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UP News: दो आतंकियों को 10 साल का कठोर कारावास, NIA के विशेष न्यायाधीश ने सुनाई सजा; जुर्माना भी लगाया

आतंकी इनामुल हक और शकील अहमद डार को विशेष न्यायाधीश एनआईए विवेकानंद शरण त्रिपाठी ने दस वर्ष कठोर कारावास और 30 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है। आतंकियों के विरुद्ध इस मामले की रिपोर्ट 2020 में दर्ज कराई गई थी। बरामद फोन में जिहाद के नाम पर मारे गए कमलेश तिवारी की हत्या की फोटो सहित भारी मात्रा में जिहाद से संबंधित सामग्री भी पाई गई।

By Rajnesh Saxena Edited By: Vinay Saxena Updated: Thu, 14 Nov 2024 03:10 PM (IST)
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विशेष न्यायाधीश एनआईए विवेकानंद शरण त्रिपाठी ने सुनाई सजा।- सांकेत‍िक तस्‍वीर
व‍िधि‍ संवाददाता, लखनऊ। देश विरोधी गतिविधियों में शामिल आतंकी मो. इनामुल हक और शकील अहमद डार उर्फ मो. इकबाल कुरैशी को विशेष न्यायाधीश एनआईए विवेकानंद शरण त्रिपाठी ने दस वर्ष कठोर कारावास और 30 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है।  एटीएस मामलों के विशेष लोक अभियोजक नागेंद्र गोस्वामी ने कोर्ट को बताया कि दोनों आतंकी ओसामा बिन लादेन जैसे कट्टर आतंकी के मार्ग पर चल कर विभिन्न संगठनों के नेटवर्क से जुड़ कर इस्लामी कट्टर पंथी जिहादियों का कई देशो में विस्तार कर अपना अधिपत्य स्थापित करने के प्रयास में थे।

आतंकियों के विरुद्ध इस मामले की रिपोर्ट 18 जून 2020 को दर्ज कराई गई थी। गिरफ्त में आए दोनों आतंकियों के फोन की जांच से पता चला कि दोनों आतंकी टेलीग्राम और वाट्सएफ से यह लोग देश की लोकतांत्रिक रुप से चुनी गई सरकार के विरुद्ध किसी बड़ी घटना को अंजाम देने के फिराक में थे। इस काम को अंजाम देने के लिए लाइफ इस फॉर जिहाद नामक ग्रुप बना कर आपस में बात करते थे। बरामद फोन में जिहाद के नाम पर मारे गए कमलेश तिवारी की हत्या की फोटो सहित भारी मात्रा में जिहाद से संबंधित सामग्री भी पाई गई।

अल कायदा से मिला था संबंध, हमेशा कमरे में रहता था बंद  

जागरण संवाददाता, बरेली। किला थाना क्षेत्र के रहने वाले इनामुल हक को जब एटीएस ने गिरफ्तार किया तो उसके फोन से प्रतिबंधित संगठन अल-कायदा के प्रकाशित साहित्य मिला था। गिरफ्तारी के बाद उससे पूछताछ बड़ी तो धीरे-धीरे राज खुलते गए। पता चला कि आरोपित इनामुल हक अल-कायदा का एजेंट था। उसकी हरकतें शुरुआत से ही लोगों को समझ नहीं आ रही थी। बहरहाल उसे अब सजा हो चुकी है।

इनामुल की पैतृक संपत्ति तिलक इंटर कालेज मैदान के पीछे कटघर में है। उसके पिता इनरुल हक की उत्तराखंड के पंतनगर में नौकरी लग गई, जिसके बाद करीब 34 साल पहले पूरा परिवार उत्तराखंड में ही रहने लगा था। वर्ष 2020 में इनामुल व उसका भाई ढाई साल पहले अपने पुराने मकान में आकर रहने लगे थे। वहां पहले से जो किरायेदार रहते थे, उन्हें निकाल दिया था। दोनों भाइयों की गतिविधियां संदिग्ध होने की खुफिया सूचना एटीएस को भी लग गई थी। जिसके बाद आठ-दस दिन तक लगातार रेकी गई।

सूचना की पुष्टि के बाद 15 जून, 2020 की रात करीब साढ़े आठ बजे उसे गिरफ्तार किया गया था। पूछताछ में इनामुल के अलकायदा एजेंट होने के पर्याप्त सुबूत मिलने के बाद एटीएएस उसे लखनऊ ले गई। आरोपित के विरुद्ध लखनऊ में ही प्राथमिकी लिखी गई थी। जिहाद के नाम पर लोगों को उकसाता था इनामुल वर्ष 2020 में जब आरोपित से कड़ी पूछताछ की गई तो परत दर परत राज खुलते चले गए।

इनामुल बरेली और मुरादाबाद मंडल के जिलों में संपर्क के लिए निकलता था। जिहाद के नाम पर लोगों को उकसाता था। वह उस वक्त युवाओं को अल-कायदा से जोड़ने की मुहिम में लगा हुआ था। इसके लिए वह इंटरनेट मीडिया साहरा भी लेता था। कई लोगों को वह धीरे-धीरे अपने नेटवर्क में जोड़ने की तैयारी में था मगर एटीएस ने उसे गिरफ्तार कर लिया।

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