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प्रोटेस्टेंट शैली की मिसाल है बरेली का क्राइस्ट मेथोडिस्ट चर्च

वर्ष 1856 में अमेरिका से मेथोडिस्ट एपिस्कोपल चर्च ने भारत में मिशन शुरू किया। जब विलियम बटलर अमेरिका से आए तो उन्होंने अवध और रुहेलखंड में बरेली को चर्च निर्माण के लिए चुना। हालांकि निर्माण कार्य प्रथम स्वतंत्रता संग्राम की शुरुआत होने के चलते बाधित हो गया।

By Sant ShuklaEdited By: Updated: Tue, 15 Dec 2020 07:35 AM (IST)
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निर्माण कार्य प्रथम स्वतंत्रता संग्राम की शुरुआत होने के चलते बाधित हो गया।
 बरेली, जेएनएन।  वर्ष 1856 में अमेरिका से मेथोडिस्ट एपिस्कोपल चर्च ने भारत में मिशन शुरू किया। पादरी सुनील मसीह ने बताया कि जब विलियम बटलर अमेरिका से आए तो उन्होंने अवध और रुहेलखंड में बरेली को चर्च निर्माण के लिए चुना। हालांकि निर्माण कार्य प्रथम स्वतंत्रता संग्राम की शुरुआत होने के चलते बाधित हो गया। इसके बाद 1870 में पुन: चर्च की स्थापना के लिए विलियम बटलर ने मेथोडिस्ट चर्च इन सदर्न एशिया नाम की संस्था बनाई। प्रोटेस्टेंट शैली में चर्च का निर्माण किया गया। चर्च में वेल टॉवर से मुख्य प्रवेश द्वार बना। उसी वर्ष निर्माण पूरा होने के बाद चर्च इसका नाम क्राइस्ट मैथोडिस्ट चर्च रखा गया।

 इसकी नींव 164 वर्ष पूर्व डॉ. विलियम बटलर ने रखी। उसके बाद से यहां लगातार प्रभु यीशु की प्रार्थना सभाएं होती हैं। पादरी ने बताया कि वर्ष 1856 में बनी चर्च की मूल इमारत में आज तक कोई बदलाव नहीं हुआ है। सिर्फ कुछ वर्ष पहले इंटीरियर डेकोरेशन जैसे फर्श, दरवाजे और खिड़कियां आदि में बदलाव हुआ है। उन्होंने बताया कि क्रिसमस वाले दिन मुख्य प्रार्थना के बाद सांस्कृतिक कार्यक्रम भी होते हैं। शहर के ज्यादातर मैथोडिस्ट परिवार क्रिसमस की प्रार्थना चर्च में आकर ही करते हैं। क्रिसमस से पहले चर्च की पुताई के साथ ही रंग बिरंगी लाइटों से इसे सजाया जा रहा है।

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