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द‍िव्‍यांग के पीएम आवास को ध्‍वस्‍त करने के मामले में SDM समेत 12 राजस्व और पुलिसकर्मियों पर मुकदमा

यूपी के भदोही के औरई क्षेत्र के जाठी गांव में दिव्यांग रविशंकर के पीएम आवास को तीन फीट जमीन के अतिक्रमण को हटाने के नाम पर ध्वस्त कर दिया गया। इस मामले में अपर सत्र न्यायाधीश विशेष न्यायालय एससी एसटी कविता मिश्रा के आदेश पर सभी के खिलाफ बुधवार को सदर कोतवाली में विभिन्न धाराओं में मुकदमा दर्ज हुआ है।

By Jitendra Upadhyay Edited By: Vinay Saxena Updated: Thu, 05 Sep 2024 03:22 PM (IST)
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कोर्ट के आदेश पर पुल‍िस कर्मि‍यों के खि‍लाफ दर्ज हुआ मुकदमा।- सांकेत‍िक तस्‍वीर

जागरण संवाददाता, ज्ञानपुर (भदोही)। औराई क्षेत्र के जाठी गांव में तीन फीट जमीन का अतिक्रमण हटाने गए औराई के तत्कालीन एसडीएम, तहसीलदार, नायब तहसीलदार, कानूनगो, एसआई, 12 पुलिस कर्मियों ने 11 अक्टूूबर 23 को बुलडोजर से जाठी निवासी दिव्यांग रविशंकर का पीएम आवास ध्वस्त करा दिया। आबादी की दो बिस्वा जमीन से उसका आशियाना तो उजाड़ा ही गया पूरी जमीन भी खाली करा दी।

जिला व पुलिस अधिकारियों ने तो इस पर ध्यान नहीं दिया पर न्यायालय ने इसका संज्ञान लिया। मामले अपर सत्र न्यायाधीश विशेष न्यायालय एससी एसटी कविता मिश्रा के आदेश पर सभी के खिलाफ बुधवार को सदर कोतवाली में विभिन्न धाराओं में मुकदमा दर्ज हुआ है। मुकदमा दर्ज होते ही तहसील के अधिकारियों में खलबली मची है।

दिव्यांग रविशंकर का गांव में पीएम आवास है। उसने न्यायालय में कहा कि उसके बाप दादा उस जमीन पर कच्चा मकान बनाकर रहते आए हैं। सात साल पहले उसे प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास मिला था। उसने अपना कच्चा मकान गिराकर उस पर आवास बनवाया। जहां उसका कच्चा मकान है उसी से कुछ जमीन छोड़कर गांव के सत्यदेव दुबे की जमीन है।

सत्यदेव ने एसडीएम कोर्ट के निर्देश पर अपनी जमीन की नापजोख कराई तो तीन फीट जमीन उसके आवास से सटकर निकली। 11 अक्टूबर 23 को औराई के तत्कालीन एसडीएम आकाश कुमार, तहसीलदार सत्यपाल प्रजापति, नायब तहसीलदार बलवंत उपाध्याय, राजस्व निरीक्षक बैकुंठनाथ, लेखपाल संतोष जायसवाल, पुलिस टीम में एसआइ धीरेंद्र यादव, कांस्टेबल शंभूनाथ, चार अन्य पुलिस कर्मी व सत्यदेव बुलडोजर के साथ आए।

अधिकारियों ने तीन फीट जमीन के साथ उसका आवास ही ढहा दिया। वहीं अभिलेख में जो दो बिस्वा आबादी की जमीन थी उससे उसे बेदखल कर दिया। मामले को लेकर उन्होंने ज्ञानपुर कोतवाली, एसपी समेत अन्य उच्चाधिकारियों को पत्रक दिया, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। न्यायालय की शरण ली तो संज्ञान लिया गया।

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