Santosh Gangwar: झारखंड के राज्यपाल बने संतोष गंगवार; बरेली से आठ बार रहे सांसद, पढ़िए राजनीतिक सफर
Political Career Of Santosh Gangwar Jharkhand Governor संतोष गंगवार का पता अब बदल गया है। बरेली के वरिष्ठ नेता अब झारखंड राजभवन पहुंचे हैं। राज्यपाल बने संतोष गंगवार बरेली सीट पर पहली बार 1980 में चुनाव लड़े थे हालांकि ये चुनाव वे हार गए थे। भारत रत्न पूर्व प्रधानमंत्री स्व. अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार और 2019 की मोदी सरकार वे मंत्री रहे थे।
जागरण संवाददाता, बरेली। आठ बार संसद में प्रतिनिधित्व कर चुके पूर्व सांसद संतोष गंगवार का नया पता झारखंड का राजभवन है। शनिवार देर रात उन्हें राज्यपाल बनाए जाने की घोषणा हुई, जिसकी भूमिका पहले ही बन चुकी थी। इस बीच लोकसभा चुनाव के दौरान स्थानीय स्तर पर कई बार उठापटक हुईं।
संतोष गंगवार हर बार मौन को अपनी आवाज बनाकर आगे बढ़ते गए। 'मेरे लिए क्या करना है, यह पार्टी तय करे'... यह बात हर बार दोहराने वाले संतोष को पार्टी ने वही भूमिका दी, जिसका अनुमान लगाया जा रहा था। चुनावी जनसभाओं के मंच पर इसके संकेत मिल चुके थे।
लोकसभा चुनाव लड़ने की थी इच्छा
संतोष गंगवार ने लोकसभा चुनाव लड़ने की इच्छा जताई थी मगर, टिकट घोषणा में उनका नाम नहीं था। उस समय माना जाने लगा था कि अब उन्हें संसद भवन से आगे का रास्ता तय दिया जा सकता है। उनके राज्यपाल बनने की अटकलें लगाई जाने लगी थीं। वह ऐसी चर्चाओं को यह कहकर किनारे कर देते थे कि पार्टी ने मेरे लिए जो भी सोचा होगा, वह उचित ही होगा। वह सब्र किए बैठे थे, दूसरी ओर दिल्ली में उनकी भूमिका तैयार की जा रही थी। इसका संकेत चुनावी जनसभाओं में मिलना शुरू हो चुका था।तीन मई को हार्टमैन रामलीला मैदान में चुनावी जनसभा करने आए गृह मंत्री अमित शाह ने मंच से घोषणा की थी कि संतोष गंगवार के लिए बड़ी जिम्मेदारी तय रखी है। वह बड़े नेता हैं, नई भूमिका में दिखेंगे। इससे पहले फरवरी में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पीलीभीत की जनसभा में गए तो संतोष गंगवार को अपने बगल में बैठाया था। वह बरेली में रोड शो करने आए तब भी उनके वाहन में संतोष साथ खड़े थे। पार्टी जानती थी कि वह पिछड़ा वर्ग का बड़ा चेहरा हैं।
झारखंड का राज्यपाल बनने पर वरिष्ठ नेता संतोष गंगवार का मुंह मीठा कराते भारतीय जनता पार्टी आंवला (बरेली) के जिलाध्यक्ष आदेश प्रताप सिंह व अन्य। - जागरण
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मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी जनसभा में कह गए थे कि यह चुनाव संतोष के नेतृत्व में लड़ा जा रहा है। बाद में जब चुनाव की बारी आई तो संतोष के मैदान में न होने के बावजूद भाजपा ने अपना गढ़ बचाए रखा। बरेली सीट पर छत्रपाल सिंह गंगवार सांसद बने, जिसके बाद पूर्व सांसद हो चुके संतोष का कद और बढ़ा। पार्टी नेतृत्व ने माना कि मैदान के बाहर रहने के बावजूद उन्होंने बरेली की सीट को बचाए रखने में भूमिका निभाई। ये भी पढ़ेंः LoC पर बदायूं का लाल बलिदान, डेढ़ वर्ष पहले हुई थी मोहित की शादी; कहकर गए थे ‘पापा बहन की शादी हमारी जिम्मेदारी’ ये भी पढ़ेंः Paris Olympics 2024: पिता ने पैसे उधार लेकर दिलाए थे बेटी को जूते, अब प्राची चौधरी पहुंचीं पेरिस ओलंपिकसंतोष गंगवार के राजनीतिक सफर के बारे में
राजनीति में कैसे आए, इस पर संतोष कहते हैं कि आपातकाल के दौरान जेल जाना पड़ा। एक वर्ष जेल में काटने के बाद जब बाहर आए तो उनके सोचने का तरीका थोड़ा बदल गया। इसी बीच थोड़ा समय बीतने के पश्चात जनता पार्टी की बरेली जिला कमेटी में उन्हें महामंत्री का पद प्रस्तावित किया गया तो उन्होंने स्वीकार कर लिया।- वर्ष 1980 में अचानक पता चला कि उन्हें पूर्व राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद की पत्नी बेगम आबिदा के सामने पहला लोकसभा चुनाव लड़ना है। वह चुनाव हार गए, दिशा तय हो चुकी थी।
- वर्ष 1984 में भी यही कहानी दोहराई गई। वर्ष 1989 के आम चुनाव में उन्होंने बेगम आबिदा को पराजित कर पहली जीत दर्ज की थी।
- वर्ष 1989, 1991, 1996, 1998, 1999 और 2004 में लगातार जीते।
- वर्ष 2009 का चुनाव कांग्रेस से हारे परंतु, इसके बाद वापसी की।
- 2014 और 2019 का लोकसभा चुनाव जीतकर संतोष गंगवार ने साबित कर दिया कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश की राजनीति में उनके बिना आगे नहीं बढ़ेगी।
- संगठन के बाद सरकार में उनका कद बढ़ता गया। वह अटल बिहारी वाजपेयी व नरेन्द्र मोदी की सरकार में केंद्रीय मंत्री रहे।
- पेट्रोलियम, कपड़ा, वित्त, श्रम व रोजगार आदि विभाग संभाले थे। अपना फोन हमेशा खुद रिसीव करने वाले, प्रतिदिन भारत सेवा ट्रस्ट स्थित कार्यालय पर लोगों से मिलने की आदत उन्हें सुलभ नेता बनाती गई।