यूपी में चंदा करके 34 हजार रुपये में बुक की एंबुलेंस, अस्पताल पहुंचने से पहले 9 दिन के बच्चे की मौत
सिकंदराबाद क्षेत्र के गांव मुरादाबाद निवासी सूरज चौधरी इलेक्ट्रीशियन का काम करते हैं। उनकी पत्नी गर्भवती पत्नी अंशु का जिला महिला अस्पताल में इलाज चल रहा था। प्रसव का समय आया तो जिला महिला अस्पताल के चिकित्सकों ने स्थिति नाजुक बताकर मेरठ मेडिकल कालेज के अस्पताल रेफर कर दिया। किसी भी अस्पताल में वेंटीलेटर बेड नहीं मिलने पर बच्चे को लेकर भागते रहे।
जागरण संवाददाता, बुलंदशहर। अधिकारी और जनप्रतिनिधि बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं के दावे कर रहे हैं, लेकिन यहां बुलंदशहर, मेरठ, नोएडा और दिल्ली तक दौड़ने के बाद भी नवजात को वेंटीलेटर बेड नहीं मिला। प्रयागराज में वेंटीलेटर बेड मिलने की जानकारी हुई तो चंदा करके 34 हजार रुपये में निजी एंबुलेंस की। प्रयागराज पहुंचने से पहले ही नौ दिन के नवजात ने दम तोड़ दिया।
9 नवंबर को बच्चे को दिया जन्म
सिकंदराबाद क्षेत्र के गांव मुरादाबाद निवासी सूरज चौधरी इलेक्ट्रीशियन का काम करते हैं। उनकी पत्नी गर्भवती पत्नी अंशु का जिला महिला अस्पताल में इलाज चल रहा था। प्रसव का समय आया तो जिला महिला अस्पताल के चिकित्सकों ने स्थिति नाजुक बताकर मेरठ मेडिकल कालेज के अस्पताल रेफर कर दिया।
वेंटीलेडर बेड नहीं मिलने पर दिल्ली किया रेफर
वहां नौ नवंबर को आपरेशन से अंशु ने बेटे को जन्म दिया। सूरज चौधरी ने बताया कि नवजात बेटा दो किलोग्राम का था, लेकिन चिकित्सकों ने 11 नवंबर को सांस लेने में परेशानी बताई और वेंटीलेटर बेड खाली न होने पर दिल्ली के लिए रेफर कर दिया।दिल्ली में एम्स और सफदरगंज जैसे अस्पतालों में घूमने के बाद वह 13 नवंबर को बुलंदशहर पहुंचे। सबसे पहले जिला महिला अस्पताल के एसएनसीयू वार्ड गया, जहां से वेंटीलेटर न होने की बात कह कहीं और भर्ती कराने की सलाह दी गई। एक निजी अस्पताल से दूसरे में भटकने के बाद डीएम रोड स्थित निजी अस्पताल में दो दिन तक इलाज चला। यहां चिकित्सक ने बताया कि प्राइवेट में बहुत महंगा इलाज है। इसलिए सरकारी में ले जाओ।
प्रयागराज में वेंटीलेटर बेड मिलने की हुई बात
वेंटीलेटर न मिलने के बाद उन्होंने जिम्स नोएडा में संपर्क किया तो पता चला कि छह-सात बेड हैं। सभी फुल हैं। इसके बाद सूरज ने पत्नी के मायके प्रयागराज में अपने सालों से बात की। वहां वेंटीलेटर बेड मिलने की बात हो गई तो एंबुलेंस करने के लिए पैसे जेब में नहीं थे।इसके बाद उसने अपने परिचितों से बात की तो चंदा करके कुछ पैसे एकत्र हुए। वेंटीलेटर वाली निजी एंबुलेंस चालक ने 80 हजार रुपये मांगे। काफी बात करने बाद वह 34 हजार में जाने को तैयार हुआ। शनिवार की रात प्रयागराज से कुछ पहले ही एंबुलेंस में नवजात ने दम तोड़ दिया। सूरज के एक बेटा और एक बेटी हैं।
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