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अब्बास अंसारी की बढ़ीं मुश्किलें, दर्ज हुआ गैंगस्टर का मुकदमा; कासगंज जेल में रहकर बना दिया था पूरा गैंग

Abbas Ansari अब्बास अंसारी की मुश्किलें लगातार बढ़ रहीं हैं। कोतवाली कर्वी पुलिस ने अब्बास सहित पांच लोगों पर गैंगस्टर एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज किया है। इससे पहले भी अब्बास पर गैंगस्टर का मुकदमा दर्ज हुआ था लेकिन हाईकोर्ट ने उसे खारिज कर दिया था। इस बार कोतवाल उपेंद्र प्रताप सिंह की तहरीर पर यह मुकदमा दर्ज किया गया है।

By hemraj kashyap Edited By: Abhishek Pandey Updated: Wed, 04 Sep 2024 08:04 AM (IST)
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अब्बास अंसारी की बढ़ीं मुश्किलें, दर्ज हुआ गैंगस्टर का मुकदमा

जागरण संवाददाता, चित्रकूट। पूर्वांचल के माफिया रहे मुख्तार अंसारी के विधायक बेटे अब्बास अंसारी की फिर मुश्किलें बढ़ गई हैं। कोतवाली कर्वी पुलिस ने अब्बास सहित पांच लोगों पर गैंगस्टर एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज किया है। हालांकि वर्ष 2023 में एक मुकदमा गैंगस्टर का दर्ज हुआ था। जिसे हाई कोर्ट ने खारिज कर दिया था। यह मुकदमा कोतवाल उपेंद्र प्रताप सिंह की तहरीर पर लिखा गया है।

तहरीर के मुताबिक जनपद गाजीपुर थाना मोहम्मदाबाद के यूसुफपुर निवासी अब्बास अंसारी गैंग लीडर है। जो पूर्व में जिला जेल रगौली में निरुद्ध था। वर्तमान में प्रशासनिक आधार पर जिला कारागार कासगंज में बंद है।

ये अब्बास गैंग के सक्रिया सदस्य

चित्रकूट जिला कारागार में रहने के दौरान अब्बास अंसारी गैंग के सक्रिय सदस्य कोतवाली कर्वी के शंकर बाजार निवासी नवनीत सचान पुत्र सत्येन्द्र सचान और पुरानी बाजार द्वारिकापुरी निवासी फराज खां पुत्र मुन्ने खां, गाजीपुर थान रेवतीपुर के कंशरायपट्टी निवासी नियाज अंसारी पुत्र मुन्ना अंसारी और जनपद वाराणसी थाना कैंट के अर्दली बाजार निवासी शहबाज आलम खां पुत्र शाहिद आलम के साथ लोगों को भय में डाल कर अवैध रूप से रंगदारी वसूली कर मारपीट करते है।

इससे क्षेत्र में भय व आतंक व्याप्त है। इस गैंग के लीडर व सक्रिय सदस्यों के विरुद्ध कोतवाली नगर कर्वी में जबरन वसूली करने, साजिश आदि धारा सहित भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, प्रिजनर्स एक्ट और 7 सीएलए एक्ट का अभियोग कोतवाली कर्वी का पंजीकृत किया गया था। विवेचना के बाद 10 अप्रैल 23 को आरोप पत्र व 22 मई 23 को चालान न्यायालय किया गया था।

प्रभारी निरीक्षक ने बताया कि जनपद स्तर पर यह गैंग पंजीकृत है। इससे थाना क्षेत्र में भय व आतंक व्याप्त है। पूर्व में दर्ज मुकदमे में चालान न्यायालय में भेजा जा चुका है, जो विचाराधीन है। इस बार प्रक्रिया पूरी करते हुए उत्तर प्रदेश गिरोह बंद एवं समाज विरोधी क्रियाकलाप निवारण अधिनियम 1986 की धारा 3 के तहत मुकदमा दर्ज कराया है।

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