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Famous Temples in Budaun: शक्तिपीठ नगला मंदिर स्वतंत्रता संग्राम में क्रांतिकारियों का रहा ठिकाना

Famous Temples in Budaun शक्तिपीठ नगला मंदिर का इतिहास करीब सात सौ साल पुराना है। स्वतंत्रता संग्राम में यह मंदिर क्रांतिकारियों का ठिकाना रहा है। मान्यता है कि जो भी व्यक्ति यहां जो मांगता है और वह लगातार पूजा अर्चना करता है तो उसकी मनोकामना पूरी जरूर होती है।

By Aqib KhanEdited By: Updated: Sat, 25 Jun 2022 02:12 PM (IST)
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Famous Temples in Budaun: शक्तिपीठ नगला मंदिर स्वतंत्रता संग्राम में क्रांतिकारियों का रहा ठिकाना

बदायूं, जागरण संवाददाता: शहर से सटे नगला शर्की स्थित शक्तिपीठ नगला मंदिर का इतिहास करीब सात सौ साल पुराना है। स्वतंत्रता संग्राम में यह मंदिर क्रांतिकारियों का ठिकाना रहा है। यहां जिले के साथ ही आसपास के जिलों और दूसरे राज्यों से भी श्रद्धालु पहुंचते हैं। इस मंदिर में श्रद्धालुओं की बड़ी आस्था है। पुजारी शिवओम शर्मा के मुताबिक मंदिर में पहुंचने वाले भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं। कई भक्त तो यहां मुंबई से भी आते हैं। नवरात्र में अनेक भक्त तो पेट के बल चलकर यहां दर्शन के लिए आते हैं। मंदिर पर नौ दिनों तक मेला चलता है। मान्यता है कि जो भी व्यक्ति यहां जो मांगता है और वह लगातार पूजा अर्चना करता है तो उसकी मनोकामना पूरी जरूर होती है।

काली मठिया के सहारे बाग में बनती थी रणनीति

स्वतंत्रता संग्राम के दौरान 1921 और 1929 में महात्मा गांधी के बदायूं दौरे के बाद 1942 में नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने बदायूं का दौरा किया इसके बाद आंदोलन ने और रफ्तार पकड़ ली। खासकर युवा वर्ग अंग्रेजों के जुल्मों को लेकर आक्रोशित था। नगला शर्की के एक बाग में क्रांतिकारी बैठकें किया करते थे। अंग्रेज हुकूमत आंदोलन को हर स्तर पर कुचलना चाहती थी। क्रांतिकारियों की बैठकों के बारे में अंग्रेजों को पता न लगे इसके लिए बाग के पास ही माता काली की मिट्टी की प्रतिमा बनाकर यहां कीर्तन आदि किया जाने लगा। कीर्तन के दौरान यहां क्रांतिकारी जुटते थे। इससे अंग्रेजों को शक भी नहीं होता था और क्रांतिकारी अंग्रेजों से मुचैटा करने की अपनी रणनीति भी तैयार कर लेते थे। मिट्टी की यह प्रतिमा ईसापुर के चरनलाल ने बनाई थी। इस पर काला रंग कर दिया गया। नगला मंदिर कई साल तक स्वतंत्रता आंदोलन का केंद्र बिंदु बना रहा।

क्रांतिकारियों पर थी देवी की कृपा

बताया जाता है कि नगला शर्की में कीर्तन के दौरान स्वतंत्रता आंदोलन की रणनीति बनाने वाले क्रांतिकारियों पर देवी की कृपा थी। एक बार मुखबिर की सूचना पर क्रांतिकारियों की धर-पकड़ को अंग्रेज पुलिस नगला मंदिर पहुंची। यहां क्रांतिकारी कीर्तन के दौरान रणनीति बना रहे थे। उनको पुलिस के आने की खबर नहीं थी। पुलिस के वहां पहुंचते ही भयंकर ओलावृष्टि शुरू हो गई। ऐसे में अंग्रेज पुलिस को वापस लौटना पड़ा।

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