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Basti Ground Report: बस्‍ती लोकसभा में किसकी चौधराहट कायम करेंगे, चौधरी किधर जाएंगे?

Basti Lok Sabha Seat Ground Report बस्ती जनपद में राजनीति की शुरुआत स्वतंत्रता के बाद राम चरित्र पांडेय और देशराज नारंग से होती है। दोनों बड़ी हस्तियां थीं। रामचरित्र पांडेय जहां कांग्रेस के बड़े नेता थे वहीं देशराज नारंग औद्योगिक घराने से संबंध रखते थे। हरैया तहसील में सुरेंद्र प्रताप नारायण पांडेय उर्फ कोट साहब और सुखपाल पांडेय का दबदबा था।

By Jagran News Edited By: Vivek Shukla Published: Sun, 19 May 2024 11:00 AM (IST)Updated: Sun, 19 May 2024 11:01 AM (IST)
बस्ती सीट पर स्थानीय नेताओं में खूब उठापटक देखने को मिली।

 ब्रजेश पांडेय, जागरण बस्ती। संसदीय सीट पर राजनीतिक दलों में जीत के लिए चौधरी मतों को साधने की जोर-आजमाइश चल रही है। भाजपा, सपा एवं बसपा तीनों दल कुर्मी मतों के अपने पक्ष में होने का दावा कर रहे हैं। सपा व बसपा ने जहां इसी जाति से प्रत्याशी उतारा है तो वहीं भाजपा बिरादरी के नेताओं के जरिए इस वर्ग को साधने में जुटी है। क्षेत्र के कई राजनीतिक दिग्गजों ने भी खेमा बदला है।

अब बस्ती में यह बड़ा सवाल है किसकी चौधराहट कायम करेंगे, चौधरी किधर जाएंगे? बस्ती लोकसभा के पांच विधानसभा क्षेत्रों में लगभग तीन लाख से अधिक कुर्मी मतदाता हैं। सपा ने यहां से पूर्व मंत्री रामप्रसाद चौधरी को मैदान में उतारा है तो बसपा ने लवकुश पटेल को। दोनों ही नेता बिरादरी के मतों पर अपना दावा कर रहे हैं।

भाजपा जिला पंचायत अध्यक्ष संजय चौधरी एवं बस्ती सदर के पूर्व विधायक दयाराम चौधरी सहित अन्य नेताओं के बलबूते चौधरी मतों को अपने पक्ष में करने की जुगत में जुटी है। बसपा प्रत्याशी युवा होने के कारण इस जाति के युवाओं में अपनी मजबूत पकड़ मानते हैं। रामप्रसाद चौधरी पिछली बार सफल नहीं हो पाए लेकिन तीन साल बाद हुए विधानसभा 2022 के चुनाव में अपने पुत्र कविंद्र चौधरी अतुल को कप्तानगंज से जिताने में सफल रहे।

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धुरंधरों की प्रतिष्ठा दांव पर

बस्ती सीट पर स्थानीय नेताओं में खूब उठापटक देखने को मिली। भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष दयाशंकर मिश्र भाजपा से नाराजगी के बाद पहले बसपा में गए। उन्हें बसपा से टिकट मिला लेकिन पर्चा दाखिल करने के बाद टिकट कट गया। भाजपा प्रत्याशी की राह रोकने के लिए अब उन्होंने साइकिल की सवारी कर ली है।

इसी तरह पूर्व मंत्री राजकिशोर सिंह एवं उनके भाई बृजकिशोर सिंह ने भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर ली है। दल बदलने वाले इन दिग्गज नेताओं की प्रतिष्ठा भी इस चुनाव में दांव पर लगी है। इसके साथ ही हरैया के विधायक अजय सिंह एवं रुधौली के पूर्व विधायक संजय जायसवाल पर भी अपना सियासी रसूख साबित करने की चुनौती है।

महादेवा सुरक्षित सीट से 2022 विधानसभा चुनाव में सुभासपा के टिकट पर विधायक चुने गए दूधराम चुनाव प्रचार में नजर नहीं आ रहे हैं। हालांकि सुभासपा के प्रमुख ओम प्रकाश राजभर भाजपा के पक्ष में सभा कर चुके हैं।

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बस्ती सीट का इतिहास

बस्ती जनपद में राजनीति की शुरुआत स्वतंत्रता के बाद राम चरित्र पांडेय और देशराज नारंग से होती है। दोनों बड़ी हस्तियां थीं। रामचरित्र पांडेय जहां कांग्रेस के बड़े नेता थे वहीं देशराज नारंग औद्योगिक घराने से संबंध रखते थे। हरैया तहसील में सुरेंद्र प्रताप नारायण पांडेय उर्फ कोट साहब और सुखपाल पांडेय का दबदबा था।

80 के दशक से जगदंबिका पाल और अंबिका सिंह की धमक बनी तो 90 के दशक से रामप्रसाद चौधरी और राज किशोर सिंह के सितारे अपनी चमक बिखरने लगे। 2014 तक दोनों नेता पूरे जनपद में हावी रही। पूर्व डीआइजी श्यामलाल कमल यहां से सांसद चुने गए थे।

भाजपा के झंडे तले श्रीराम चौहान ने यहां से सांसद बनने की हैट-ट्रिक लगाई। बसपा के लालमणि प्रसाद भी सांसद बने। 2009 में लोकसभा सीट के सामान्य होने के बाद राम प्रसाद चौधरी ने भतीजे अरविंद चौधरी को सांसद बनाया। उसके बाद हरीश द्विवेदी लगातार दो बार सांसद चुने गए।


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