RSS प्रमुख भागवत ने कहा- शक्ति का केंद्र संघ नहीं संविधान, मुस्लिमों को शाखा में आने का दिया न्योता
राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि भारत में शक्ति का केंद्र सिर्फ संविधान है। कोई दूसरा शक्ति केंद्र हो ऐसी हमारी कोई इच्छा नहीं है।
By Abhishek PandeyEdited By: Updated: Mon, 20 Jan 2020 01:58 PM (IST)
बरेली, जेएनएन। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि भारत में शक्ति का केंद्र सिर्फ संविधान है। कोई दूसरा शक्ति केंद्र हो, ऐसी हमारी कोई इच्छा नहीं है। यदि ऐसा हुआ तो हम विरोध करेंगे। संविधान में देश के भविष्य की तस्वीर एकदम साफ है। वही प्रारंभ बताता है और गंतव्य भी। उन्होंने मुसलमानों को न्योता दिया कि राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के बारे में जानने के लिए हमारी शाखाओं और कार्यक्रमों में शिरकत करें। उसके बाद हमारे बारे में राय बनाना बेहतर होगा।
महात्मा ज्योतिबा फुले रुहेलखंड विश्वविद्यालय में रविवार को 'भारत का भविष्य विषयक संगोष्ठी में बतौर मुख्य अतिथि संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि डॉ. भीमराव आंबेडकर ने जो संविधान लिखा, हमें उसी पर चलना है। इतना जरूर हो सकता है कि समय बदलने पर कुछ ऊपरी फेरबदल करने पड़ें। व्यवस्था के अनुसार जिन्हें यह जिम्मेदारी दी गई है, वे ऐसा करेंगे। उन्होंने कहा कि संविधान में भविष्य के भारत की परिकल्पना स्पष्ट थी, मगर सवाल यह है कि यह 70 सालों में पूरी क्यों नहीं हो सकी? जर्मनी, जापान और इजराइल का उदाहरण देते हुए कहा कि वे तीनों देश भी हमारे साथ चले मगर हमसे काफी आगे निकल गए। इस पर विचार करना होगा।
उन्होंने कहा कि जब हम कहते हैं कि इस देश के सभी 130 करोड़ लोग हिंदू हैं तो इसका यह मतलब नहीं कि हम किसी धर्म या जाति में बदलाव चाहते हैं। हमारे पूर्वज एक हैं, विविधताओं के बावजूद सब यहीं रहते हैं, यही हिंदुत्व है। जहां हिंदू नहीं रहे या हिंदू भावना खत्म हो गई, देश का वह हिस्सा आज अलग है। जब-जब हिंदुत्व कमजोर हुआ, तब-तब भारत की भौगोलिक स्थिति बदली है।
वह बोले कि लोग भूलवश संघ को देखने के बजाय स्वयंसेवकों के कार्य देखने लगते हैं। स्वयंसेवक तो राजनीति से लेकर संस्कार तक, हर कार्य में आगे हैं। वह उनका स्वतंत्र कार्य है जोकि अच्छा है और राष्ट्रहित में है। हमारे स्वयंसेवक हैं इसलिए आपस में बात और सहयोग भी करते हैं। लेकिन वो संघ नहीं है। उन्होंने साफ किया कि संघ का कोई दूसरा एजेंडा नहीं है। संघ का एक ही मतलब है-मनुष्य निर्माण।
दो बच्चों के कानून पर बोले, आम सहमति से नीति बने संघ प्रमुख मोहन भागवत ने जनसंख्या नियंत्रण संबंधी अपने पूर्व के वक्तत्व पर स्थिति स्पष्ट की। बोले कि मैंने यह नहीं कहा था कि दो बच्चों का कानून बने। कितनी संतान होनी चाहिए, इस सवाल पर मैंने कहा था कि जनसंख्या एक समस्या है मगर, यह साधन भी बन सकती है। इस पर नीति और सभी का मन बनाना चाहिए। इसके बाद उस नीति को लागू करना चाहिए ताकि किसी को कठिनाई न हो।
