Bijnaur News मुख्य न्यायाधीश अरुण भंसाली और न्यायाधीश विकास की खंडपीठ ने जनहित याचिका पर सुनवाई के बाद बिजनौर-झालू मार्ग पर रेलवे फाटक के निकट बिना मानचित्र स्वीकृत कराए विकसित की जा रही कालोनी पर कार्रवाई का आदेश संबंधित अधिकारी को दिया है। अफसरों की माने तो अभी इस कृषि भूमि का केवल श्रेणी परिवर्तन करके अकृषक किया गया है।
जागरण संवाददाता, बिजनौर। मुख्य न्यायाधीश अरुण भंसाली और न्यायाधीश विकास की खंडपीठ ने जनहित याचिका पर सुनवाई के बाद बिजनौर-झालू मार्ग पर रेलवे फाटक के निकट बिना मानचित्र स्वीकृत कराए विकसित की जा रही कालोनी पर कार्रवाई का आदेश संबंधित अधिकारी को दिया है।
अफसरों की माने, तो अभी इस कृषि भूमि का केवल श्रेणी परिवर्तन करके अकृषक किया गया है। कालोनी के लिए विकासकर्ताओं द्वारा मानचित्र स्वीकृत नहीं कराया गया है।
तहसील सदर के ग्राम बल्दिया निवासी कपिल कुमार पुत्र गजपाल सिंह ने हाईकोर्ट प्रयागराज में जनहित याचिका में कहा कि झालू मार्ग स्थित रेलवे फाटक के निकट ग्राम माैजा फतेहपुर नौआबाद खसरा संख्या नंबर 462 ख रकबई 0.0120 हेक्टेयर, खसरा नंबर 466 में रकबई 0.3670, खसरा नंबर 468 रकबई 0.2800 हेक्टेयर, खसरा नंबर 469 में रकबई 0.1200 हेक्टेयर, खसरा नंबर 470 में रकबई 0.3929 हेक्टेयर, खसरा नंबर 471 में रकबई 0.1780 हेक्टेयर, खसरा नंबर 472 में रकबई 0.1260 हेक्टेयर समेत कई अन्य खसराें में दर्ज भूमि में अनाधिकृत कालोनी विकसित की जा रही है।
दावा किया गया था कालोनी में वह भूमि भी शामिल कर ली गई है जो कि महायोजना में शहर के सीवेज ट्रीटमेंट सिस्टम के लिए आरक्षित है।
हाईकोर्ट ने डीएम से इस मामले की रिपोर्ट तलब की। वहीं डीएम ने इस प्रकरण की जांच एसडीएम सदर को दी थी। जांच में पता चला था कि उक्त भूमि का श्रेणी परिवर्तन हुआ है, लेकिन अभी तक मानचित्र स्वीकृत नहीं हुआ।
मुख्य न्यायाधीश अरुण भंसाली और न्यायाधीश विकास की खंडपीठ ने इस प्रकरण में सुनवाई के बाद सोमवार को आदेश जारी किया। बुधवार को प्राप्त आदेश में कोर्ट ने कहा है कि यह बात स्पष्ट नहीं हो सकी है कि सीवेज सिस्टम के लिए निर्धारित जमीन उक्त कालोनी में है लेकिन बिना मानचित्र स्वीकृत कराए निर्माण करने का आरोप है। जिसके संबंध में संबंधित अथारिटी द्वारा निर्माणकर्ताओं को नोटिस जारी किए गए हैं। कोर्ट ने उक्त नोटिसों पर कार्रवाई करने का आदेश दिया है।
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