Heat Wave & Agriculture: सूरज की तपिश से पीली हो रही धान की नर्सरी, किसानों में मायूसी; बचाव के लिए ये है उपाय
पिछले एक सप्ताह से आग उगलती गर्मी के कारण पारा 43 डिग्री सेल्सियस के पार बना हुआ है। इससे खेतों में बोई गई फसलों पर विपरीत प्रभाव पड़ रहा है। खासकर सब्जी की फसल कुम्हलाने लगी है वहीं धान की नर्सरी भी सूखने के कगार पर पहुंच गई है।
चंदौली, जागरण संवाददाता। जून माह की शुरुआत में ही आग उगलती गर्मी ने अन्नदाताओं की पीड़ा को बढ़ा दिया है। जिन किसानों ने धान की नर्सरी डाल दी है, सूरज की तपिश से पीली व सफेद तो हो ही रही है, इसके साथ ही खेतों में दरार पड़ने से नर्सरी के खराब होने की संभावना बढ़ गई है। आने वाले दिनों में भी यही हाल रहा तो किसानों को और परेशानी का सामना करना पड़ेगा।
पिछले एक सप्ताह से आग उगलती गर्मी के कारण पारा 43 डिग्री सेल्सियस के पार बना हुआ है। इससे खेतों में बोई गई फसलों पर विपरीत प्रभाव पड़ रहा है। खासकर सब्जी की फसल कुम्हलाने लगी है, वहीं धान की नर्सरी भी सूखने के कगार पर पहुंच गई है।
जिले में 20 से 25 फीसदी से अधिक किसानों ने धान की नर्सरी डाल दी है। जिन किसानों के पास निजी संसाधन हैं वह तो खेत की सिंचाई कर ले रहे हैं, लेकिन जिनके पास व्यवस्था नहीं है उन्हें परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे में धान की नर्सरी पर मौसम का विपरीत प्रभाव पड़ रहा है।
कैसे करें बचाव
कृषि विज्ञान केंद्र के विज्ञानी डा अभयदीप गौतम ने बताया कि धान की नर्सरी पीली व सफेद हो रही हो तो खेत में प्रति टंकी तीन सौ ग्राम यूरिया, 75 ग्राम जिंक सल्फेट, 75 ग्राम फेरस सल्फेट के साथ 23 मिलीग्राम मात्रा प्रोपिकोनाजोल को डालकर घोल बनाकर छिड़काव करें। छिड़काव करते समय इस बात का विशेष ध्यान रखें कि हवा न बह रही हो। साथ ही समय-समय पर सिंचाई भी करते रहें।
खेत में नमी बनाए रखने की जरूरत
किसानों को सुझाव देते हुए उप कृषि निदेशक ने बताया कि शाम को खेत में पानी लगाएं तो सुबह निकाल दें। इससे नर्सरी को फायदा होगा। उप कृषि निदेशक बसंत कुमार दुबे ने कहा कि जिन किसानों ने धान की नर्सरी डाल दी है। भीषण गर्मी को देखते हुए खेत में नमी बनाए रखने की जरूरत है, ताकि नर्सरी सूखने न पाए। समय-समय पर सिंचाई करते रहें।