सीतामढ़ी को विकसित करने की जगी उम्मीद
केंद्रीय बजट में पर्यटन को बढ़ावा दिए जाने की व्यवस्था मिलने से सीतामढ़ी को विकसित किए जाने की उम्मीद जगी है। काशी- प्रयाग के मध्य और विध्य क्षेत्र के गोद में बसे सीता समाहित स्थल सीतामढ़ी को दशकों बाद भी पर्यटन स्थल का दर्जा नहीं मिल पाया है।
जासं, ज्ञानपुर (भदोही) : केंद्रीय बजट में पर्यटन को बढ़ावा दिए जाने की व्यवस्था मिलने से सीतामढ़ी को विकसित किए जाने की उम्मीद जगी है। काशी- प्रयाग के मध्य और विध्य क्षेत्र के गोद में बसे सीता समाहित स्थल सीतामढ़ी को दशकों बाद भी पर्यटन स्थल का दर्जा नहीं मिल पाया है। इसके विकास के लिए कई बार कार्ययोजना तो बनाई गई लेकिन उस पर अमल नहीं किया जा सका। यहां पर प्रतिदिन स्थानीय के अलावा हजारों की संख्या में देश व विदेश के मेहमान आते हैं, लेकिन सुविधाएं न होने से वह बहुत निराश होते हैं। यहीं हुआ था लव-कुश का जन्म
धार्मिक ग्रंथों पर नजर डालें तो लंका विजय के बाद अयोध्या में रामराज की स्थापना के दौरान जगत जननी सीता निर्वासित कर दी गई थीं। उस दौरान वाल्मीकि आश्रम में माता सीता को रुकना पड़ा था। यहीं पर लव कुमारों का जन्म हुआ था। प्रत्येक वर्ष सप्ताह भर लव कुमारों का जन्म दिवस भी यहां पर बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। यही नहीं इसके उपलक्ष्य में मेला का भी आयोजन सदियों से होता चला आ रहा है। एक दशक पूर्व सत्यनारायण पुंज द्वारा यहां पर विद्यालय और सीता समाहित स्थल को आधुनिक तरीके से विकसित तो किया गया लेकिन सरकार की ओर से कोई सहायता नहीं मिल सका। विकास के लिए सिसक रहा समाहित स्थल