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Yashasvi Jaiswal: यशस्वी जायसवाल ने टेस्ट में ठोकी पहली डबल सेंचुरी, भदोही में मना जश्न; पिता ने बेटे के लिए कह दी ये बात

Yashasvi Jaiswal विशाखापट्टनम में दूसरे टेस्ट मैच में भारत के ओपनर बल्लेबाज यशस्वी जायसवाल ने दोहरा शतक जड़ा है। यशस्वी ने 271 गेंदों में अपना दोहरा शतक पूरा किया। इंग्लैंड के खिलाफ दूसरे टेस्ट मैच में आज दोहरा शतक जड़ने पर क्रिकेटर यशस्वी जायसवाल के गृहनगर भदोही में लोगों ने पटाखे फोड़े और मिठाइयां बांटी गई। लोग इस दौरान नाचते नजर आए।

By Swati Singh Edited By: Swati Singh Updated: Sat, 03 Feb 2024 03:16 PM (IST)
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यशस्वी जायसवाल ने टेस्ट में ठोकी पहली डबल सेंचुरी, भदोही में मना जश्न
एजेंसी, भदोही।  एक नाम चर्चा में है और ये नाम है यशस्वी जायसवाल का। चर्चा इसलिए क्योंकि इन्होंने वो कारनामा कर दिखाया है, जिसकी उम्मीद अक्सर क्रिकेट फैंस को रोहित शर्मा से होती है। विशाखापट्टनम में दूसरे टेस्ट मैच में भारत के ओपनर बल्लेबाज यशस्वी जायसवाल ने दोहरा शतक जड़ा है। यशस्वी ने 271 गेंदों में अपना दोहरा शतक पूरा किया।

यशस्वी जायसवाल की इस ताबड़तोड़ पारी की चारों ओर चर्चा हो रही है। इस बीच यशस्वी जायसवाल के घर यानी की उत्तर प्रदेश के भदोही में जश्न का माहौल है। अपने जिले के लाल ने जो कमाल किया है उसका जश्न लोग पटाखे फोड़ के मना रहे हैं।

पटाखे फोड़ कर मनाई खुशी

इंग्लैंड के खिलाफ दूसरे टेस्ट मैच में आज दोहरा शतक जड़ने पर क्रिकेटर यशस्वी जायसवाल के गृहनगर भदोही में लोगों ने पटाखे फोड़े और मिठाइयां बांटी गई। लोग इस दौरान नाचते नजर आए।

पिता ने कह दी ये बात

यशस्वी जायसवाल के पिता सिर गर्व से ऊंचा हो गया है। बेटे के दोहरे शतक पर उन्होंने भी खुशी जताई है। यशस्वी के पिता भूपेन्द्र जायसवाल ने कहा कि पूरा भदोही जिला खुश है। छोटा शहर या बड़ा शहर मायने नहीं रखता, अगर कोई मेहनत करे तो हर काम में सफल हो सकता है।

यशस्वी जायसवाल के पिता ने कहा कि उम्मीद है कि वो आने वाले समय में ऐसा ही बेहतरीन प्रदर्शन करे और तिहरा शतक भी मारे।

कभी बेचते थे गोलगप्पे

यशस्वी जायसवाल वहीं बल्लेबाज हैं जो कभी ठेले पर गोलगप्पे बेचते थे। उन्होंने मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम के बाहर घर चलाने के लिए कभी गोलगप्पे तक बेचे। एक इंटरव्यू में उन्होंने बताया था कि मुझे अच्छा नहीं लगता है कि जिन लड़कों के साथ मैं क्रिकेट खेलता था, जो सुबह मेरी तारीफ करते थे, वहीं शाम को मेरे पास गोलगप्पे खाने आते थे, लेकिन घर की हालात देखकर उन्होंने मजबूरन ये सब करना पड़ा। खैर अब वक्त बदल गया और अब यशस्वी अपने नाम जैसा काम भी कर रहे हैं।

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