अखिलेश यादव के पूर्व सांसद भाई के फर्जी लेटरपैड के जरिए हुआ था ट्रांसफर, रैकेट को तलाशने में जुटी सीआइडी
नेताओं व अफसरों के फर्जी हस्ताक्षर वाले लेटरपैड पर ट्रांसफर-पोस्टिंग के मामले में शनिवार को लखनऊ में मुकदमा दर्ज किया गया। जांच कर रही बरेली सीबीसीआइडी को अंदेशा है कि वर्ष 2017 में हुए इस फर्जीवाड़े के पीछे रैकेट था जिसकी तह तक पहुंचने का प्रयास किया जा रहा।
By Sant ShuklaEdited By: Updated: Mon, 14 Dec 2020 07:31 AM (IST)
बरेली, जेएनएन। नेताओं व अफसरों के फर्जी हस्ताक्षर वाले लेटरपैड पर ट्रांसफर-पोस्टिंग के मामले में शनिवार को लखनऊ में मुकदमा दर्ज किया गया। जांच कर रही बरेली सीबीसीआइडी को अंदेशा है कि वर्ष 2017 में हुए इस फर्जीवाड़े के पीछे रैकेट था, जिसकी तह तक पहुंचने का प्रयास किया जा रहा।
वर्ष 2017 में बदायूं में अपर जिला सहकारी अधिकारी रवि शंकर चौधरी की तैनाती थी। ट्रांसफर कराने के लिए उन्होंने उस वक्त सहकारिता के सचिव एसके वर्मा से संपर्क किया। जिसके बाद रवि शंकर चौधरी का तबादला सीतापुर हो गया। इस बीच शासन में शिकायतें हुईं कि तबादला फर्जी तरीके से हुआ है। जिसकी जांच बरेली सीबीसीआइडी को सौंपी गई। जांच में पाया गया कि एसके वर्मा ने ट्रांसफर के लिए रवि शंकर चौधरी को रास्ता बताया। दोनों की मिलीभगत से बदायूं के तत्कालीन सांसद धर्मेंद्र यादव व एक विधायक के हस्ताक्षर वाला फर्जी लेटरपैड बनवाकर सिफारिश दर्शायी गई। उस पत्र में हवाला दिया गया था कि दिक्कतों के चलते रवि शंकर चौधरी को सीतापुर में तैनाती दे दी जाए, उससे वह विभाग में और बेहतर योगदान कर सकेंगे। लेटरपैड लगने के बाद फाइल एसके वर्मा ने संभाल ली। मुख्यमंत्री के सचिव का फर्जी लेटरपैड तैयार कर उसमें लगाया गया, जिसके बाद ट्रांसफर आदेश जारी हो गया।शिकायतों पर खुली पोलजांच के अनुसार, कार्यालय के कर्मचारियों को ट्रांसफर पर संदेह हुआ तो शासन तक शिकायतें पहुंचीं। तत्कालीन सांसद धर्मेंद्र यादव तक जानकारी पहुंची तो उन्होंने भी जांच के लिए कहा था। चूंकि, बदायूं बरेली जोन में आता है इसलिए जांच सीबीसीआइडी बरेली के इंस्पेक्टर जीएस पवार को सौंपी गई। फर्जीवाड़े की पुष्टि होने पर और घटनाक्रम लखनऊ का होने के कारण शनिवार को इंस्पेक्टर पवार ने लखनऊ के कैसरबाग थाने में दोनों आरोपितों रवि शंकर चौधरी व एसके वर्मा पर मुकदमा दर्ज करा दिया। आरोपितों पर 120बी, 420, 467, 468, 471 धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया है।
आगे की तैयारीसीबीसीआइडी को अंदेशा है कि ट्रांसफर पोस्टिंग के खेल में बड़ा रैकेट था। इन दोनों के अलावा ऐसे कौन लोग थे, जो इसमें लिप्त रहे। उनकी तलाश भी की जा रही। बरेली जोन में ऐसे अन्य संदिग्ध मामले तलाशे जा रहे। वहीं, रवि शंकर चौधरी की तैनाती इस वक्त कहां है, इस बाबत जानकारी पुष्ट नहीं हो सकी। वर्ष 2018 में बदायूं में तैनात किए गए एआर कोआपरेटिव राघवेंद्र सिंह ने बताया कि मेरे आने से कुछ समय पूर्व रवि शंकर की तैनाती थी। सीतापुर के एआर कोआपरेटिव विवेक सिंह ने फोन पर बताया कि रवि शंकर की तैनाती कब और कितने समय रही, इस बारे में जानकारी जुटाई जा रही।
क्या कहती है सीबीसीआइडीसीबीसीआइडी इंस्पेक्टर जीएस पवार का कहना है कि जांच में पाया गया कि तबादले के लिए लगे लेटरपैड पर फर्जी हस्ताक्षर थे। पूरे प्रकरण में रवि शंकर चौधरी व एसके वर्मा ने फर्जीवाड़ा किया, इन पर मुकदमा दर्ज कराया गया है।वहीं पूर्व सांसद धर्मेंद्र यादव का कहना है कि मेरे लेटरपैड का फर्जी तरीके से उपयोग किया गया था। जिसकी जानकारी होने पर मैंने शासन में शिकायत की थी, तब जांच बैठाई गई।
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।