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तिलिस्म से भरा है राजदरी, देवदरी जल प्रपात..

जागरण संवाददाता चंदौली पूर्वांचल का स्वर्ग कहे जाने वाले राजदरी देवदरी जल प्रपात भले ही पर्य

By JagranEdited By: Updated: Mon, 16 Nov 2020 11:44 PM (IST)
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तिलिस्म से भरा है राजदरी, देवदरी जल प्रपात..

जागरण संवाददाता, चंदौली : पूर्वांचल का स्वर्ग कहे जाने वाले राजदरी, देवदरी जल प्रपात भले ही पर्यटकों के लिए मनोरम ²श्य उत्पन्न करते हैं, लेकिन इनका नाता तिलिस्म व गुफाओं से भी है। जल प्रपात के नीचे बनी गुफाएं अपने आप में रहस्यों को समेटे हुए हैं। कई बार स्थानीय नागरिकों के साथ पैरामिलिट्री के जवानों ने इन गुफाओं में घुसने का प्रयास किया कितु उन्हें सफलता नहीं मिली।

चंद्रप्रभा सेंचुरी एरिया में स्थित राजदरी व देवदरी जल प्रपात की मनोरम छटा किसी से छुपी नहीं है। इसी का परिणाम है कि यहां सावन व भादों के महीने में कश्मीर व पहलगाम की सुषमा समेटे वादियों को निहारने के लिए पूर्वांचल समेत नीदरलैंड, हालैंड, स्वीटजरलैंड, जापान सहित अन्य परदेशी पर्यटक खुद ब खुद खिचे चले आते हैं। इन प्रपातों के नाम से ही जगजाहिर हो जाता है कि यहां कभी राजे रजवाड़ों के साथ देवता भी प्रकृति की आभा को देखने धरती पर उतर आया करते थे।

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मौजूद हैं गुफाएं

इन प्रपातों के इर्द गिर्द आज भी गुफाएं मौजूद हैं। चाहे राजदरी की बात करें या देवदरी की। प्रपात से गिरते पानी के नीचे व आस-पास कई गुफाएं अपने आप में कई रहस्यों को समेटे हुए हैं। बताया जाता है कि इन्हीं गुफाओं से होकर राजा महराजा एक स्थान से दूसरे स्थान को जाया करते थे। इनके गुप्तचर भी गुफाओं का प्रयोग कर दूसरे राज्य की गतिविधि का पता लगाते थे। आज भी नौगढ़ व विजयगढ़ के किले इन गुफाओं के गवाह हैं। कहा जाता है कि इन्हीं गुफाओं का प्रयोग कर अइयार (खास गुप्तचर) दुश्मन को ढेर कर देते थे। वर्तमान में कई गुफाओं को वन विभाग की ओर से बंद कर दिया गया है।

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यहां बैठाते हैं भूत-प्रेत

वैज्ञानिक युग में भले ही हम भूत प्रेत को न मानते हों लेकिन नवरात्र के महीने में ग्रामीण ओझा-सोखा की मदद से यहां खासकर देवदरी जल प्रपात की गुफाओं में प्रेत आत्मा को स्थापित करते हैं, ताकि उन्हें प्रेत आत्मा से मुक्ति मिल सके।

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गुफा में घुसने का प्रयास

वैसे तो ग्रामीण चरवाहे इन गुफाओं में अक्सर घुसने का प्रयास करते रहते हैं, लेकिन अंधेरे के भय से उनकी हिम्मत जवाब दे जाती है। राजदरी जल प्रपात में छह वर्ष पूर्व सीआरपीएफ के तत्कालीन सहायक कमांडेंट गणेश प्रताप सिंह ने जवानों के साथ रस्सी के सहारे गुफा के अंदर घुसकर अंदर का नजारा देखा था। हालांकि लंबी गुफा होने के कारण कुछ दूर जाकर वे वापस लौट आए। इसके पूर्व भी कई अधिकारी गुफा में प्रवेश करने की प्रयास कर चुके हैं।

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वर्जन

जल प्रपात में गुफाएं मौजूद हैं। इनके रहस्य के बाबत जानकारी नहीं हैं। गुफा में जाने के लिए लोगों को मना किया जाता है।

एबी सिंह, वन क्षेत्राधिकारी चकिया