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Bareilly Shootout : बरेली में फायरिंग के बाद सांसद छत्रपाल ने दिया बड़ा बयान, कहा; पहले डीएम और एसएसपी से बात करेंगे फिर...

सांसद छत्रपाल सिंह गंगवार से बात की तो उन्होंने कमिश्नरेट का समर्थन करते हुए कहा कि वह इसके लिए प्रयास करेंगे। उन्होंने बताया कि इस व्यवस्था को लेकर पहले डीएम और एसएसपी से बात करेंगे। उनसे सुझाव लेंगे। बरेली में वर्ष 2010 और 2012 में उपद्रव भी हो चुका है। कई बार भीड़ इकट्ठी होने के दौरान शांति व्यवस्था बनाए रखना बड़ा मुद्दा होता है।

By Ashok Kumar Arya Edited By: Mohammed Ammar Updated: Sun, 23 Jun 2024 09:54 PM (IST)
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कमिश्नरेट व्यवस्था लागू होने पर बढ़ जाते हैं पुलिस के अधिकार
जासं, बरेली : शहर में हुई फायरिंग की घटना के बीच मौजूद पुलिस कोई कार्रवाई नहीं कर पाई। कई बार शांति व्यवस्था बनाने के लिए मजिस्ट्रेट के आदेश के बाद ही पुलिस गोली चला सकती है। कमिश्नरेट व्यवस्था में पुलिस तमाम निर्णय खुद ले सकती है। नवनिर्वाचित सांसद छत्रपाल सिंह गंगवार ने जिले में कमिश्नरेट व्यवस्था लागू कराने का प्रयास करने की बात कही है।

बरेली में वर्ष 2010 और 2012 में उपद्रव भी हो चुका है। कई बार भीड़ इकट्ठी होने के दौरान शांति व्यवस्था बनाए रखना बड़ा मुद्दा होता है। कई बार पुलिस अकेले होती है, लेकिन वह मजिस्ट्रेट के आदेश के बाद ही आंसू गैस, रबर बुलेट आदि का इस्तेमाल करती है।

इधर, शनिवार सुबह दो पक्षों में आमने-सामने हुई फायरिंग से दहशत फैल गई। पुलिस मौके पर होने के बावजूद कुछ नहीं कर पाई। ऐसे में यहां कमिश्नरेट की खासी जरूरत शहरवासियों ने बताई है। इस पर जब सांसद छत्रपाल सिंह गंगवार से बात की तो उन्होंने कमिश्नरेट का समर्थन करते हुए कहा कि वह इसके लिए प्रयास करेंगे। उन्होंने बताया कि इस व्यवस्था को लेकर पहले डीएम और एसएसपी से बात करेंगे। उनसे सुझाव लेंगे। फिर इस मुद्दे को शासन स्तर पर उठाएंगे।

क्या होती है पुलिस कमिश्नरेट व्यवस्था

पुलिस कमिश्नरेट में पुलिस अधिकारियों के पास अधिक शक्तियां होती हैं। ऐसे में उन्हें किसी अपराधी की गिरफ्तारी या कानून व्यवस्था को लागू करने के लिए किसी भी मजिस्ट्रेट पर निर्भर नहीं रहना पड़ता है। पुलिस स्वयं से निर्णय लेकर जनपदों में कानून व्यवस्था को बेहतर रूप से बनाए रखने का प्रयास करती है। इसमें पुलिस की अधिक जवाबदेही बन जाती है। ऐसे में व्यवस्था को सुधार करने में मदद मिलती है।

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