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लाबशा कालेज में वीर सावरकर की मनाई जयंती

पीडीडीयू नगर(चंदौली) नगर के लालबहादुर शास्त्री महाविद्यालय में शनिवार को कालेज के सभागार में वीर सावरकर की जयंती मनाई गई।

By JagranEdited By: Updated: Sat, 28 May 2022 06:24 PM (IST)
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लाबशा कालेज में वीर सावरकर की मनाई जयंती

जागरण संवाददाता, पीडीडीयू नगर(चंदौली): नगर के लालबहादुर शास्त्री महाविद्यालय में शनिवार को कालेज के सभागार में वीर सावरकर की जयंती मनाई गई। इस अवसर पर महाविद्यालय परिवार के लोगों ने हिदी विभाग में आयोग द्वारा नवनियुक्त प्राध्यापिका डा. विजयलक्ष्मी वर्मा का स्वागत किया और उनके आगामी दायित्व के लिए शुभकामनाएं दी।

प्रोफेसर इशरत ने कहा कि वीर सावरकर ने राष्ट्रध्वज तिरंगे के बीच में धर्म चक्र लगाने का सुझाव सर्वप्रथम दिया था, जिसे राष्ट्रपति डा. राजेंद्र प्रसाद ने स्वीकार किया। उन्होंने ही सबसे पहले पूर्ण स्वतंत्रता को भारत के स्वतंत्रता आंदोलन का लक्ष्य घोषित किया था। वे पहले राजनीतिक बंदी थे, जिन्हें विदेशी (फ्रांस) भूमि पर बंदी बनाने के कारण हेग के अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में मुकदमा पहुंचा। डा. विवेक सिंह ने कहा कि अंडमान जेल में रहते हुए वीर सावरकर ने कोयले से कविताएं लिखीं और फिर उन्हें याद किया। इस प्रकार याद की हुई 10 हजार पंक्तियों को उन्होंने जेल से छूटने के बाद पुन: लिखा। इस अवसर पर उन्होंने उनकी पुस्तक द इंडियन वार आफ इंडिपेंडेंस-1857 का जिक्र किया, जिसने ब्रिटिश शासन को हिला डाला था। प्रो. दीनबंधु तिवारी ने कहा कि वे मजबूत इरादे वाले व्यक्ति थे जिसका उदाहरण यह है कि वीर सावरकर सर्वप्रथम भारतीय विद्यार्थी थे जिन्होंने इंग्लैंड के राजा के प्रति वफादारी की शपथ लेने से मना कर दिया जिसका परिणाम रहा कि उन्हें वकालत करने से रोक दिया गया। इस अवसर पर प्रो. राजीव, प्रो. अमित, डा. गुलजबी, डा. संजय, डा. शाकिब, रंजीत, राहुल आदि उपस्थित रहे।

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