Basti News: कॉपी-कलम के लिए तरस रहीं कस्तूरबा विद्यालय की छात्राएं, तीन महीने बाद भी सबके हाथ खाली
उत्तर प्रदेश के बस्ती जिले में एक हैरान करने वाला मामला सामने आया है। यहां अगस्त का महीना शुरू होने वाला और कस्तूरबा विद्यालय के बच्चों को कॉपी कलम भी नहीं मिला। जिले में विभागीय अधिकारियों की यह उदासीनता कहे या फिर लापरवाही अभी तक स्टेशनरी के लिए टेंडर प्रक्रिया पूर्ण नहीं करा पाए है। इसका खामियां बेटियों को उठाना पड़ रहा है।
जागरण संवाददाता, बस्ती। नये शैक्षिक सत्र के तीन महीना पूरा हो चुके हैं, लेकिन अभी तक कस्तूरबा विद्यालय की बेटियों के हाथों में कापी व कलम नहीं पहुंच पाया है। ऐसे में उनका अध्यापन कार्य प्रभावित हो रहा है। इसके लिए विभाग ने अभी तक कोई व्यवस्था नहीं की है। किसी तरह से बा की बेटियां पढ़ाई लिखाई कर रही हैं।
जिले में 13 कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालय संचालित है। इनमें लगभग 1275 छात्राएं पंजीकृत है। शासन इन बेटियों के लिए निश्शुल्क किताबों के साथ कापी, कलम, जमेट्री सहित अन्य स्टेशनरी के सामान उपलब्ध कराने की व्यवस्था बनाई है। ताकि असहाय व आर्थिक रूप से कमजोर छात्राएं शिक्षा की मुख्य धारा वंचित न रह जाए। लेकिन विभागीय अधिकारियों की उदासीनता के चलते शासन की यह व्यवस्था उदासीनता की भेंट चढ़ गई है।
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शैक्षिक सत्र 2024- 25 में अभी तक बेटियों को सिर्फ किताबें ही मिल पाई हैं। जबकि एक अप्रैल से नये सत्र की शुरुआत हो चुकी है। बालिकाएं अगली कक्षाओं में प्रवेश कर चुकी है। बिना कलम व कापी के वह अध्यापन कार्य कर रही हैं।
जिले में विभागीय अधिकारियों की यह उदासीनता कहे या फिर लापरवाही अभी तक स्टेशनरी के लिए टेंडर प्रक्रिया पूर्ण नहीं करा पाए है। इसका खामियां बेटियों को उठाना पड़ रहा है। बेटियां या तो पुरानी कापियों से काम चला रही है या फिर खुद ही कापी व पेन की व्यवस्था कर रही है।
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स्टेशनरी में मिलती है यह सामग्रीकस्तूरबा में अध्ययनरत छात्राओं को स्टेशनरी के रूप में जमेट्री बाक्स, पेन, पेंसल, रबर, शर्पनर, स्केल, कापी, चार्ट पेपर, स्लो टेप व बैग सहित स्टेशनरी के सामान मिलते हैं।
बालिका जिला समन्वयक अमित सोनी ने कहा कि कस्तूरबा में स्टेशनरी के लिए टेंडर नहीं हो पाया है। टेंडर प्रक्रिया पूरी कराने की व्यवस्था की जा रही है। जल्द ही छात्राओं को स्टेशनरी के सामान मिल जाएंगे।
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