गंगा नदी का जलस्तर चेतावनी बिंदु को पार कर गया है जिससे तटवर्तीय इलाकों में बाढ़ का खतरा मंडरा रहा है। 48 घंटों में जलस्तर में 20 फीट की वृद्धि हुई है। किसानों और ग्रामीणों में दहशत का माहौल है। कई गांवों में बाढ़ का पानी घुस चुका है और फसलें बर्बाद हो गई हैं। प्रशासन ने लोगों को सुरक्षित स्थानों पर जाने की सलाह दी है।
संवाद सूत्र, टांडाकला (चंदौली)। गंगा का जलस्तर रविवार की दोपहर में चेतावनी बिंदु को पार कर गया। इससे तटवर्तीय लोगों व किसानों में दहशत के साथ ही बेचैनी बढ़ने लगी है। गंगा का पानी श्मशान स्थल व टीन स्थल से होते हुए घाट पर जाने वाले मार्ग पर पहुंच गया है।
गंगा तटवर्ती क्षेत्रों के किसानों व ग्रामीणों को गंगा का जलस्तर बढ़ने से बाढ़ की आशंका को लेकर सहमे हुए है।
शुक्रवार को दिन में जलस्तर में वृद्धि का क्रम शुरू हो गया। शनिवार की रात से जलस्तर में तेजी से वृद्धि हुई।
रविवार की दोपहर दो बजे जलस्तर 70.31 हो गया, जबकि चेतावनी बिंदु 70.26 है। यह बिंदु पार करने से गंगा तट के किनारे बसे गांव महडौ़रा, कांवर, महुअरिया, पकड़ी, विशुपुर, महुआरी, सराय, बलुआ, डेरवा, महुअर कला, हरधन जुड़ा, विजयी के पूरा, गनेश के पूरा, चकरा सोनबरसा, टांडाकला, महमदपुर, सरौली, बड़गांवा, तीरगांवा हसनपुर, नादी निधौरा सहेपुर सहित अन्य गांवों के किसानों व ग्रामीणों को तमाम समस्याओं का सामना करना पड़ेगा।
दर्जनों गांव में बाढ़ का पानी पहुंचने से इलाके डूब जाते हैं। खेतों लगे फसलें जलमग्न होकर बर्बाद हो जाते हैं। बाढ़ प्रभावित पीड़ितों के समक्ष खाने से लेकर पशुओं के चारे की विकराल समस्या उत्पन्न हो जाती है। वहीं जगह-जगह पानी रुकने से संक्रमण रोगों का खतरा बन जाता है।
साथ ही गंगा कटान के चलते किसानों का हजारों एकड़ उपजाऊ जमीन गंगा में समाहित हो चुकी है। वहीं विषैले जीव जंतुओं का खतरा बना हुआ है। तटवर्तीय इलाकों के लोग परिवार बच्चों सहित घर के छतों पर आशियाना बनाकर रात जागकर गुजरने को विवश हो जाते हैं।
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