छतारी : सुख और दुख मानव जीवन के अत्यंत महत्वपूर्ण पहलू है, दोनों अन्योन्याश्रित है। एक के बिना दूसरे
By Edited By: Updated: Tue, 04 Oct 2016 09:51 PM (IST)
छतारी : सुख और दुख मानव जीवन के अत्यंत महत्वपूर्ण पहलू है, दोनों अन्योन्याश्रित है। एक के बिना दूसरे का अस्तित्व नहीं अर्थात यदि दुख नहीं, तो सुख का कोई महत्व नहीं और यदि सुख न हो तो दुख मूल्यहीन है। इसलिए जीवन में सुख और दुख दोनों ही आवश्यक है। जीवन में दुख तो आते ही रहते हैं। इनसे कभी भी घबराना नहीं चाहिए क्योंकि दुख के बाद सुख अवश्य मिलता है। दुख के बाद आने वाला सुख अधिक आनंद दायक होता है। जैसे धूप में चलने के बाद छाया सुखदाई लगती है। ठीक उसी प्रकार कष्टों को झेलने के बाद आने वाला सुख बहुत ही आनंदमय होता है। दुख द्वारा मनुष्य के दुर्गुणों का परिस्कार होता है। दुख में व्यक्ति का अहंकार नष्ट होता है, आलस्य दूर होता है। दुख के निवारणर्थ व्यक्ति कर्मपथ पर अग्रसर होता है, आगे आने वाली चुनौतियों कठिनाईयों का सामना करता है। इससे उसका व्यक्तित्व कर्मठ और संघर्षशील बनाता है। साथ ही वह अपने कार्यों को सफलता पूर्ण पूरा करता है। इसलिए प्रत्येक मनुष्य को सुखी जीवन बिताने के लिए अपना लक्ष्य निर्धारण करना चाहिये। जिस पर चलकर मनुष्य अपने लक्ष्य की प्राप्ति कर सके। लक्ष्य की प्राप्ति के समय हमेशा यह भी ध्यान रखना चाहिए कि जिस लक्ष्य की आप प्राप्ति करना चाह रहे हैं। उससे किसी दूसरे व्यक्ति को तो कोई परेशान नहीं हो रही है। युवा अवस्था में अगर कोई कुछ ठान ले, तो वह अपने लक्ष्य की प्राप्ति आसानी से कर सकता है। आज के युवाओं को सुख-सुविधाओं का मोह त्यागकर अपने ज्ञान, प्रतिभा, साहस, संयम और संकल्प से दिशाहीन जगत को दिशा प्रदान करनी चाहिए।
- पीके गुप्ता, प्रधानाध्यापक
जीनियस पब्लिक स्कूल, छतारी। जीवन में लक्ष्य धारण करना बेहद जरुरी
एक नाव को यदि यूं ही सागर में छोड़ दिया जाये, तो वह दिशाहीन होने के बाद भटकती रहती है। उसका अंत क्या होगा और कब होगा, यह कोई नहीं जानता। उसी प्रकार मनुष्य जीवन भी यदि दिशाहीन हो जाए, तो वह अनिश्चितता के सागर में गोते खाता रहता है। वह अपनी मंजिल तक नहीं पहुंच पाता है। इसलिए हम सबको जीवन में आगे बढ़ने और कोई मुकाम पाने के लिए एक लक्ष्य निर्धारण करना बेहद जरुरी है। हर किसी का कोई ना कोई सपना जरुर होता है। कोई डाक्टर, कोई इंजीनियर तो कोई राजनेता बनने के ख्बाव अपने मन में पाले रहता है। इसके अलावा वैसे तो कई व्यवसाय हो सकते हैं। जिसमें जाकर कोई भी धन आसानी से कमा सकता है, लेकिन उसे केवल यह धन कमाना ही लक्ष्य नहीं बनाना चाहिये। बल्कि यह ध्यान रखना चाहिये कि वह अपने क्षेत्र में रहकर किस तरह से समाजसेवा कर सकता है। मनुष्य को अपने लक्ष्य को निर्धारण करते समय मानवता के प्रति अपने कर्तव्यों को भी नहीं भूलना चाहिये। जिससे समाज और देश में उसकी एक अच्छी छाप बन सके। ऐसा मेरा मानना है जब भी में डाक्टरों द्वारा मरीजों को संतुष्टि पहुंचाते देखता हूं, तो मेरी इच्छा और भी बलबती हो जाती है। साथ ही शिक्षक के रूप में जब में बच्चों को शिक्षित करता हूं, तो लगता है कि मैं उनके जीवन में नई ऊर्जा भर रहा हूं। ज्ञान को अर्जित करके बच्चों विभिन्न क्षेत्रों में अपने कर्तव्यों का निर्वहन करेंगे, तो मुझे काफी सुख महसूस होगा। छात्र और युवाओं को अपने महान लक्ष्य को पूरा करने के लिए आराम और सुविधाओं का त्याग करना होगा। अगर आप किसी से विनम्रता और प्रेम पूर्वक बात करेंगे, तो उसका आधा दर्द स्वयं ही दूर हो जाता है। हर किसी को सुखी रहने के लिए अपने लक्ष्य के प्रति दृढ संकल्प रहना चाहिये। - अमित वाष्र्णेय
