बागपत से चुनावी मैदान में होंगे जयंत चौधरी या पत्नी चारू? बिजनौर सीट पर खामोशी दावेदारों की बढ़ा रही परेशानी
जाटलैंड में शामिल बिजनौर लोकसभा सीट पर खामोशी टिकट के दावोदारों की धड़कन तेज कर रही है। जोरशोर से चर्चा है कि यह सीट भाजपा और रालोद के गठबंधन में रालोद के हिस्से में जाएगी। यहां वैसे भी रालोद को गठबंधन की राजनीति रास आती है। भाजपा की पहली लिस्ट में बिजनौर सीट से कोई नाम घोषित न होने से इस दावे को बल मिल रहा है।
जागरण संवाददाता, बिजनौर। जाटलैंड में शामिल बिजनौर लोकसभा सीट पर खामोशी टिकट के दावोदारों की धड़कन तेज कर रही है। जोरशोर से चर्चा है कि यह सीट भाजपा और रालोद के गठबंधन में रालोद के हिस्से में जाएगी। यहां वैसे भी रालोद को गठबंधन की राजनीति रास आती है।
भाजपा की पहली लिस्ट में बिजनौर सीट से कोई नाम घोषित न होने से इस दावे को बल मिल रहा है। जिसके चलते भाजपा के टिकट के दावेदार खामोशी से प्रयासों में जुटे हैं। रालोद के टिकट के लिए दावेदार पहले से ही दौड़धूप कर रहे हैं।
जाट या गुर्जर पर दांव लगा सकती है रालोद
रालोद का टिकट जाट या गुर्जर समाज के किसी दावेदार की झोली में जाने की संभावना है। भले ही लंबे समय से बिजनौर जिले में रालोद का कोई विधायक न हो लेकिन गठबंधन में चुनाव लड़कर रालोद ने यहां अपनी स्थिति मजबूत रखी है। वर्ष 2004 में बिजनौर लोकसभा सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित थी।2004 में हुए लोकसभा चुनाव में सपा और रालोद का गठबंधन हुआ और सीट रालोद के खाते में गई। रालोद के मुंशीराम पाल चुनाव जीतकर संसद पहुंचे। 2009 के चुनाव में रालोद की नजदीकियां भाजपा से बढ़ी और एक बार फिर से बिजनौर सीट रालोद के कोटे में आ गई। तब तक यह सीट सामान्य हो चुकी थी।
रालोद ने जयाप्रदा पर खेला था दांव
जाटलैंड में शामिल होने के बाद भी यहां से रालोद ने गुर्जर बिरादरी के संजय सिंह चौहान को उतारा और वे भी आसानी से चुनाव जीत गए। वर्ष 2014 के चुनाव में रालोद अकेले ही मैदान में उतरी और रामपुर से सांसद जयाप्रदा पर दांव खेला लेकिन मोदी लहर में उनकी जमानत जब्त हो गई।2019 के लोकसभा चुनाव में फिर सपा, बसपा और रालोद गठबंधन में यह सीट बसपा के खाते में गई और बसपा के मलूक नागर सांसद बने। भाजपा के साथ गठबंधन होने की चर्चाओं के बीच माना जा रहा है कि यह सीट फिर से रालोद के खाते में आ जाएगी।
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