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जब सूर्य को मिला मोक्ष, तब खुले मंदिरों के कपाट

रविवार को पांच घंटे तक चले सूर्य ग्रहण से पहले शनिवार शाम को ही मंदिरों के कपाट बंद कर दिए गए थे। दोपहर बाद सूर्य को मोक्ष मिलने पर मंदिरों के कपाट खोल सबसे पहले साफ-सफाई की गई। इसके बाद भगवान की पूजा-अर्चना की गई।

By JagranEdited By: Updated: Mon, 22 Jun 2020 06:06 AM (IST)
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जब सूर्य को मिला मोक्ष, तब खुले मंदिरों के कपाट

बरेली, जेएनएन : रविवार को पांच घंटे तक चले सूर्य ग्रहण से पहले शनिवार शाम को ही मंदिरों के कपाट बंद कर दिए गए थे। दोपहर बाद सूर्य को मोक्ष मिलने पर मंदिरों के कपाट खोल सबसे पहले साफ-सफाई की गई। इसके बाद भगवान की पूजा-अर्चना की गई।

अलखनाथ मंदिर के महंत कालूजी महाराज ने बताया कि किसी भी ग्रहण के शुरू होने से 12 घंटे पहले सूतक लग जाता है। सूर्यग्रहण के कारण भोर में मंदिरों के कपाट नहीं खोले गए। ग्रहण शुरू होने पर मंदिर के पुजारियों ने मंत्र जाप किया। ग्रहण काल तक लोगों को घरों में खाद्य सामग्री में और अपने पास जेब में तुलसी, दूर्वा, कुश को रखने को बताया था। इसी प्रकार शहर के टिबरीनाथ मंदिर, हरि मंदिर, आनंद आश्रम, धोपेश्वर नाथ समेत अन्य मंदिरों में साफ-सफाई के बाद ही सभी को दर्शन के लिए जाने दिया गया। त्रिवटीनाथ मंदिर के मीडिया प्रभारी संजीव औतार अग्रवाल ने बताया कि ठाकुरजी के सभी विग्रहों को नवीन वस्त्रों से सुसज्जित किया गया।

सूर्य ग्रहण के बाद अब गुप्त नवरात्रि प्रारंभ

सूर्य ग्रहण के बाद सोमवार से गुप्त नवरात्र शुरू हो रहे हैं, जो आठ दिन रहेंगे। ज्योतिषाचार्य मुकेश मिश्रा ने बताया कि इस बार पंचमी और षष्टी तिथि दोनों एक ही दिन शुक्रवार को रहेंगी। इसमें षष्ठी तिथि का क्षय हो गया। सबसे खास बात तो यह है की ग्रह सूर्य ग्रहण के बाद तुरंत ही गुप्त नवरात्रि का प्रारंभ होना सकारात्मक संकेत दे रहा है और नवरात्रि का सोमवार से शुरू होना बहुत ही मंगलकारी माना जाता है। माघ और आषाढ़ माह में जो नवरात्रि आती है, उन्हें गुप्त नवरात्र कहा जाता है। इसमें विशेष साधना एवं उपासना की जाती है।

ग्रहण का ट्रेन पर भी दिखा असर, यात्री रहे कम

बरेली, जेएनएन : रविवार को सूर्यग्रहण का असर ट्रेन में भी देखने को मिला। देर शाम पहुंची श्रमजीवी एक्सप्रेस से उतरने व चढ़ने वालों की संख्या कम रही। नई दिल्ली से चलकर राजगीर को जाने वाली इस ट्रेन से केवल 26 यात्री उतरे। जबकि लखनऊ और वाराणसी के लिए केवल 22 लोग चढ़े। जबकि इन दिनों चढ़ने उतरने वालों की संख्या 50 के आस-पास रहती है।

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