मायानगरी में चमक बिखेर रहे शाहजहांपुर के सितारे
बरेली (जेएनएन)। रंगमंच के क्षेत्र में बरेली मंडल के शाहजहांपुर जिले का नाम देश ही नहीं बल्ि
By JagranEdited By: Updated: Tue, 27 Mar 2018 07:59 AM (IST)
बरेली (जेएनएन)। रंगमंच के क्षेत्र में बरेली मंडल के शाहजहांपुर जिले का नाम देश ही नहीं बल्कि विदेश तक में है। राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय मंचों पर अपनी कला का प्रदर्शन कर यहां के रंगकर्मियों ने अलग पहचान बनाई। बॉलीवुड हो या टीवी सीरियल जिले के रंगकर्मी अपनी धाक जमाए हुए हैं। फिर चाहे राजपाल यादव हों या आलोक पांडेय। एनएसडी व बीएनए से प्रशिक्षण प्राप्त कर यहां के रंगकर्मियों ने अपनी अलग पहचान बनाई। यहां तक पहुंचने के लिए जो समर्पण व त्याग किया वह दूसरों के लिए नजीर बन गया। शायद ही कोई महीना ऐसा बीतता हो जब यहां नाटकों का मंचन न हो। इन्होंने पाया मुकाम
यूं तो मुंबई में जिले के तमाम कलाकार हैं, लेकिन रंगमंच से राजपाल यादव, आलोक पांडेय, प्रदीप गुप्ता ने बॉलीवुड में धाक जमाई तो वहीं रौनक अली, मजहर खान, आजम खान, सूरज राना, शिवा सक्सेना रंगमंच व छोटे पर्दे पर सक्रिय हैं। महिला रंगकर्मी गुलिस्तां, बबिता पांडेय व शालू यादव ने रंगमंच के जरिये नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा में प्रवेश पाया। इनके लिए नशा है रंगमंच रंगमंच यहां किसी किसी के लिए कॅरियर है तो कइयों के लिए बॉलीवुड में एंट्री पाने का माध्यम, पर तमाम नाम ऐसे भी हैं, जिनके लिए यह किसी नशे से कम नहीं। वे 60 की उम्र में भी उतना ही सक्रिय हैं जितना अपनी युवावस्था में थे। जब तक नाटक की रिहर्सल न कर लें उन्हें चैन नहीं पड़ता। वरिष्ठ रंगकर्मी व अभिनेता राजपाल यादव के गुरु जरीफ मलिक आनंद, चंद्रमोहन महेंद्रू, कृष्णा श्रीवास्तव, सत्यनारायण जुगनू, प्रमोद प्रमिल, राजीव ¨सह, यतींर ¨सह त्रिवेदी, शमीम आजाद, मनोज मंजुल, प्रमोद प्रमिल, आलोक सक्सेना, दिलीप आनंद तमाम ऐसे नाम हैं। जो अपनी नौकरी व व्यवसाय में समय निकालकर रंगमंच कर रहे हैं। पर्दे के पीछे भी नाम विश्व के प्रथम असगंत नाटककार भुवनेश्वर की जन्मस्थली से रंगमंच करने वाले मोअज्जम बेग ने स्वामी, रॉक स्टार फिल्मों के लिए लेखन किया। उन्होंने ने साड्डा अड्डा फिल्म बनाई। रंगकर्मी शाहनवाज खान ने सीरियल कुबूल है का व इंदु शेखर मिश्र ने मुकद्दपुर का मजनू का निर्देशन किया। आनंद प्रकाश मिश्र ने कई नाटक लिखे। संजीव त्रिगुणायत, यतीेंद्र त्रिवेदी की लघु फिल्में भी सराही गईं। आयोजनों से मिल रही गति
अभिव्यक्ति नाट्य मंच व अभिमुख संस्था की ओर से अखिल भारतीय नाट्य प्रतियोगिताएं हुईं। इसके अलावा अनूभूति नाट्य मंच की ओर से बाल रंग महोत्सव नया प्रयोग रहा।
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