MGNREGA Scheme: मनरेगा योजना की सुस्त पड़ी रफ्तार... चालू वित्त वर्ष में 315 परिवार को ही मिला सौ दिन का काम
महात्मा गांधी ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना की रफ्तार सुस्त पड़ गई है। सरकार की महत्वाकांक्षी योजना को लेकर ग्राम प्रधान और अधिकारी उदासीन हैं। चालू वित्त वर्ष यानी 2023-24 में अब तक महज 315 परिवार को सौ दिन का काम मिल सका है।
By Jagran NewsEdited By: riya.pandeyUpdated: Fri, 16 Jun 2023 12:50 PM (IST)
भदोही, जागरण टीम : महात्मा गांधी ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना की रफ्तार सुस्त पड़ गई है। सरकार की महत्वाकांक्षी योजना को लेकर ग्राम प्रधान और अधिकारी उदासीन हैं। आलम यह कि चालू वित्त वर्ष यानी 2023-24 में अब तक महज 315 परिवार को सौ दिन का काम मिल सका है।
अमृत सरोवर समेत ठप पड़ी हैं अन्य परियोजनाएंवित्त वर्ष 2008-09 में जनपद में शुरू हुई योजना मनरेगा में अब तक अरबों रुपये खर्च हो चुके हैं। जिले में योजना की स्थिति जस की तस बनी हुई है। रिकार्ड पर गौर किया जाए तो जिले में करीब सवा लाख जॉब कार्डधारक पंजीकृत हैं। इसके सापेक्ष अब तक करीब पचास हजार परिवार को रोजगार मुहैया कराया जाता रहा है। शुरुआती दौर के छह वर्ष में तो स्थिति संतोषजनक रही लेकिन चालू वित्त वर्ष में योजना पूरी तरह पटरी से उतर चुकी है। अमृत सरोवर सहित अन्य प्रोजेक्ट ठप पड़े हैं। चालू वित्त वर्ष के तीन माह में पंजीकृत किसी श्रमिकों ने रोजगार नहीं मांगा। नियमानुसार रोजगार मांगने पर अगर विभाग काम नहीं देता है तो उसका भत्ता देना होता है।
कम मजदूरी मिलने से महात्मा गांधी ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना से मुंह मोड़ रहे श्रमिकग्रामीण क्षेत्रों में मजदूरों के पलायन को रोकने के लिए शुरू की गई महात्मा गांधी ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना पूरी तरह फेल होती दिख रही है। मजदूरी कम मिलने के कारण भी श्रमिक इस योजना से मुंह मोड़ रहे हैं। सबसे बड़ा कारण तो यह है कि काम करने के बाद भी समय से मजदूरी नहीं मिल पाता है।
ग्राम प्रधानों का कहना है कि काम करने के बाद मजदूरी नहीं मिलती है तो श्रमिक उनके घर पर विरोध करने पहुंच जाते हैं। कुछ तो जिलाधिकारी के यहां तक पहुंचकर शिकायत करते हैं कि उन्हें काम करने के बाद भी मजदूरी नहीं दी गई।उपायुक्त मनरेगा राजाराम का कहना है कि श्रमिकों को रोजगार मांगने पर निश्चित रूप से काम दिया जाएगा। अमृत सरोवर सहित अन्य कई प्रोजेक्ट पर काम चल रहा है।
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