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Sawan 2023: सावन आज से, भोलेनाथ के साथ बरसेगी श्रीहरि विष्णु की कृपा, आचार्य से समझें पूजा का विधि-विधान

Sawan 2023 शिव पूजा में गंगाजल के साथ महादेव को प्रिय लगने वाले शमी एवं बेल पत्र को जरूर चढ़ाएं। पत्र को हमेशा डंठल तोड़कर उलटा करके चढ़ाएं। सावन के महीने में भगवान शिव को दूध दही शहद आदि अर्पित करने के बाद जल अवश्य चढ़ाएं। ध्यान रहे कि भगवान शिव को तांबे के लोटे से जल तो चढ़ाना चाहिए लेकिन भूलकर भी उससे दूध नहीं चढ़ाना चाहिए।

By Jagran NewsEdited By: Abhishek SaxenaUpdated: Tue, 04 Jul 2023 06:57 AM (IST)
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Sawan 2023: श्रावण मास आज से, बरसेगी हरि के साथ हर की कृपा
बरेली, जागरण संवाददाता। सावन का महीना भोलेनाथ के प्रति अपार श्रद्धा और आस्था का प्रतीक माना जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार इस बार एक नहीं दो सावन होंगे। जिससे भोलेनाथ के भक्तों में अपार खुशी की लहर है। इस बार सावन में भोलेनाथ के साथ भगवान विष्णु का भी आशीर्वाद भक्तों को प्राप्त होगा। वही, सावन का पवित्र मास दुर्लभ संयोगों को संजोकर आ रहा है।

सावन के महीने में शिव की आराधना

आध्यात्मिक दृष्टि से सावन के महीने का अलग ही महत्व है। सावन के महीने में भगवान महादेव की पूजा-अर्चना की जाती है। जो भी भक्त सावन के सोमवार को पूरी श्रद्धा के साथ व्रत रखते हैं और महादेव की आराधना करते हैं शिव की कृपा उनपर बरसती है। उनकी सभी इच्छाएं पूरी हो जाती हैं। सावन का महीना भोलेनाथ की पूजा के लिए बहुत ही शुभ है। कृष्ण पक्ष प्रतिपदा तिथि से सावन का महीना शुरू हो जाता है। दो सावन होने के कारण भक्तों को शिव की आराधना के लिए इस बार पूरे 8 सोमवार मिलेंगे।

श्रीहरि विष्णु भी बरसाएंगे कृपा

इसके अलावा इस साल सावन में भोलेनाथ के साथ जगत के पालनहार श्री हरि विष्णु भी अपनी कृपा बरसाएंगे। दरअसल, इस साल सावन महीने की शुरुआत 4 जुलाई से हो रही है। यह महीना 31 अगस्त को समाप्त होगा। वहीं इस बार 18 जुलाई से 16 अगस्त तक अधिक मास रहने वाला है। धर्म शास्त्रों के अनुसार अधिक मास के स्वामी भगवान विष्णु हैं। ऐसे में इस बार सावन में शिव जी के साथ भगवान विष्णु की भी कृपा प्राप्त होगी।

ऐसे होता है अधिक मास

आचार्य मुकेश मिश्रा ने बताया कि वैदिन पंचांग की गणना सौर मास और चंद्रमास के आधार पर की जाती है। चंद्रमास 354 दिनों का होता है। और सौर मास 365 दिन का। ऐसे में 11 दिन का अंतर आता है और 3 साल के अंदर यह अंतर 33 दिन का हो जाता है। जिसे अधिकमास कहा जाता है। इसलिए इस बार सावन एक की बजाय दो महीना का होने वाला है। जो कि बेहद जी शुभ संयोग है।

पूजा पाठ का विधान और नियम

भगवान शिव के प्रिय सावन महीने में प्रतिदिन सूर्योदय से पहले उठने का प्रयास करें और प्रतिदिन नहाने के पानी में थोड़ा सा गंगाजल डालकर स्नान करें। सावन के महीने में भगवान शिव की पूजा प्रदोष काल में ही करने का प्रयास करें क्योंकि इस काल में पूजा करने पर देवों के देव महादेव शीघ्र ही प्रसन्न होकर मनचाहा आशीर्वाद देते हैं। सबसे खास बात यह कि भगवान शिव की सिर्फ आधी परिक्रमा करनी चाहिए और कभी भूलकर भी उनकी जलहरी नहीं लांघनी चाहिए।

इन तारीखों में पढ़ेंगे आठों सोमवार

  • सावन पहला सोमवार 10 जुलाई
  • सावन दूसरा सोमवार 17 जुलाई
  • सावन तीसरा सोमवार 24 जुलाई
  • सावन चौथा सोमवार 31 जुलाई
  • सावन पांचवा सोमवार 7 अगस्त
  • सावन छठा सोमवार 14 अगस्त
  • सावन सातवां सोमवार 21 अगस्त
  • सावन आठवां सोमवार 28 अगस्त 
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