UP News: देश का पैसा बचाने में यूपी में नंबर वन बने बिजनौर के किसान, ऐसे बचाई रकम, खेती में लागत घटाई और पैदावार बढ़ाई
UP News बिजनौर के किसान देश का पैसा बचाने में यूपी में नंबर वन बने हैं। बिजनौर जिले में डीएपी की सबसे ज्यादा बोतल बिक्री की हैं। पिछले साल यूरिया की खरीदारी में जिले के किसान पूरी यूपी में नंबर दो पर थे और इस साल नैनो डीएपी की खरीद में जिले के किसान सूबे में पहले नंबर पर हैं।
जागरण संवाददाता, बिजनौर: जिले के किसान देश का पैसा बचाने में उत्तर प्रदेश में नंबर वन हैं। किसानों ने इस साल केवल छह महीनों में नैनो डीएपी का प्रयोग करके लगभग साढ़े आठ करोड़ की रकम बचाई है। उत्तर प्रदेश में सबसे अधिक नैनो डीएपी की बोतल बिजनौर में बिकी हैं। इसके अलावा नैनो यूरिया की बिक्री भी खूब हो रही है। इनसे विदेशों को जाने वाला पैसा बच रहा है।
यूरिया के प्रयोग में कम मिलता है लाभ
किसान खेतों में फसलों की पैदावार के लिए दानेदार यूरिया, डीएपी आदि का प्रयोग करते हैं। इनके प्रयोग से फसलों को बेशक फायदा होता है लेकिन केवल 30 से 35 प्रतिशत दानेदार खाद का लाभ ही फसल को मिल जाता है। बाकी खाद पानी के साथ घुलकर जमीन के अंदर चला जाता है या फिर हवा में उड़ जाता है। यानि जितना फायदा फसल को नहीं होता उससे ज्यादा नुकसान मिट्टी, हवा और भूगर्भ जल को होता है।
किसानों को भारी सब्सिडी देती है सरकार
इसके अलावा दानेदार डीएपी व यूरिया का 90 प्रतिशत हिस्सा विदेशों से मंगवाया जाता है और 50 किलो की हर बोरी पर केंद्र सरकार किसानों को भारी मात्रा में सब्सिडी देती है। देश का पैसा इससे बाहर जाता है और विदेशी मुद्रा भंडार कम होता है। इसे रोकने के लिए केंद्र सरकार ने देश में बना नैनो यानी तरल यूरिया बाजार में उतारा था और इस बार नैनो डीएपी बाजार में लाया गया है।
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इतनी है कीमत
दानेदार यूरिया की एक बोरी 1350 और यूरिया की बोरी 226 रुपये में मिलती है। जबकि आधा लीटर की नैनो डीएपी की बोतल 225 और डीएपी की बोतल 600 रुपये में मिलती है। कायदे से एक बोरी एक एकड़ में बिखरनी चाहिए लेकिन किसान 45 किलो की एक बोरी में मिलने वाला खाद केवल दो बीघा जमीन में डाल देते हैं। नैनो डीएपी की एक बोतल का स्प्रे एक एकड़ जमीन में किया जाता है।
ऐसे बचाई देश की रकम
नैनो डीएपी की एक बोतल पर केंद्र सरकार द्वारा एक हजार 632 रुपये पांच पैसे का अनुदान दिया जाता है। बिजनौर के किसानों ने सर्वाधिक 52 हजार बोरे छह माह में खरीदे हैं। किसानों ने डीएपी की बोरी नहीं खरीदी और इससे आठ करोड़ 48 लाख 66 हजार 600 रुपये सब्सिडी के बचे हैं। इसके अलावा यूरिया की एक बोरी पर एक हजार 742 रुपये 81 पैसे की सब्सिडी मिलती है। किसानों ने यूरिया की 12 हजार बोतल खरीदकर दो करोड़ नौ लाख 13 हजार 720 रुपये देश के बचाए हैं।
डीएपी की बिक्री की स्थिति
- बिजनौर, 52,000
- लखीमपुरखीरी, 22,000
- शाहजहांपुर, 19,000
- बुलंदशहर, 10,000
- फिरोजाबाद, 17,000
जिले के किसानों ने डीएपी और नैनो यूरिया के प्रयोग के प्रति काफी जागरूक हुए हैं। नैनो यूरिया व डीएपी से फसलों की पैदावार बढ़ती है और किसी तरह का प्रदूषण नहीं होता है। शैलेंद्र सिंह, जिला उपमहाप्रबंधक, इफ्को
नैनो यूरिया और डीएपी के प्रयोग से किसानों की खाद आदि की लागत भी घट रही है और पैदावार बढ़ रही है। किसानों को इनके प्रयोग के लिए जागरुक किया जा रहा है। जसवीर सिंह, जिला कृषि अधिकारी