Ground Report: सांसद बनाम सांसद, रण में जातीय किलेबंदी, तीन दशक का किला बचेगा या ढहेगा?, बुलंदशहर से खास रिपोर्ट
यूं तो मुद्दे कई हैं पर वे चुनावी गंगा की लहरों में उतराते नजर नहीं आ रहे। जाट व लोधी की निष्ठा बुलंदशहर सांसद बनाम सांसद रण में जातीय किलेबंदी पौराणिक अवंतिका मंदिर और कुचेसर किले की विरासत समेटे बुलंदशहर के आम सात समुंदर पार तक अपनी मिठास लुटाते हैं। पर चुनावी बिगुल बजते ही यहां जातीय किलेबंदी और खटास अलग होती है। पढ़िए आलोक मिश्र की रिपोर्ट...
आलोक मिश्र, बुलंदशहर। यूं तो मुद्दे कई हैं, पर वे चुनावी गंगा की लहरों में उतराते नजर नहीं आ रहे। जाट व लोधी की निष्ठा की दीवारें इतनी ‘बुलंद’ हैं, जो भगवा गढ़ को कमजोर नहीं पड़ने देती। इस बार दो सांसद आमने-सामने हैं और उनकी प्रतिष्ठा दांव पर। बुलंदशहर की राजनीतिक तस्वीर पर प्रमुख संवाददाता आलोक मिश्र की रिपोर्ट... जातीय किलेबंदी
काला−आम चौराहा
बलिदानियों के साहस का गवाह काला-आम चौराहा दूधिया रोशनी से नहाया था। वाहनों की कतार से अलग निजी कंपनी में काम करने वाले ओमवीर एक कोने में दोस्त उदयराज के साथ खड़े थे। उनके बीच शहर के विकास को लेकर बहस छिड़ी थी। ओमवीर कहते हैं, ‘दिल्ली के पास होने के बाद भी अपने शहर में सड़कों पर बेतरतीब यातायात कितना अजीब लगता है।
पूरे शहर के ट्रैफिक को लाल-नीली बत्ती से संचालित होना चाहिए।’ देख रहे हो- ‘कोई हेलमेट-सीटबेल्ट के लिए टोकने वाला तक नहीं।’ इस पर उदयराज बीते वर्षों में काफी कुछ बदलने का तर्क देते हैं। कहते हैं, ‘अब बिजली नहीं जाती। कानून-व्यवस्था बेहतर हुई है।’ साफ है कि और उम्मीदों के साथ ही लोगों में बढ़ी सुविधाओं को लेकर कुछ संतोष भी है। पर, चुनाव की चर्चा छिड़ते ही जातीय खांचे गहराने लगते हैं।
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हमें तो कारोबार करना है...
चौराहे से कुछ दूरी पर अंसारी रोड पर स्थित बाजार की चमक हमेशा अलग रहती है। यहां टेलर मु. नदीम चुनाव की चर्चा छिड़ने पर कहते हैं, हमें तो कारोबार करना है। अभी तो चुनाव पता भी नहीं चल रहा। इस बार सपा का प्रदर्शन बेहतर होने की उम्मीद जताते हैं। शहर से दूर स्याना में आम की पट्टी में भी मुद्दे तो हैं, पर गहराते नहीं। आम कारोबारी मनोज त्यागी पिछली फसलों में नुकसान की बात कहते हैं। बोले, ‘इस बार राहत है। खेती-कारोबार में उतार-चढ़ाव तो चलता रहता है।’ भाजपा का प्रत्याशी न बदलने पर नाराजगी जताते हैं। कहते हैं- ‘खैर, इससे फर्क नहीं पड़ता। चुनाव मोदी-योगी का है। इसलिए हैट्रिक लग जाएगी।’कल्याण सिंह के गढ़ से सटा है बुलंदशहर
पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह के गढ़ अलीगढ़ से सटे इस लोकसभा क्षेत्र में भी ‘बाबूजी’ का खास प्रभाव रहा है। उन्होंने 2004 के लोकसभा चुनाव में बुलंदशहर सीट से परचम लहराया था। इस बार वह नहीं हैं, लेकिन चुनावी रण में उनके समर्थकों की धाक अब भी उतनी ही मानी जा रही है।भाजपा ने तीसरी बार डा. भोला सिंह को मैदान में उतारा है। 2009 व 2014 के लोकसभा चुनाव में लगातार दो बार जीत दर्ज कर चुके भोला सिंह इस बार परंपरागत वोटबैंक के सहारे हैट्रिक लगाने की चाहत लेकर मैदान में हैं।
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