बरेली में जिस सिपाही ने किया था सीओ के एसी-फ्रिज भ्रष्टाचार का वीडियो वायरल; उसी पर गिरी गाज, एसएसपी ने किया निलंबित
Bareilly News In Hindi धर्मेंद्र के बयानों की प्रति इंटरनेट मीडिया पर प्रसारित होने से मामला सुर्खियों का विषय बना था। आरोप है कि धर्मेंद्र ने यह हरकत कर पुलिस की छवि धूमिल की। प्रचलित जांच को प्रभावित करने की कोशिश की जो राज्य कर्मचारी आचरण नियमावली व पुलिस सोशल मीडिया पालिसी का स्पष्ट उल्लंघन है। लिहाजा उसे निलंबित कर दिया गया।
जागरण संवाददाता, बरेली। सरकारी रुपयों से घर में एसी, फ्रिज के बाद सीओ लाइन/ट्रैफिक प्रियतोष त्रिपाठी का होम थियेटर कांड लांच करने वाले हेड कांस्टेबल धर्मेंद्र कुमार काे निलंबित कर दिया गया।
16 जून को प्रकरण में हेड कांस्टेबल धर्मेंद्र के बयानों का एक पत्र इंटरनेट मीडिया पर प्रसारित हुआ था जिसमें सीओ लाइन/ट्रैफिक प्रियतोष त्रिपाठी पर गंभीर आरोप थे।
आरोप था कि सीओ ने उनसे सरकारी रुपयों से आवास पर एसी व फ्रिज लगवा लिया। फिर 46 हजार रुपये कीमत के होम थियेटर की मांग रख दी। उसे दिलाने से इनकार करने एवं एसएसपी द्वारा होम थियेटर के बिल पर किसी भी दशा में हस्ताक्षर ना करने की बात सीओ को नगवार गुजरी।
सीओ ने कहा कि एसी, फ्रिज व डिश का 52 हजार आठ सौ रुपये बिल एडजेस्ट नहीं कर सकते। कोई काम नहीं कर सकते तो तुम्हें हटाया जाना ही उचित है। इसी के बाद स्टोर प्रभारी का पद छीनकर हेड कांस्टेबल प्रदीप कुमार कसाना को जिम्मेदारी सौंप दी। प्रसारित पत्र अखबारों में सुर्खियां बना तो महकमे में खलबली मच गई। सीओ ने सफाई पेश की और आरोपों को निराधार बताया।
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एसपी दक्षिणी कर रहे हैं जांच
बताया गया कि एसपी दक्षिणी प्रकरण की जांच कर रहे हैं। जांच के क्रम में ही हेड कांस्टेबल के बयान हुए थे, जो इंटरनेट मीडिया पर प्रसारित हुए। दूसरे दिन सीओ के साथ प्रकरण से जुड़े आरआइ, सप्लायर, मैकेनिक, दो मिस्त्री, गनर निरंकार सिंह व तरुन समेत नौ लोगों को बयानों के लिए नोटिस जारी किया गया। मंगलवार को हेड कांस्टेबल को निलंबित कर विभागीय जांच बैठा दी गई।
बयान की कॉपी हेड कांस्टेबल तक पहुंचना गोपनीयता पर सवाल
भले ही पूरे मामले में हेड कांस्टेबल को लापरवाह बता निलंबित कर दिया गया लेकिन, सवाल यह है कि बयानों की कॉपी उस तक पहुंची कैसे? बयानों की यह पूरी प्रक्रिया गोपनीय होती है जिसकी कापी संबंधित अफसर के समक्ष ही पेश की जाती है। ऐसे में साफ है कि हेड कांस्टेबल के बयान जिस कर्मी ने अंकित किये। उसी से उस तक बयानों की कापी भी हाथ लग गई। बावजूद सिर्फ हेड कांस्टेबल को ही पूरे मामले का प्रथम दोषी बनाया गया है कि आखिर बात सार्वजनिक हुई कैसे?
हेड कांस्टेबल का यह कृत्य राज्य कर्मचारी आचरण नियमावली व पुलिस सोशल मीडिया पालिसी का स्पष्ट उल्लंघन है जिसके चलते उसे निलंबित कर विभागीय जांच बैठा दी गई है। - घुले सुशील चंद्रभान, एसएसपी