Reindeer In Bijnor: उत्तराखंड आपदा के बाद बारहसिंगा को भाया बिजनौर का एरिया; बरसात में गंगा तट से रामगंगा नदी की तरफ बढ़े झुंड
Reindeer In Bijnor इस साल भी जिले के साथ साथ उत्तराखंड में बादलों ने खूब पानी बरसाया और गंगा भी उफनी रही। कई दिन तक गंगा में पानी खतरे के निशान के पास ही चलता रहा। गंगा में पानी बढ़ा रहने और वेटलैंड एरिया पूरी तरह पानी में डूबे रहने की वजह से बारहसिंगा ने एक बार फिर से अपनी जान बचाने के लिए पलायन किया है।
जागरण, संवाददाता, बिजनौर। केदारनाथ आपदा के बाद फिर से एक बार बारहसिंगा ने पलायन किया है। बारासिंघा गंगा के तट से इस बार हरेवली क्षेत्र में रामंगा नदी के किनारे पहुंच गए हैं। वहां पर उनकी संख्या इस बार काफी देखी जा रही है जबकि गंगा के किनारे बारहसिंगा न के बराबर दिख रहे हैं।
गंगा किनारे हजारों बीघा भूमि में वेटलैंड है। यहां 300 से ज्यादा देशी-विदेशी प्रजाति के पक्षी कलरव करते रहते हैं। यहां बारहसिंगा के बड़े झुंड भी देखे जा सकते हैं।
आपदा में बह गए थे बारहसिंगा
साल 2013 में उत्तराखंड में आई आपदा का सारा पानी जिले में ही गंगा नदी में आया था। तब गंगा खतरे के निशान से काफी ऊपर बही थी। कहा जाता है कि तब काफी बारहसिंगा पानी की तेज धारा में बह गए थे। इसके अलावा बारहसिंगा अपनी जान बचाने के लिए ऊंचाई पर स्थित उत्तराखंड की झिलमिला रेंज में भी चले गए थे।
इसके बाद काफी साल तक गंगा बैराज के आसपास बारहसिंगा या तो दिखे नहीं या एक दो की संख्या में दिखे।तीन चार साल पहले बारहसिंगा के बड़े झुंड भी गंगा की रेती में घूमते हुए देखे जा रहे थे और इनकी संख्या में काफी इजाफा हुआ था।
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झिलमिला रेंज की बजाए हरेवली बैराज के पास झुंड
बारहसिंगा ने इस बार झिलमिला रेंज जाने के बजाए बिजनौर में ही हरेवली बैराज के पास के क्षेत्र का रुख किया है। गंगा बैराज के आसपास बारहसिंगा नहीं दिख रहे हैं जबकि हरेवली बैराज के पास खादर क्षेत्र में बारहसिंगा बड़ी तादाद में दिखाई दे रहे हैं।
नदियों की नरम रेती में मिलता है संरक्षण
बारहसिंगा के पैरों के खुर बहुत मुलायम होते हैं। ये सख्त भूमि वाले इलाके में नहीं रह पाते हैं। नदियों की नरम रेती वाली भूमि में इन्हें सबसे ज्यादा संरक्षण मिलता है। साथ ही वेटलैंड में इन्हें खाने के लिए मनपसंद घास भी मिल जाती है।
गंगा के खादर में इस बार बारहसिंगा दिखाई नहीं दे रहे हैं। हरेवली क्षेत्र में अबकी बार बारहसिंगा के झुंड देखे जा रहे हैं। इस बार जिले के ही दूसरे इलाके में पलायन किया है। - अरुण कुमार सिंह, डीएफओ