Vivah Muhurat 2023: एक महीने नहीं बजेगी शहनाई, ये हैं इस महीने के शुभ मुहुर्त; 16 दिसंबर से 14 जनवरी तक रहेगा खरमास
Bareilly Shadi Vivah Muhurat December 2023 धर्मशास्त्र के अनुसार खरमास में मांगलिक कार्य होंगे वर्जित। नारायण का महीना हैं खरमास देवगुरु की दिव्यता से संपन्न यह महीना आध्यात्मिक रूप से स्वयं को संपन्न व उन्नत बनता हैं। इसे ऋषियों ने खरमास या मलमास इसलिए नाम दिया। इस कालखंड में प्राकृतिक ऊर्जा से इंद्रिय निग्रह में सहयोग मिलता है। संक्रांति के दिन फिर से सूर्य घाेड़े के रथ पर आते हैं।
By Jagran NewsEdited By: Abhishek SaxenaUpdated: Tue, 05 Dec 2023 12:52 PM (IST)
Bareilly Vivah Muhurat 2023 in December: जागरण संवाददाता, बरेली। देव उठानी एकादशी से शुरू हुआ विवाह का सिलसिला 15 दिसंबर तक जारी रहेगा। दिसंबर में केवल चार मुहूर्त बचे हैं। बृज भूमि पंचांग के अनुसार दिसंबर के महीने में 7, 8, 9, 15 दिसंबर को ही विवाह हो सकता हैं। आगे सूर्यदेव 16 दिसंबर को गुरु की धनु राशि में प्रवेश करेंगे व 14 जनवरी तक इसी राशि में गतिशील रहेंगे।
खरमास में नहीं होता मांगलिक कार्य
सूर्य की धनु राशि काल को खरमास कहा जाता हैं। शास्त्रों के अनुसार इस दौरान शुभ मांगलिक कार्य जैसे विवाह, मुंडन, गृह प्रवेश, नवीन कार्य वर्जित माने गए हैं। इसलिए 16 दिसंबर से 14 जनवरी तक सभी मांगलिक कार्यों पर रोक रहेगी। 15 जनवरी से मांगलिक कार्यों का शुभारंभ होगा।
एक महीने तक रहते हैं
ज्योतिष पंडित मुकेश मिश्रा ने बताया कि सूर्य प्रत्येक राशि में एक महीने तक रहते हैं और जब धनु राशि में प्रवेश करते हैं तो वह माह खरमास के नाम से जाना जाता हैं व खरमास का महीना मांगलिक कृत्यों के लिए वर्जित हैं। खरमास के पीछे का क्या हैं पौराणिक कथा खर का तात्पर्य गधा से हैं। मार्कंडेय पुराण के अनुसार सूर्य सात घोड़े के रथ से इस सृष्टि की यात्रा करते हैं।ये भी पढ़ेंः UP Weather News: बंगाल की खाड़ी में बने तूफान के चलते यूपी के इन जिलों में मौसम बिगड़ने के आसार; कोहरा और ठंड दिखाएगी अब असरपरिक्रमा के दौरान सूर्य को एक क्षण भी रुकने और धीमा होने का अधिकार नहीं हैं। लेकिन अनवरत यात्रा के कारण सूर्य के साथ घोड़े हेमंत ऋतु में थककर तालाब के पास रुकते हैं, ताकि पानी पी सके। सूर्य को अपना दायित्व याद आ जाता है और वह रुक नहीं सकते। चाहे घोड़ा भले ही रुक जाए यात्रा को जारी करने के लिए तथा सृष्टि पर संकट ना आ जाए। इसलिए भगवान भास्कर तालाब के समीप खड़े दो गधो को रथ में जोड़कर यात्रा जारी रखते हैं।
गधे अपने मंद गति से पूरे मास में ब्रह्मांड की यात्रा करते हैं। इस कारण सूर्य का तेज बहुत कमजोर हो जाता है। इस महीने धूप भी कम दिखाई देती है।मकर संक्रांति के दिन सूर्य देव फिर अपने साथ घोड़ा को रथ में लगाकर यात्रा आरंभ करते हैं व मांगलिक कार्य प्रारंभ हो जाते हैं।ये भी पढ़ेंः Weather Update: आगरा में बारिश ने बदला मौसम का मिजाज, धुंध के साथ कोहरा पड़ने का आसार; वायु गुणवत्ता में भी आया सुधार
चित्त सांसारिक बैराग्य की ओर सहज उन्मुख होता हैं। इसी कारण यह महीना धैर्य अहिंसा व भक्ति के लिए जाना जाता हैं। इसलिए इसे नारायण का महीना कहते हैं। खरमास में तीर्थ यात्रा, कथा श्रवण, कीर्तन, भजन, जप का महत्व अत्यधिक होता हैं।
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- जनवरी 17, 18, 21, 22, 29, 30, 31
- फरवरी 1,4,6, 14,17, 18
- मार्च 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8