जुनून ने लक्ष्मी को बनाया रेलवे की पहली चक्का टर्नर
कहते हैं कि किसी काम को करने का जज्बा हो तो रास्ते में चाहे कितनी भी अड़चनें आएं, व्यक्ति उसे बिना पाए नहीं रह सकता है।
जागरण संवाददाता, पीडीडीयू नगर (चंदौली): कहते हैं कि किसी काम को करने का जज्बा हो तो रास्ते में चाहे कितनी भी अड़चनें आएं, व्यक्ति उसे बिना पाए नहीं रह सकता है। कुछ ऐसा ही रेलवे की पुलिस कालोनी निवासी लक्ष्मी देवी ने कर दिखाया है। कार्य करने के जुनून से लक्ष्मी भारतीय रेलवे में पहली रेल चक्का टर्नर बन गई। वर्तमान में लक्ष्मी की मेहनत से उनका परिवार खुशहाल है। वहीं रेलवे अधिकारी पर लक्ष्मी की इस सफलता से प्रसन्न रहते हैं।
लक्ष्मी देवी के पति बब्बन राम स्थानीय रेलवे के कैरेज एंड वैगन विभाग में काम करते थे। बीमारी के कारण वर्ष 2001 में पति की मौत हो गई। पति की मौत के बाद लक्ष्मी का परिवार टूट सा गया। एक बेटी व एक बेटे की परवरिश के लिए लक्ष्मी भी क्या करें कुछ समझ नहीं पा रही थी। पति के स्थान पर वर्ष 2003 लक्ष्मी को नौकरी मिल गई। पहले लक्ष्मी की ड्यूटी स्टेशन पर लगाई गई। उस समय लक्ष्मी को इतना मानदेय नहीं मिल पाता था, जिससे कि वे घर की गाड़ी खींच सकें। इसकी ¨चता लक्ष्मी को सताने लगी। लक्ष्मी भी कुछ अलग करने का मन बना ली। हालांकि स्टेशन पर ही उन्होंने पूरे मनोयोग से कार्य किया। उनके कार्य को देखते हुए प्रमोशन की चर्चा भी रेल अधिकारियों ने की। इसके बाद उनको वैगन कैयर सेंटर में स्थानांतरित किया गया। यहां लक्ष्मी ने ऐसा कर दिखाया जिसे किसी ने उम्मीद भी नहीं की थी। वे पूरे लगन व मेहनत से काम करने लगी। अपनी लगन से लक्ष्मी वर्ष 2011 में भारतीय रेलवे की पहली रेल चक्का टर्नर वन बन गईं। वर्तमान में उन्होंने अपनी बेटी की शादी बड़े ही धूमधाम से की और बेटे को बी-टेक की पढ़ाई कराकर इंजीनियर बनाया।
बातचीत में लक्ष्मी ने बताया कि पति की मौत के बाद परिवार पर गमों का पहाड़ टूट पड़ा। हालांकि पति के स्थान पर जब उन्हें नौकरी मिल तो गाड़ी कुछ चली लेकिन वे कुछ अलग ही करना चाहती थीं। जो उन्होंने सोचा था, आज उसे पूरा भी कर रही हैं।