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वाहनों के दबाव से रेलवे फाटक बंद करना मुश्किल

रेल प्रशासन के तमाम चेतावनी व प्रचार-प्रसार के बाद भी रेलवे फाटकों पर आवागमन के नियमों का पालन नहीं किया जा रहा है। बार बार रेलवे फाटकों पर दुर्घटना होने के बावजूद वाहन चालकों द्वारा सबक नहीं लिया जा रहा है। हाल यह है कि एक तरफ गेट के बूम नीचे आता रहता है और वाहन निकलते रहते हैं। इसके चलते दुर्घटना की आशंका बनी रहती है। विशेषकर सुरियावां नगर के पूर्वी रेलवे फाटक आए दिन टूटने की घटना से अधिकारी भी ¨चतित हैं। वाहनों के दबाव से रेलवे फाटक बंद करना गेटमैन के लिए मुश्किल है।

By JagranEdited By: Published: Thu, 04 Oct 2018 08:29 PM (IST)Updated: Thu, 04 Oct 2018 08:29 PM (IST)
वाहनों के दबाव से रेलवे फाटक बंद करना मुश्किल

जागरण संवाददाता, सुरियावां (भदोही) : रेल प्रशासन की तमाम चेतावनी व प्रचार-प्रसार के बाद भी रेलवे फाटकों पर आवागमन के नियमों का पालन नहीं किया जा रहा है। बार बार रेलवे फाटकों पर दुर्घटना होने के बावजूद वाहन चालकों द्वारा सबक नहीं लिया जा रहा है। हाल यह है कि एक तरफ गेट का बूम नीचे आता रहता है और वाहन निकलते रहते हैं। इसके चलते दुर्घटना की आशंका बनी रहती है। विशेषकर सुरियावां नगर के पूर्वी रेलवे फाटक आए दिन टूटने की घटना से अधिकारी भी ¨चतित हैं। वाहनों के दबाव से रेलवे फाटक बंद करना गेटमैन के लिए मुश्किल है।

रेलवे फाटकों पर वाहनों का दबाव व जाम की विभिषिका जगजाहिर है। इसी तरह रेलमार्ग पर ट्रेनों का दबाव भी परेशानी का सबब साबित हो रहा है। दो दर्जन से अधिकसवारी गाड़ियों व एक्सप्रेस ट्रेनों के साथ दर्जनों मालगाड़ियों का रेलमार्ग से आवागमन होता है। इसके चलते 10 से 12 घंटे से गेट बंद रहते हैं। परिणामस्वरूप वाहनों की लंबी लंबी कतार लग जाती है। अभी वाहनों की कतार टूट भी नहीं पाती कि पुन: ट्रेन के आगमन का संकेत मिल जाता है। ऐसे में गेटमैन भी परेशान हो उठता है।

भदोही-दुर्गागंज मार्ग नेतानगर स्थित रेलवे फाटक प्रत्येक दिन आनुपातिक रूप से दस घंटे बंद ही रहता है। इसके चलते चार पहिया वाहनों का आवागमन होने से लोग घंटों जहां तहां फंसे रहते हैं। रेलमार्ग का दोहरीकरण व विद्युतीकरण होने के बाद मालगाड़ियों की संख्या में वृद्धि हो गई है। इसके चलते फाटक अक्सर बंद रहता है। नगरवासियों की कई बार माग के बावजूद भी सुरियावां में ओवरब्रिज निर्माण कराने की कवायद नहीं शुरू हो सकी है।

वाहनों के दबाव की वजह से बूम गिरने के समय जल्दबाजी में कई बार गेट टूटने की दुर्घटना हो चुकी है। तो वहीं दो पहिया वाहन भी ट्रेन की जद में आकर ध्वस्त हो चुके हैं। घटनाओं के बावजूद वाहन चालक सबक नहीं ले रहे हैं। उधर सुरक्षा की बात की जाए तो सुरक्षा कर्मी विहीन फाटक पर आए दिन जाम के झाम की स्थिति बदतर हो जाती है।


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