प्रधानाध्यापक, वीबीएल पब्लिक स्कूल चौढ़ेरा, छतारी। जीवन के लिये करियर प्ला¨नग जरूरी युवाओं को छात्र जीवन से ही अपने करियर के प्रति सजग होना चाहिए और स्कूली कक्षा से ही जीवन के लक्ष्य निर्धारित अवश्य कर लेना चाहिये। समुचित कैरियर प्रबंधन के माध्यम से ही व्यक्ति जीवन में अपने लक्ष्य को प्राप्त कर सकता है। साथ ही अपने जीवन में उद्देश्य पूर्ति होने पर व्यक्ति सुखी एवं संतोषजनक जीवन यापन करेगा। वेद-पुराणों में कहा कि किसी एक को ही नहीं, बल्कि समाज के प्रत्येक व्यक्ति को अपने लक्ष्य की प्राप्ति के लिए प्लानिंग जरुर करनी चाहिए। जिससे अपने लक्ष्य को प्राप्त करने में उसे किसी प्रकार की कोई परेशान नहीं हो। - एसके माहेश्वरी, शिक्षक। सुखी रहने के लिए जीवन को लक्ष्य के प्रति करे समर्पित अपने जीवन में सुखी रहने के लिए लक्ष्य की प्राप्ति करना बेहद जरुरी है। इसके लिए अपने जीवन को भी समर्पित करना पड़ जाए, तो कोई बड़ी बात नहीं। मनुष्य का कर्म किसी दिशा अथवा लक्ष्य को अवश्य समर्पित होता है। दिशा अथवा लक्ष्य के बिना कर्म वास्तव में कर्म नहीं होता। अच्छे या फिर बुरे कर्म करने से पहले लक्ष्य निर्धारित किया जाना चाहिए कि आखिर उनका क्यां असर पड़ेगा। जिससे सर्तकता आपको बचा सके और मंजिल दिला सके। अब प्रश्न यह है कि जीवन का क्या लक्ष्य होना चाहिए। कर्म किस दिशा अथवा लक्ष्य को समर्पित होने चाहिए, तो उसे अपने मन और लग्न के ऊपर छोड़ दे। - रश्मि राजपूत, शिक्षिका। क्या रुपये कमाना ही जीवन का लक्ष्य वर्तमान समय में मनुष्य अपने कर्तव्यों को भूलता जा रहा है। उसके जीवन का एकमात्र लक्ष्य रुपये कमाना हो गया है। आज के समय में हर कोई अधिक से अधिक पैसा कमाना चाहता है। पैसा कमाने के लिए वह उचित, अनुचित, ठीक अथवा गलत कोई भी साधन अपनाने क्यों ना अपनाना पड़ जाए। धर्म अथवा नैतिकता के सिद्धांत उसके लिए पुराने पड़ गए हैं। पैसा कमाने की होड़ सी लग गई है। तो क्या पैसा कमाना ही जीवन का लक्ष्य है। क्या पैसे से सुख और शांति प्राप्त हो जाती है। क्या पैसे से वर्तमान और भविष्य तथा लोक और परलोक संवर जाते हैं। शायद नहीं कदापि नहीं। - भक्ति जैन, शिक्षिका। मेहनत से कमाया हुआ धन देता है साथ बेईमानी से कमाया हुआ पैसा व्यक्ति को रोटी तो दे सकता है किन्तु भूख नहीं। यह पैसा व्यक्ति को नरम बिस्तर तो दे सकता है किन्तु नींद नहीं। अर्थात ऐसा पैसा उसे भोग विलास की वस्तुएं दे सकता है, किन्तु मन की शांति नहीं। बेमानी कमाये गये पैसे वालों को अधिकांश दुख और कष्टों से गुजरते देखा गया है। वे अधिक अशांत रहते है। इसलिए सुखी रहने के लिए मेहनत का पैसा ही साथ देता है। - त्रिवेंद्र चौधरी, छात्र। सूझ-बूझ के साथ करना चाहिये कार्य मानव जीवन की सफलता के लिए मानसिक, आत्मिक और शारीरिक शक्ति होने की आवश्यकता होती है। यदि मानसिक शक्ति प्रबल हो तो मनुष्य सूझ-बूझ से कार्य कर सकेगा। यदि मन में आशा, उत्साह, दृढता, लगन, स्फूर्ति आदि के भाव हो, तो किसी भी कार्य को सहजता से किया जा सकता है। पुस्तक सामने होने पर भी अनियंत्रित मन खेल के मैदान और टीवी के कार्यक्रमों में विचरता रहेगा। इसलिए किसी मुकाम को पाने के लिए लक्ष्य जरुरी है। - वरुण कुमार, छात्र। जीवन लक्ष्य बड़ा सदैव बड़ा जो व्यक्ति चांदी प्राप्त करने का विचार करता है वह सोना प्राप्त करने वाले कार्य कर ही नहीं सकता। इसलिये जीवन में लक्ष्य सदैव बड़ा ही होना चाहिये। यह संसार कर्मभूमि है और मानव योनि कर्म योनि है। इस संसार में रहकर सबको कुछ न कुछ कर्म करना पड़ता है। इसलिए सुखी जीवन के लिए अच्छे कर्म करने चाहिये। - खुशी गौड़, छात्रा।
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