तुलसी गुफा में 471 वर्ष से जल रही अखंड ज्योति, यहीं पर तुलसीदास को प्राप्त हुए थे भगवान राम के दर्शन
‘चित्रकूट के घाट पर भाई संतान की भीर तुलसीदास चंदन घिसे तिलक देत रघुवीर.. यह दोहा रामघाट स्थित तुलसी गुफा की ओर खींच लेता है। यहीं पर गोस्वामी तुलसीदास को भगवान राम के दिव्य स्वरूप के दर्शन संवत् 1607 में यानी कि आज से 471 वर्ष पहले हुए थे। गुफा में तुलसीदास की चरण पादुका विद्यमान है उनके हाथों की प्रज्वलित अखंड ज्योत जो 471 वर्ष से जल रही है।
By hemraj kashyapEdited By: Abhishek PandeyUpdated: Wed, 23 Aug 2023 05:33 PM (IST)
जागरण संवाददाता, चित्रकूट: ‘चित्रकूट के घाट पर भाई संतान की भीर तुलसीदास चंदन घिसे तिलक देत रघुवीर.. यह दोहा रामघाट स्थित तुलसी गुफा की ओर खींच लेता है। यहीं पर गोस्वामी तुलसीदास को भगवान राम के दिव्य स्वरूप के दर्शन संवत् 1607 में यानी कि आज से 471 वर्ष पहले हुए थे। गुफा में तुलसीदास की चरण पादुका विद्यमान है उनके हाथों की प्रज्वलित अखंड ज्योत जो 471 वर्ष से जल रही है।
भगवान राम के दर्शन के बाद मिली थी रामचरित मानस लिखने की प्रेरणा
तुलसी गुफा के महंत मोहित दास कहते हैं कि तुलसीदास अयोध्या, मथुरा व काशी में 12-12 वर्षों तक रहे लेकिन प्रभु श्री राम के दर्शन नहीं हुए। काशी में हनुमान जी ने बताया कि चित्रकूट में प्रभु के दर्शन होंगे। तब वह रामघाट किनारे एक छोटी सी मिट्टी की गुफा बनाकर तपस्या करने लगे।
यहां पर अखंड ज्योति जलाकर 21 वर्ष तक उन्होंने राम नाम का जाप किया और भगवान कामदगिरि की परिक्रमा की। मान्यता है कि इस दौरान भगवान के दर्शन उन्हें कई बार हुए लेकिन वह भगवान को पहचान नहीं पाए।
माघ की अमावस्या के दिन भगवान बालक के रूप में तुलसीदास के पास आए और चंदन लगाने के लिए मांगने लगे लेकिन उस समय भी वह भगवान को नहीं पहचान पाए तब हनुमान जी तोता रूप में प्रकट हो गए और उन्होंने दोहा सुनाया। तब उन्हें भगवान की दर्शन हुए। इसके बाद तुलसीदास को रामचरितमानस लिखने की प्रेरणा जागृत हुई।
पर्यटन विकास की राह देख रही, तुलसी गुफा
तुलसी गुफा में गोस्वामी तुलसीदास के हाथों से स्थापित तोतामुखी हनुमान जी विद्यमान है जिनके दर्शन के लिए भक्ति देश-विदेश से आते हैं। यह गुफा पहले मिट्टी की थी सन 1977 में बाढ़ के बाद इस गुफा का पक्का निर्माण किया गया।प्रभु श्रीराम की तपोभूमि का पर्यटन विकास योगी सरकार की प्राथमिकता में है लेकिन वह रामघाट जो आज मंदाकिनी आरती, लेजर शो और फुट ओवर ब्रिज के अलग पहचान रखता है। वहीं पर स्थित संत शिरोमणि गोस्वामी तुलसीदास की गुफा उपेक्षित है। इसकी टीस यहां के महंत मोहित दास में साफ देखी जा सकती है। वह कहते हैं कि जहां साक्षात भगवान राम ने तुलसीदास जी को दर्शन दिया।
राम नाम की महिमा रामचरित का जन्म हुआ लेकिन दुखद है कि ऐसे स्थान पर पर्यटन विभाग व जिला प्रशासन का ध्यान ही नहीं है। उन्होंने साधु संतों के साथ जिला प्रशासन के माध्यम से मुख्यमंत्री योगी को कई बार पत्र लिखा।
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।