सरकारी विभागों में टैक्सी में चलाए जा रहे प्राइवेट नंबर के वाहन
जिलेभर में सड़कों पर बिना परमिट दौड़ने वाले वाहनों पर कार्रवाई पुलिस-प्रशासन व परिवहन विभाग के अफसर करते हैं लेकिन यही अफसर बिना परमिट के वाहनों में सवार होकर दिनभर सरकारी कामकाज से इधर-उधर घूमते हैं। ऐसे कई सरकारी विभागों में अनुबंध पर लगे वाहनों में से अधिकांश पर टैक्सी परमिट तक नहीं है। ऐसे में सवाल यह उठता है कि आखिर इनके फर कार्रवाई कौन करेगा।
By JagranEdited By: Updated: Wed, 04 Nov 2020 10:18 AM (IST)
जेएनएन, बुलंदशहर।
जिलेभर में सड़कों पर बिना परमिट दौड़ने वाले वाहनों पर कार्रवाई पुलिस-प्रशासन व परिवहन विभाग के अफसर करते हैं, लेकिन यही अफसर बिना परमिट के वाहनों में सवार होकर दिनभर सरकारी कामकाज से इधर-उधर घूमते हैं। ऐसे कई सरकारी विभागों में अनुबंध पर लगे वाहनों में से अधिकांश पर टैक्सी परमिट तक नहीं है। ऐसे में सवाल यह उठता है कि आखिर इनके फर कार्रवाई कौन करेगा। प्राइवेट वाहन को किराए पर चलाने के लिए उसका टैक्सी परमिट लेना जरूरी होता है, लेकिन आम लोगों के साथ सरकारी अधिकारी भी इन प्राइवेट गाड़ियों को टैक्सी के रूप में प्रयोग कर रहे हैं। कई विभागों में प्राइवेट वाहन लगे हैं, जिनका टैक्सी के हिसाब से किराया दर्शाया जाता है, लेकिन एक भी वाहन टैक्सी परमिट में वैद्य नहीं है। कई सरकारी विभागों में अधिकारियों के प्रयोग के लिए टैक्सी गाड़ियों को ठेके पर लेकर लगाया गया है। वर्तमान समय में ऊर्जा निगम, सिचाई विभाग, विकास भवन, बीडीए आदि विभागों में किराए की कई गाड़िया लगी हैं। इन सभी गाड़ियों को प्रति किलोमीटर या मासिक किराया दिया जाता है। नियमों की बात करें तो इसके लिए केवल टैक्सी परमिट की गाड़िया ही प्रयोग की जानी चाहिए, लेकिन कुछ विभागों को छोड़कर अधिकांश में बिना टैक्सी परमिट की गाड़ियां ही दौड़ रही हैं। जिससे उन्हें तो कोई नुकसान नहीं होता, मगर परिवहन विभाग को राजस्व का नुकसान जरूर होता है। इसको लेकर न तो कोई जांच की जाती है और ना ही कार्रवाई।
मिलीभत से हो रहा है खेल
संस्थानों में चल रही इन गाड़ियों के किसी जांच में फंसने से बचने के लिए संबंधितों ने इसका खेल भी अलग ही निकाल रखा है। कुछ विभागों में इन गाड़ियों का निजी कार्य में प्रयोग दिखाकर बिल पास कर लिया जाता है, तो कहीं टैक्सी परमिट वाहन स्वामियों से बिल लेकर लगा लिया जाता है। परमिट के लिए यह है नियम------ निजी और टैक्सी वाहन की पहचान के लिए परिवहन विभाग ने इनकी नम्बर प्लेट को अलग कर दिया है। निजी वाहन पर सफेद प्लेट पर काले रंग से नंबर लिखे होते हैं, जबकि टैक्सी वाहनों की नंबर प्लेट पीली रंगी होती है। इसके साथ ही विभागों को टैक्सी नंबरों के साथ ही नियमानुसार अनुबंध करना होता है, मगर ऐसा नहीं होता है। अफसर अपने चहेते को टेंडर देने और खेल करने के लिए बिना टैक्सी नंबरों से अनुबंध कर लेते हैं। इन्होंने कहा------
बिना टैक्सी नंबरों के अनुबंध नहीं किया जा सकता है, लेकिन अधिकांश विभागों में अनुबंध करते समय इसकी जानकारी नहीं मिल पाती है। इससे विभाग के राजस्व को भी नुकसान हो रहा है। - मोहम्मद कय्यूम, एआरटीओ प्रशासन
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