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हादसों के बाद भी नहीं भंग हो रही रेलवे की तंद्रा

देश के विभिन्न स्थानों पर आए दिन हो रहे रेल हादसों के बाद भी विभाग द्वारा सुरक्षा के ठोस उपाय नहीं किए जा रहे हैं। नजीर के तौर पर रेलवे की भूमि पर अवैध कब्जा कर बसाई गई बस्तियां, झुग्गी झोपड़ियों को लेकर रेलवे की उदासीनता ¨चता का विषय है। इसके चलते आए दिन दुर्घटना होती रहती है लेकिन विभाग उक्त बस्तियों से मुक्ति पाने में नाकाम साबित हो रहा है। वाराणसी-जंघई रेलखंड की बात करें तो भदोही व मोढ स्टेशन के आसपास रेल पटरियों के दोनों ओर रेलवे की भूमि पर अवैध रूप से कब्जा कर लोग दशकों से रह रहे हैं।

By JagranEdited By: Updated: Sun, 21 Oct 2018 11:01 PM (IST)
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हादसों के बाद भी नहीं भंग हो रही रेलवे की तंद्रा

जागरण संवाददाता, भदोही : देश के विभिन्न स्थानों पर आए दिन हो रहे रेल हादसों के बाद भी विभाग द्वारा सुरक्षा के ठोस उपाय नहीं किए जा रहे हैं। नजीर के तौर पर रेलवे की भूमि पर अवैध कब्जा कर बसाई गई बस्तियां, झुग्गी झोपड़ियों को लेकर रेलवे की उदासीनता ¨चता का विषय है। इसके चलते आए दिन दुर्घटना होती रहती है लेकिन विभाग उक्त बस्तियों से मुक्ति पाने में नाकाम साबित हो रहा है।

वाराणसी-जंघई रेलखंड की बात करें तो भदोही व मोढ़ स्टेशन के आसपास रेल पटरियों के दोनों ओर रेलवे की भूमि पर अवैध रूप से कब्जा कर लोग दशकों से रह रहे हैं। अभियान के तहत गाहे बगाहे भूमि खाली का विभागीय नोटिस तो जारी किया जाता है लेकिन नोटिस भी अतिक्रमणकारियों तक नहीं पहुंच पाती।

बताते चलें कि भदोही स्टेशन के पूर्वी केबिन के पास लंबे समय से लोग कब्जा कर स्थाई अस्थाई मकान बनाकर रह रहे हैं। विगत वर्ष भवन आदि निर्माण कार्य के दौरान अस्थाई रूप से बसे लोगों को भूमि को खाली कराया गया था। हालांकि केबिन के पूर्वी छोर स्थित भूमि पर दिन ब दिन कब्जे का दायरा बढ़ता जा रहा है। रेलवे ट्रैक के आसपास रिहाइशी बस्ती होने के कारण आए दिन दुर्घटना होती रहती है लेकिन इसे विडंबना ही कहा जाएगा कि भूमि खाली कराने की दिशा में विभाग गंभीर नहीं है। इसी तरह मोढ़ स्टेशन के पूर्वी केबिन के पास भी रेलवे की जमीन पर कब्जा कर लोग दशकों से रहते आ रहे हैं। हालांकि भूमि खाली कराने की दिशा में विभाग द्वारा कभी गंभीर प्रयास नहीं किया गया।

दशहरा के दिन पंजाब के अमृतसर में हुए दर्दनाक हादसे के बाद इस प्रकार के सवाल भी उठने लगे हैं। लोगों का कहना है कि ट्रैक के बेहद करीब बसी बस्तियां भी खतरे को आमंत्रित करती नजर आ रही हैं। इसके चलते कभी भी गंभीर हादसा हो सकता है लेकिन विभाग पर इसका कोई प्रभाव नहीं है।

इस संबंध में एडीआरएम (वाराणसी) रविप्रकाश चतुर्वेदी का कहना है कि रेलवे की भूमि को मुक्त कराने के लिए लिए पूर्व में कब्जाधारकों को नोटिस जारी की गई थी। बताया कि अब विभाग गंभीरता से इस दिशा में विचार कर रहा है। बताया कि जल्द ही अतिक्रमण से कराह रही रेलवे की जमीनों को खाली कराया जाएगा।

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