Move to Jagran APP

बाल पोषाहार बना पशुओं का आहार

By Edited By: Updated: Sat, 05 Apr 2014 09:04 PM (IST)

चकिया(चंदौली) : कुपोषण को जड़ से मिटाने के लिए गांव-गांव में आंगनबाड़ी केन्द्र स्थापित किए गये। नौनिहालों को पौष्टिक आहार के साथ ही हाटकुक्ड मिल जैसी तमाम योजनाओं से लाभान्वित किए जाने का खाका तैयार किया गया। पर विभागीय उपेक्षा के चलते बाल पोषाहार पशुओं का आहार बनकर रह गया है।

जागरण ने इस गंभीर मसले पर शहाबगंज विकास क्षेत्र के वनगांवा इलाके की शुक्रवार को पड़ताल की तो जमीनी हकीकत खुद बखुद सामने आ गयी। वन भीषमपुर ग्राम पंचायत अंतर्गत प्राथमिक विद्यालय के कैंपस में आंगन बाड़ी केंद्र भवन खुद की दुर्दशा की कहानी बयां करता नजर आया। दरवाजा खिड़की विहीन खड़हर में तब्दील होने को अग्रसर केन्द्र के प्रवेश द्वार पर पूजा व सदना नामक दो नौनिहाल बैठे नजर आए। उस समय घड़ी के प्रात: 9 बज रहे थे।

बताया कि मस्टराइन आवत होहिए, कहियो- कहियो सतुआ मिल जाला, दोपहर में भोजन मिलने के सवाल पर प्राथमिक विद्यालय में बन रहे मध्याह्न भोजन की ओर इशारा किए। कमोवेश यही स्थिति मूसाखाड़ आंगनबाड़ी केन्द्र पर देखने को मिली। यूं तो खुद का भवन अधूरा पड़े होने से खंड़हर की दशा बयां कर रहा था। प्राथमिक विद्यालय की एक कक्ष में संचालित होने वाले केन्द्र पर ताला लटकता रहा। चार नौनिहाल प्रात: 10 बजे कार्यकत्री व सहायिका का इंतजार करते रहे है। ग्रामीणों ने बेबाकी से कहा कि बाल पोषाहार पशुओं का आहार बन जाता है। खुले आम ढाई सौ रूपये प्रति बोरी बाल पोषाहार पशुओं के आहार के रूप में बिकता है।

मुबारकपुर में पांच लाख रुपये की लागत से हाल ही में तैयार चमचमाता आंगन बाड़ी केन्द्र भी बंद मिला।

क्या कहते हैं जिम्मेदारान

बाल विकास परियोजना अधिकारी( शहाबगंज ) मीनाक्षी देवी कहती हैं कि समय-समय पर आंगनबाड़ी केन्द्रों की जांच की जाती है। बाल पोषाहार पशुओं का आहार बनने के बाबत यह कहकर पल्ला झाड़ लेती हैं कि वह इसमें कर भी क्या सकती हैं।

आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।