गंगा में अक्टूबर में फिर से होगी डॉल्फिन की गणना, पिछले वर्ष गंगा बैराज से नरौरा तक दिखी थीं 50 डॉल्फिन
गंगा में अक्टूबर में फिर से डॉल्फिन की गणना होगी। वर्ल्ड वाइल्ड लाइफ फाउंडेशन की टीम बिजनौर गंगा बैराज से बुलंदशहर के नरौरा बैराज तक अभियान चलाकर डॉल्फिन की गणना करेगी। इससे पता चलेगा कि गंगा में डॉल्फिन का कुनबा कितना बढ़ा है। डॉल्फिन भारत का राष्ट्रीय जलीय जीव है और इसके संरक्षण के लिए मेरी गंगा मेरी सांस अभियान चलाया जा रहा है।
जागरण संवाददाता, बिजनौर। गंगा की धारा में अक्टूबर में फिर से डॉल्फिन की गणना की जाएगी। देखा जाएगा कि गंगा में डॉल्फिन का कुनबा कितना बढ़ा है। डब्ल्यूडब्ल्यूएफ (वर्ल्ड वाइल्ड लाइफ फाउंडेशन) की टीम बिजनौर गंगा बैराज से बुलंदशहर में नरौरा बैराज तक चार से पांच दिन तक अभियान चलाकर डॉल्फिन की गणना करेगी।
उम्मीद है कि इस वर्ष भी गंगा में डॉल्फिन का कुनबा बढ़ेगा। डॉल्फिन राष्ट्रीय जलीय जीव है। उसके संरक्षण के लिए मेरी गंगा मेरी सांस अभियान चलाया जा रहा है। बिजनौर में भी गंगा नदी में डॉल्फिन मिलती हैं। इसका मुख्य कारण केवल गंगा में ही 12 महीने पानी रहना है।
डब्ल्यूडब्ल्यूएफ द्वारा हर वर्ष गंगा में डॉल्फिन की गणना की जाती है। साथ ही तटीय गांव वालों को डॉल्फिन व अन्य जलीय जीवों के संरक्षण के प्रति भी जागरूक किया जाता है। गंगा बैराज से शुरू हुई गणना बुलंदशहर के नरौरा बैराज पर जाकर खत्म होती है।
गंगा में डॉल्फिन की अठखेलियां बढ़ रही हैं और पिछले वर्ष गंगा में 50 डॉल्फिन दिखी थीं। पहली बार डॉल्फिन का कुनबा अर्धशतक तक पहुंचा है। अब गंगा में फिर से डॉल्फिन की गणना की तैयारी शुरू की गई है। हो सकता है कि अक्टूबर के पहले माह में डॉल्फिन की गणना शुरू हो जाए।
अंधी होती है डॉल्फिन
गंगा में मिलने वाली डॉल्फिन अंधी होती हैं। ये अपने शरीर से एक तरह की तरंगें छोड़ती हैं और इनकी मदद से ही शिकार करती हैं। गंगा में मिलने वाली छोटी मछलियां ही इनका शिकार होती हैं। डॉल्फिन स्वभाव से शांत होती हैं और ये कभी भी मनुष्यों को नुकसान नहीं पहुंचाती हैं।गंगा में डॉल्फिन की स्थिति
वर्ष | संख्या |
2015 | 22 |
2016 | 30 |
2017 | 32 |
2018 | 33 |
2019 | 35 |
2020 | 41 |
2021 | -- |
2022 | -- |
2023 | 50 |
नोट: 2021 में हुई गणना के आंकड़े सार्वजनिक नहीं हुए और 2022 में गणना नहीं हो पाई थी।
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-संजीव यादव, डब्ल्यूडब्ल्यूएफ