आला हजरत के उर्स में नहीं जा सकेंगी महिलाएं, उलमा की रोक
हाजी अली की दरगाह में महिलाओं को प्रवेश मिलने के बाद दरगाह आला हजरत से साफ कर दिया गया कि उर्स में महिलाएं नहीं आएंगी।
By Nawal MishraEdited By: Updated: Thu, 03 Nov 2016 05:17 PM (IST)
बरेली (जेएनएन)। हाजी अली की दरगाह में महिलाओं को प्रवेश मिलने के बाद दरगाह आला हजरत से साफ कर दिया गया कि उर्स में महिलाएं नहीं आएंगी। यह जिम्मेदारी पुरुषों को दी गई है। उनसे कहा गया है कि वे उर्स में महिलाओं को साथ नहीं लाएं। यह भी फैसला हुआ है कि महिलाओं को शरीयत ने मजार पर आने से क्यों रोका है, उर्स के मंच से इस पर तफसील से रोशनी डाली जाएगी।
वैसे तो उर्स के पोस्टर में हर बार महिलाओं की दरगाह पर हाजरी को प्रतिबंधित किया जाता था लेकिन, इस बार इसके लिए पुरुषों को बाकायदा जिम्मेदारी दी गई है। दरगाह के उलमा ने कहा है कि ऐसा शरीयत को सामने रखकर किया जा रहा है। शरीयत महिलाओं को कब्रिस्तान या मजार पर जाने की इजाजत नहीं देती। आला हजरत ने तो इस मसले पर खुरुजुन निसा यानी औरतों की मजार पर हाजरी के नाम से एक किताब लिखी है। हदीस के हवाले से साफ किया है कि महिलाएं मजार पर नहीं जा सकतीं। बहुत सी वजहों में एक वजह यह भी बताई है कि मजार रुहानियत के मरकज हैं। महिलाओं का वहां पुरुषों की भीड़ के बीच रहना गैर मुनासिब है। आला हजरत ने फतवा भी दिया था कि महिलाओं का मजार पर जाना नाजायज है। उसी फतवे के आधार पर महिलाओं को आला हजरत की मजार पर नहीं जाने दिया जाता। उर्स से पहले पोस्टर के जरिये इसका प्रचार व प्रसार भी किया जाता है। चूंकि इस मामले को लेकरं मुम्बई की हाजी अली दरगाह को लेकर अच्छा खासा विवाद खड़ा हो चुका है, इसलिए दरगाह आने से महिलाओं को रोकने के लिए इंतजाम किए गए हैं। उन्हें नहीं लाने की जिम्मेदारी पुरुषों को दी गई है। बता दें कि जब हाजी अली के मजार पर महिलाओं को जाने की इजाजत मिली तो दरगाह से विरोध किया गया था।शरीयत में मनाही
प्रवक्ता दरगाह आला हजरत मुफ्ती मुहम्मद सलीम नूरी ने कहा कि शरीयत में साफ मनाही है इसलिए महिलाओं को दरगाह आने से रोका जा रहा है। कोई कोर्ट जाता है तो देखा जाएगा। शरीयत में जिस बात को मना फरमाया गया है, उसे लागू नहीं किया जा सकता।
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