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आक्सीजन से टूट रही है सांसों की डोर, सिस्टम लाचार

तीमारदारों की बेबसी और लाचारी देखिए। एक ओर आक्सीजन की कमी से मरीज की सांसें टूट रही हैं। वहीं परिजन आक्सीजन सिलेंडर की खातिर प्रशासनिक और स्वास्थ्य विभाग अफसरों के दफ्तरों में चक्कर लगा रहे हैं। काफी भागदौड़ के बावजूद नतीजा नहीं निकल पा रहा है। सिस्टम ने निजी अस्पताल और घरों पर आइसोलेट मरीजों के लिए आक्सीजन की व्यवस्था करने से हाथ खड़े कर दिए।

By JagranEdited By: Updated: Thu, 29 Apr 2021 10:55 AM (IST)
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आक्सीजन से टूट रही है सांसों की डोर, सिस्टम लाचार

जेएनएन, बिजनौर। तीमारदारों की बेबसी और लाचारी देखिए। एक ओर आक्सीजन की कमी से मरीज की सांसें टूट रही हैं। वहीं परिजन आक्सीजन सिलेंडर की खातिर प्रशासनिक और स्वास्थ्य विभाग अफसरों के दफ्तरों में चक्कर लगा रहे हैं। काफी भागदौड़ के बावजूद नतीजा नहीं निकल पा रहा है। सिस्टम ने निजी अस्पताल और घरों पर आइसोलेट मरीजों के लिए आक्सीजन की व्यवस्था करने से हाथ खड़े कर दिए।

वर्तमान में जिले में श्वांस रोगियों के आक्सीजन सबसे बड़ा मर्ज बना हुआ है। जिले में आक्सीजन के लिए चहुंओर हाहाकार मचा हुआ है, जबकि स्वास्थ्य विभाग और प्रशासनिक अफसर जिला अस्पताल में पर्याप्त मात्रा में आक्सीजन होने का दावा कर रहा है। उनका यह दावा जमीनी हकीकत से कोसों दूर हैं। आक्सीजन व्यवस्था की तफ्तीश की गई, तो निजी अस्पतालों में आक्सीजन का टोटा है। जिला अस्पताल में उन्हीं मरीजों को आक्सीजन उपलब्ध कराई जा रही है, जिनकी प्रशासनिक अफसर रिकमेंड कर रही है। वहीं निजी अस्पतालों में भर्ती मरीजों को आक्सीजन नहीं मिल रही है। निजी अस्पतालों में मरीज तब ही भर्ती होगा, जब तीमारदार आक्सीजन सिलेंडर का व्यवस्था करके लाएंगे। ऐसे में मरीजों के परिजन आक्सीजन के लिए इधर-उधर भटक रहे है। प्रशासनिक और स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने इस तरह सिलेंडर देने से इन्कार कर दिया है। वह सिर्फ जिला अस्पताल में भर्ती मरीज को ही आवश्यकता अनुसार आक्सीजन लगाने की बात कह रहे हैं। अब सवाल उठता है कि गंभीर बीमारी से पीड़ित सभी मरीज जिला अस्पताल में भर्ती नहीं हो सकते हैं। ऐसे में उनके उपचार के लिए संकट खड़ा हो रहा है। घरों पर आइसोलेट मरीज परेशान

जनपद में बड़ी संख्या में कोविड, अस्थमा और अन्य गंभीर बीमारी से पीड़ित मरीज घरों में आइसोलेट होकर अपना उपचार करा रहे हैं। पहले उन्हें बीच-बीच में आक्सीजन लगती रहती थी। परिजन घर पर ही ऑक्सीजन की व्यवस्था रखते हैं। अब ऑक्सीजन की डिमांड बढ़ने की वजह से सिलेंडरों का टोटा हो गया है। अब प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग ने घरों के लिए आक्सीजन से साफ इंकार कर दिया है। आक्सीजन नहीं मिलने की वजह से लोगों के सांसों की डोर टूट गई, कितु सिस्टम सबकुछ ठीक होने का दावा कर लीपापोती कर रहा है। -इनका कहना है-

बीएचईल हरिद्वार से सौ से अधिक सिलेंडर की आपूर्ति मिली हैं। जिला अस्पताल में भर्ती मरीजों को जरूरत के मुताबिक आक्सीजन देने की व्यवस्था है। प्रचुर मात्रा में दवाई उपलब्ध है। किसी दवा की कमी नहीं है। मरीज घबराए नहीं।

-ज्ञानचंद सीएमएस, जिला अस्पताल -जिला अस्पताल और एक निजी अस्पताल में स्थापित एल-टू अस्पताल में पर्याप्त मात्रा में आक्सीजन उपलब्ध है। जरूरत पर निजी अस्पतालों को भी स्थिति के अनुरूप आक्सीजन की आपूर्ति की व्यवस्था की जा रही है।

-रमाकांत पांडेय, डीएम।

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