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Bareilly News: फरीदपुर इंस्पेक्टर रामसेवक ने भी तस्करों के सामने गिरवी रख दी खाकी, स्मैक माफिया के लिए करता था मुखबिरी

Bareilly Faridpur Police Inspector Bribe Case तस्करों के लिए मुखबिरी भी करता था फरीदपुर का भ्रष्ट इंस्पेक्टर रामसेवक। कमरे में तलाशी के दौरान नौ लाख रुपये से अधिक की नकदी मिली थी। जब एसपी ने छापा मारा तो दीवार कूदकर भाग गया। जिस थाने में वो इंस्पेक्टर था उसी में उसके खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है। पुलिस की टीम उसकी तलाश कर रही है।

By Anuj Mishra Edited By: Abhishek Saxena Updated: Sun, 25 Aug 2024 09:23 AM (IST)
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Bareilly News: फरीदपुर थाने का इंस्पेक्टर रामसेवक।
जागरण संवाददाता, बरेली। 22 अगस्त... साल 2023। 22 अगस्त साल 2024। साल बदला मगर, तारीखें वही...बरेली पुलिस की तस्करों से दोस्ती वही। कुछ नहीं बदला। फतेहगंज पश्चिमी के तत्कालीन इंस्पेक्टर मनोज कुमार सिंह की तर्ज पर फरीदपुर इंस्पेक्टर रामसेवक ने भी तस्करों के सामने खाकी गिरवी रख दी।

मनोज की राह पर ही चलते हुए तस्करों के लिए मुखबिरी भी करता। प्राथमिकी की जानकारी वाट्सएप पर देने के साथ अधिकारियों के हर एक मूवमेंट की जानकारी देता। बचाव के रास्ते भी बताता जिससे क्षेत्र में तस्कर बेखौफ हो गए।

बरेली पुलिस और तस्करों की दोस्ती नई बात नहीं हैं। अधिकारियों से ज्यादा तस्करों का थानों में दखल और नेटवर्क है। किस्सा समझने के लिए ठीक एक साल पहले के घटनाक्रम पर ध्यान देना होगा। बीते साल 22 अगस्त को ही फतेहगंज पश्चिमी के तत्कालीन इंस्पेक्टर मनोज कुमार सिंह, हेड कांस्टेबल अनिल कुमार प्रेमी, बाबर, सिपाही दिलदार, मुनव्वर आलम, हर्ष चौधरी एवं हरीश कुमार स्मैक तस्करों से संलिप्तता व मदद के आरोप में निलंबित हुए।

तत्कालीन एसएसपी घुले सुशील चंद्रभान की गोपनीय जांच में पता चला कि इंस्पेक्टर समेत निलंबित सभी पुलिसकर्मी तस्करों के लिए काम करते थे। इंस्पेक्टर मनोज तस्करों से वाट्सएप पर बात करता। वांछित आरोपितों की गिरफ्तारी के लिए टीमें पहुंचती तो मुखबिरी कर देता। प्राथमिकी की कॉपी तस्कर को वाट्सएप पर उपलब्ध कराता। ठीक उसी तर्ज पर फरीदपुर का निलंबित व भ्रष्टाचार का आरोपित इंस्पेक्टर रामसेवक आगे बढ़ा। सात लाख रुपये लेकर दो स्मैक तस्करों को छोड़ दिया।

कमरे की तलाशी में मिले लाखाें रुपये

कमरे की तलाशी पर नौ लाख 96 हजार रुपये बरामद हुए। इस बीच एसपी दक्षिणी की जांच में सामने आया कि हेड कांस्टेबल रिजवान, नीरज, एहसान, सौरभ कुमार व कृष्णा कुमार इंस्पेक्टर के गुर्गे के रूप में काम करते थे। लिहाजा, पांचों को भी निलंबित कर दिया गया। दारोगा जावेद अली व सिपाही अतुल वर्मा की भूमिका संदिग्ध पाये जाने पर दोनों को लाइन हाजिर कर दिया गया।

थाना, चौकी, सर्विलांस व एसओजी तक पैठ

कार्रवाई के बीच ही पता चला था कि तस्करों का नेटवर्क थाना, चौकी से लेकर सर्विलांस व एसओजी तक फैला हुआ है। उनकी गहरी पैठ है। होने वाली कार्रवाई, एक-एक पर्चे की जानकारी तस्करों को घर बैठे उनके वाट्सएप पर मुहैया कराई जाती है। पुलिस के हर एक अगले कदम की उन्हें जानकारी होती है। कार्रवाई की जद में आए हेड कांस्टेबल अनिल कुमार प्रेमी की तैनाती एसओजी में ही थी जबकि हेड कांस्टेबल बाबर शेरगढ़, सिपाही दिलदार, मुनव्वर आलम सीबीगंज एवं हर्ष चौधरी मीरगंज थाने में तैनात था। हेड कांस्टेबल अनिल कुमार प्रेमी पहले शाहजहांपुर व हरदोई में भी एसओजी का ही हिस्सा रहा था। बरेली पहुंचते ही फिर एसओजी में जगह बना ली थी।

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पूर्वी, पश्चिमी, मीरगंज, आंवला गढ़...रबड़ फैक्ट्री अड्डा

फरीदपुर के साथ फतेहगंज पूर्वी, फतेहगंज पश्चिमी, मीरगंज व आंवला मादक पदार्थों की तस्करी के लिए बदनाम है। फतेहगंज पूर्वी के पढेरा गांव में ही ड्रग माफिया शाहिद उर्फ छोटे खां पकड़ा गया था। उसकी 50.99 करोड़ रुपये की संपत्ति फ्रीज हुई थी। हैरान करने वाली बात यह है कि वह अचानक ही पुलिस के हत्थे चढ़ गया। पुलिस दूसरे की दबिश में गांव गई थी। तस्कर के पकड़े जाने पर पूरे गिरोह का राजफाश हुआ था। उस समय उसके द्वारा तत्कालीन इंस्पेक्टरों को बड़े-बड़े इनाम देने की बात सामने आई थी।

हैरानी यह है कि इन थानों के साथ आस-पास तैनाती पाने वाले सभी पुलिसकर्मी रबड़ फैक्ट्री के खाली पड़े आवासों में डेरा जमाए हुए हैं। गैर जनपद ट्रांसफर के बाद भी वह स्मैक तस्करों से दोस्ती के चलते मोह नहीं त्याग पा रहे। तस्करों व पुलिसकर्मियों के बीच यहां ही डील होती है। जरूरत पड़ने पर पुलिसकर्मी तस्करों के इशारे पर खुद पार्टी तक सप्लाई भी पहुंचाने से नहीं कतराते। ऐसे मामले सामने भी आ चुके हैं।

भ्रष्टाचार का आरोपित इंस्पेक्टर रामसेवक फरार है। उसकी तलाश में सीओ हाईवे के नेतृत्व में टीमें लगीं हैं। सीओ हाईवे ही प्रकरण की विवेचना कर रहे हैं। - मानुष पारीक, एसपी दक्षिणी

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