अज्ञातवास के समय राजा युधिष्ठिर ने की थी शिवलिग की स्थापना
अनगिनत आस्था-केंद्रों वाले हमारे विशाल देश में विशिष्टता वाले स्थल भी अनेक हैं लेकिन गोपीगंज के तिलंगा गांव स्थित तिगलेश्वरनाथ मंदिर इस अर्थ में अनोखा है कि यहां स्थापित शिवलिग का वर्ष में तीन बार स्वत रंग परिवर्तन होता है।
By JagranEdited By: Updated: Wed, 10 Mar 2021 05:08 PM (IST)
जागरण संवाददाता, ज्ञानपुर (भदोही) : अनगिनत आस्था-केंद्रों वाले हमारे विशाल देश में विशिष्टता वाले स्थल भी अनेक हैं लेकिन गोपीगंज के तिलंगा गांव स्थित तिगलेश्वरनाथ मंदिर इस अर्थ में अनोखा है कि यहां स्थापित शिवलिग का वर्ष में तीन बार स्वत: रंग परिवर्तन होता है। यह विशिष्टता इसे न केवल एक सर्वथा पृथक पहचान देती है बल्कि श्रद्धालुओं को विस्मित-विभोर भी करती चलती है।
मान्यता है कि महाभारत काल में अपने अज्ञातवास के दौरान पांडव तिलंगा गांव से होकर गुजरे थे। उन्होंने यहां अपने विश्राम के दौरान अलौकिक एवं अद्वितीय शिवलिग की विधि-विधान से स्थापना कराई थी। श्रद्धालुओं का कहना है कि बाबा के शिवलिग का स्वरूप प्रत्येक चार माह में बदल जाता है। गर्मी ऋतु में बाबा का स्वरूप बिल्कुल चिकना एवं भूरा हो जाता है जबकि बारिश और जाड़े में शिवलिग काला और हल्का भूरा हो जाता है। भक्त बताते हैं कि वसंत का प्रारंभ होते ही शिवलिग से चपड़ा निकलने लगता है। इसे देखा तो जाता है लेकिन अभी तक किसी को शिवलिग से निकला चपड़ा प्राप्त नहीं हो सका है। इसके बाद से शिवलिग चिकना और भूरा हो जाता है। मान्यता है कि इस अलौकिक एवं अद्वितीय शिवलिग के दर्शन मात्र से ही मनुष्य को आपाधापी से मुक्ति मिल जाती है। यहां पर प्रत्येक दिन बाबा का दर्शन पूजन करने के लिए भक्तों की भीड़ लगी रहती है। --------------------------------- -किवदंती है कि बाबा तिलेश्वरनाथ मंदिर के शिवलिग की स्थापना अज्ञातवास के दौरान धर्मराज युधिष्ठिर ने की थी। जिन नामों के पहले तिल आता है उस शिवलिग में लगातार वृद्धि होती रहती है। वह चाहे तिलेश्वरनाथ हों या फिर काशी में तिलभांडेश्वर। बाबा तिलेश्वरनाथ की महिमा निराली है। इनके दर्शन मात्र से जीवन के सारे कष्ट स्वत: नष्ट हो जाते हैं।
-संत केशव कृपाल जी महाराज।
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