती थीं कि मुझे न तो खाना मिला और न ही इंसाफ। एक आवाज और उनके हल्क से बाहर आती थी, मैं अपने बेटे के लिए जीना चाहती हूं। जुल्म की दास्तां सुनाते हुए कहा कि मेरे शौहर ने मुझे तलाक दिया। फिर घर में कैद कर दिया। खाने को दाना नहीं था। मेरा छह साल का बेटा अनस रोता था। उसकी भूख मुझसे बर्दाश्त नहीं होती। मैं घर वालों के सामने गिड़गिड़ा कर बेटे के लिए खाना मांगती थी। बेटे की परवरिश में टूटकर रोई

मेरा हक फाउंडेशन की अध्यक्ष फरहत नकवी बतातीं हैं कि दो दिन पहले रजिया ने कहा कि मेरे बेटे अनस को पाल लेना। वो बेटे को याद कर बहुत रोती थीं। फरहत कहती हैं कि रजिया के साथ पुलिस और अस्पताल के एक कर्मचारी ने नाइंसाफी की है। मैं उनके इंसाफ के लिए लडूंगी। पुलिस-प्रशासन ने की अनदेखी

एक तलाकशुदा औरत को घर में कैद रखकर जुल्म ढहाया गया। रजिया की बहन ने मुख्यमंत्री पोर्टल, डीएम, किला थाने हर जगह फरियाद लगाई। लिखित शिकायतें कीं। किसी ने रजिया की अर्जी को पलटकर नहीं देखा। उनकी बहन तारा को इसी का मलाल है। कहती हैं कि पुलिस साथ देती तो आरोपियों को सजा मिलती।

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