UP News: बिजनौर के किसानों ने कमाल कर बढ़ाई आमदनी, महज तीन साल में बेच दी इतने करोड़ की जैविक फसल
Bijnor News In Hindi लगातार तीन साल खेत में रासायनिक खाद न डालने पर और जांच में फसल में हानिकारक तत्व निर्धारित मानक से अधिक न मिलने किसान को जैविक खेती का सर्टिफिकेट दिया जाता है। गंगा किनारे के गांवों में जैविक खेती करने वालों को भी जैविक खेती से जुड़ा ग्रीन सर्टिफिकेट दिया गया है। उन्हें ग्रीन सर्टिफिकेट दिया गया है।
By Jagran NewsEdited By: Abhishek SaxenaUpdated: Wed, 13 Dec 2023 09:30 AM (IST)
जागरण संवाददाता, बिजनौर। जिले के किसानों ने नमामि गंगे परियोजना के अंतर्गत तीन साल के अंदर 46 करोड़ रुपये की जैविक फसल बेची हैं। जो भी किसान जैविक फसलों की खेती जारी रखेंगे उनकी आमदनी और बढ़ती रहेगी। बाकी किसानों को भी जैविक खेती से जोड़ने के लिए भी प्रयास किए जा रहे हैं।
गंगा की धारा की निर्मलता बनाए रखने के लिए अभियान चलाया जा रहा है। इसके लिए नमामि गंगे जैविक खेती परियोजना संचालित की जा रही है। गंगा की धारा के किनारे गांव और खेत हैं।
जैविक खेती ही है उपाय
किसान खेतों में रासायनिक उर्वरक प्रयोग करते हैं जो किसी न किसी रूप में गंगा के पानी में ही जाते हैं। इसे रोकने का एकमात्र उपाय जैविक खेती ही है। गंगा किनारे के गांवों में जैविक खेती शुरू की गई थी। इसमें जिले की 22 ग्राम पंचायतों के 46 ग्राम चिन्हित करके जैविक खेती कराई गई।ये भी पढ़ेंः Bhajan Lal Sharma: राजस्थान के नए सीएम भजन लाल शर्मा का यूपी से है बेहद गहरा रिश्ता, भाई ने बताई सादगी भरे जीवन की बातें
किसानों को जैविक फसलों का बाजार उपलब्ध कराने के लिए शील बायोटेक कंपनी को जिम्मेदारी दी गई। किसानों ने धीरे धीरे जैविक खेती से जुड़ना शुरू किया। गेहूं, धान, गन्ना, सरसों, सब्जियों आदि की जैविक खेती की। खेतों में कोई भी रासायनिक उर्वरक नहीं डाला। पहले साल में फसलों की पैदावार घटी लेकिन अगले सालों में बढ़ी। फसलों की पैदावार भले ही घटी लेकिन फसलों की अच्छी कीमत किसानों को मिली।
ये भी पढ़ेंः UP News: 400 KG का ताला बनाने वाले शिल्पी सत्यप्रकाश नहीं रहे, श्रीराम मंदिर को भेंट करने के लिए बनाया था खास लॉककिसानों ने योजना के पहले ही चरण में 46 करोड़ से ज्यादा का माल बेचा। पहले साल में किसानों ने 12 करोड़, दूसरे साल में 16 करोड़ और तीसरे साल में 18 करोड़ रुपये की फसल बेचीं।
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योजना में गांव तैय्यबपुर गौरवा, सबलगढ़, बादशाहपुर, दयालवाला, जहानाबाद, खलीउल्लापुर, खेड़की हेमराज, मोहिउद्दीनपुर, रफीउलनगर उर्फ रावली, सैफपुर खादर, तैय्यबपुर काजी, टीप, दारानगर, निजामतपुरा, रसूलपुर पित्तनका, सलेमपुर मथना, बसंतपुर, दत्तियाना, सुजातपुर खादर में जैविक खेती कराई गई।जैविक खेती के सकारात्मक परिणाम सामने आए हैं और किसानों की आमदनी भी बढ़ी है। काफी किसान पहले खुद के प्रयोग के लिए ही जैविक खेती करने लगे हैं। डा.केएस यादव, परियोजना समंवयक-डास्प