Basti Kidnapping Case: पूर्व मंत्री अमरमणि की अग्रिम जमानत अर्जी खारिज, 22 साल से चल रहा है यह केस
छह दिसंबर 2001 को कोतवाली बस्ती क्षेत्र के रोडवेज तिराहा निवासी धर्मराज मद्धेशिया के बेटे राहुल का अपहरण हो गया था। पुलिस ने राहुल को तत्कालीन मंत्री अमरमणि के लखनऊ स्थित आवास से बरामद किया था। इस अपहरण कांड के नौ आरोपितों में से अमरमणि त्रिपाठी नैनीष शर्मा शिवम और रामयज्ञ न्यायालय में हाजिर नहीं हुए। अपहरण कांड की पत्रावली 11 फरवरी 2003 से हाजिरी में चल रही है।
जागरण संवाददाता, बस्ती। कोतवाली क्षेत्र के 22 वर्ष पुराने अपहरण के मामले में अमरमणि की अग्रिम जमानत अर्जी एमपी एमएलए कोर्ट के न्यायाधीश प्रमोद कुमार गिरि ने गुरुवार को खारिज कर दी। दोनों तरफ से बीते सोमवार को इसपर बहस हुई थी।
अपहृत किए गए राहुल मद्धेशिया ने न्यायालय को बताया था कि उनके अपहरण में अमरमणि का कोई हाथ नहीं था। इसे आधार मानकर अमर मणि की तरफ से जमानत याचिका दाखिल की गई थी।
अपहरण व गैंगस्टर एक्ट के मामले में पूर्व मंत्री अमरमणि त्रिपाठी गैर हाजिर चल रहे थे। अग्रिम जमानत याचिका पर आठ जुलाई को सुनवाई हुई थी। आदेश सुनाते हुए न्यायाधीश ने कहा कि आरोपित का लंबा आपराधिक इतिहास है।
इसे भी पढ़ें-VIDEO: कुशीनगर में एक ही घर से निकले 150 जहरीले सांप, मचा हड़कंप, दहशत में लोग
नौतनवा कोतवाली, कैन्ट थाना गोरखपुर, कोतवाली बस्ती, संतकबीरनगर, पुरन्दरपुर सहित विभिन्न थानों में 36 मुकदमे दर्ज हैं। सर्वाधिक 18 मुकदमे नौतनवा कोतवाली में दर्ज हैं। 25 अगस्त को जिला कारागार गोरखपुर से रिहा होने के बाद भी इस न्यायालय से फरार चल रहे हैं। बचाव पक्ष ने कहा कि ज्यादातर मुकदमे समाप्त हो गए हैं। अदालत ने बचाव पक्ष की दलील न मानते हुए जमानत याचिका निरस्त कर दिया।
यह था मामला
छह दिसम्बर 2001 को कोतवाली बस्ती के रोडवेज तिराहा निवासी राहुल का अपहरण हुआ था। उसकी बरामदगी तत्कालीन मंत्री अमरमणि त्रिपाठी के लखनऊ स्थित आवास से हुई थी। इस मामले में 19 दिसंबर 2001 को अमरमणि को लखनऊ में गिरफ्तार किया गया था।
इसे भी पढ़ें-रील बनाने के चक्कर में चली गई तीन किशोरों की जान, एक ने कैंसर को दी थी मात लेकिन रफ्तार बन गया काल
20 दिसंबर को लखनऊ के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत में पेश किया गया। वहां से दो दिन की ट्रांजिट रिमांड मिली थी। 21 दिसंबर को सीजेएम बस्ती की अदालत में पेश किया गया था, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया।
तीन जनवरी 2002 को स्पेशल जज बस्ती ने उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी थी। एक फरवरी 2002 को उच्च न्यायालय से जमानत प्राप्त होने के बाद वह जेल से रिहा हुए थे।
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।