चरागाह बना पीडीडीयू जंक्शन का यार्ड
इन दिनों पशुओं के चारागाह और स्थानीय रेल यार्ड के बीच फर्क कर पाना काफी मुश्किल काम है। कारण यार्ड में जहां भी नजर जाएगी ट्रेनों के साथ छुट्टा पशु दिखाई देंगे।
जागरण संवाददाता, पीडीडीयू नगर (चंदौली): इन दिनों पशुओं के चारागाह और स्थानीय रेल यार्ड के बीच फर्क कर पाना काफी मुश्किल काम है। कारण यार्ड में जहां भी नजर जाएगी ट्रेनों के साथ छुट्टा पशु दिखाई देंगे। कभी पटरियों के बीच चरते हुए तो कभी चारे की तलाश में प्लेटफार्म के पास। ऐसे में दुर्घटना की आशंका बनी रहती है। जिम्मेदार सब कुछ जानते हुए भी खामोश हैं। इस इंतजार में कि कोई बड़ी घटना हो तो हरकत में आएं।
पीडीडीयू जंक्शन के आस-पास यार्ड में बहुतायत संख्या में छुट्टा पशुओं को देखकर कहा जा सकता है कि यार्ड से होकर गुजरने वाली ट्रेनें सुरक्षित नहीं हैं। इक्का, दुक्का हों तो ठीक सैकड़ा की संख्या में पशु यार्ड में विचरण करते रहते हैं। नजारा आम है लेकिन रेल महकमें के अधिकारियों को नजर नहीं आ रहा है। समस्या भी नई नहीं है। बशर्ते समाधान के अभाव में नासूर जरूर बन चुकी है। प्रतिदिन दर्जनों ट्रेनें यार्ड से होकर गुजरती हैं। इनमें अधिकांश मालवाहक ट्रेनें होती हैं। प्राय: ऐसा भी होता है कि ट्रेनों के आगे पशु आ जाते हैं, जो दुर्घटना का कारण बन सकते हैं। लेकिन रेलवे पशुओं की आवाजाही पर रोक लगाने की दिशा में कोई पहल नहीं कर रहा है। कभी-कभी तो पशु प्लेटफार्मों तक भी पहुंच जाते हैं। पशुओं पर रोक टोक लगाने की जिम्मेदारी रेलवे सुरक्षा बल को दी गई थी। लेकिन समस्या यह कि जवानों की कमी से जूझ रहा महकमा अपनी मूल जिम्मेदारी निभाए या पशुओं को हटाए। जनसंपर्क अधिकारी पृथ्वीराज का कहना है कि पशुओं को भगाने की जिम्मेदारी आरपीएफ को दी गई थी। मामले से उच्चाधिकारियों को अवगत कराया जाएगा।