सत्य पर आधारित विरोध का स्वागतउन्होंने कहा कि यदि सत्य पर आधारित विरोध होता है तो हम उसका स्वागत करते हैं। वह हमारे सुधार के लिए होता है। संघ किसी के विरोध में नहीं चलता। संघ को जानना है तो करीब आइए, सभी के लिए दरवाजे खुले हैं। किसी राजनीतिक दल का नाम लिए बगैर कहा कि वे गलतफहमी कर भीड़ एकत्र करना चाहते हैं।
हमें सही से जानने को हमारे करीब आएं, फिर कायम करें रायभविष्य का भारत विषय पर मोहन भागवत ने संघ का नजरिया रखने के साथ यह भी साफ कर दिया कि हमें किसी की पूजा पद्धति को लेकर आपत्ति नहीं है। न ही जाति या संप्रदाय को लेकर संघ भेद रखता है। हिंदू शब्द संस्कृति का प्रतीक है। इस आधार पर भारत में रहने वाले सभी 130 करोड़ लोग हिंदू हैं। उन्होंने मुसलमानों को न्योता दिया कि राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के बारे में जानने के लिए हमारी शाखाओं और कार्यक्रमों में शिरकत करें। उसके बाद हमारे बारे में राय बनाना बेहतर होगा। यह भी कह गए कि विरोध और निंदा सुनने को भी हम तैयार हैं।
हम सब भारत के लोगमहात्मा ज्योतिबा फुले रुहेलखंड विश्वविद्यालय के खेल के मैदान में 91 मिनट के संबोधन में संघ प्रमुख मोहन भागवत ने समझाने का प्रयास किया कि उनका संगठन चाहता क्या है? बताया कि हम सब भारत के लोग हैं। भारत जमीन का टुकड़ा नहीं, स्वभाव है। जो टुकड़ा था, उसका नाम बदलने में देर नहीं लगी, वह पाकिस्तान है। विविधता के बीच मिलकर रहने का नाम ही हिंदू है। पूजा की पद्धति बदली है। संघ चाहता है कि सभी अपने-अपने पंथ के पक्के रहें, अपनी भाषा बोले, सद्भावना के साथ रहें और भेद नहीं करें। फिर भी विरोधी कहते हैं कि संघ वाले तुम्हारे शत्रु हैं। उन्होंने कहा कि संघ को जानें और उसके स्वयं सेवकों को देखें कि वह किस तरह रहते हैं। आगरा में मुस्लिम स्वयं सेवक अजमेर का उदाहरण भी दिया। कहा कि संघ मनुष्य का निर्माण करने में लगा है। यही हमारा प्रमुख काम है।
कड़ी सुरक्षा व्यवस्थासंघ प्रमुख मोहन भागवत के कार्यक्रम को लेकर सुरक्षा बंदोबस्त बेहद सख्त किए गए हैं। मुरादाबाद से बरेली आते वक्त सड़क मार्ग पर भी बेहद चौकसी बरती गई। छह गाड़ियों के काफिले के साथ संघ प्रमुख तय समय से पहले शहर आ गए। संघ के प्रमुख पदाधिकारियों को ही इसकी जानकारी थी।जनसंख्या नीति पर सरकार में करेंगे बात : संतोष
केंद्रीय श्रम एवं रोजगार राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) संतोष गंगवार ने कहा कि जनसंख्या पर नीति बनाने को लेकर विचार होगा। वह रुहेलखंड यूनिवर्सिटी में संघ प्रमुख मोहन भागवत के व्याख्यान के बाद पत्रकारों से बात कर रहे थे। मंत्री से पूछा गया कि जनसंख्या पर नीति बनाने और दो बच्चे ही अच्छे इस मुद्दे पर सरकार का रुख क्या रहेगा? तब जबकि संघ प्रमुख ने कहा है कि जनसंख्या को लेकर नीति बनाने का काम सरकार का है। उन्होंने कहा कि संघ प्रमुख ने कुछ निर्देश दिए हैैं। उन पर सरकार में बैठकर बात करेंगे। सीएए और एनआरसी पर हो रहे विरोध को लेकर कहा कि यह सही नहीं है।
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