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चित्रकूट में एक वर्ष पहले लगी महर्षि वाल्मीकि की मूर्ति में आईं दरारें, पर्यटन विभाग पर उठे कई सवाल

UP News चित्रकूट में महर्षि वाल्मीकि की अष्टधातु से निर्मित 20 लाख की मूर्ति में दरारें आ गई हैं। यह घटना पर्यटन विकास कार्यों की गुणवत्ता पर सवाल उठाती है। इससे पहले ग्लास स्काई वाक ब्रिज के रैंप की फर्श में भी दरारें आई थीं। पर्यटन विभाग ने लीपापोती शुरू कर दी है। यह मूर्ति करीब 12 फीट ऊंची है।

By Jagran News Edited By: Abhishek Pandey Updated: Sun, 29 Sep 2024 09:20 AM (IST)
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मूर्ति में दरारों की घिसाई करता कारीगर। स्थानीय
जागरण संवाददाता, चित्रकूट। प्रभु श्रीराम की तपोभूमि में पर्यटन विकास के चल रहे कार्यों की गुणवत्ता पर फिर सवाल उठा है। पिछले दिनों ग्लास स्काई वाक ब्रिज के रैंप की फर्श में दरारें आने का मामला सुर्खियों में रहा, वहीं अब वाल्मीकि आश्रम लालापुर में 20 लाख से महर्षि वाल्मीकि की अष्टधातु से निर्मित मूर्ति में पीछे की ओर दरारें आ गई हैं। इस बार भी पर्यटन विभाग ने लीपापोती शुरू कर दी है।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ वर्ष 2020 में वाल्मीकि जयंती पर चित्रकूट के लालापुर स्थित आश्रम आए थे। यहां हवन पूजन के साथ पर्यटन विकास के कार्यों की आधारशिला रखी थी। तब से आश्रम में काम चल रहा है। पहले चरण में सुंदरीकरण के कार्य हुए थे। दूसरे चरण में अक्टूबर 2023 में महर्षि वाल्मीकि की मूर्ति निर्माण के साथ गेट आदि के काम हुए। यहां करीब 18 करोड़ रुपये की लागत से पर्यटन सुविधा केंद्र और सांस्कृतिक केंद्र का निर्माण हो रहा है।

12 फीट ऊंची है मूर्ति

झांसी-मीरजापुर हाईवे किनारे स्थित आश्रम में करीब 12 फीट ऊंची महर्षि वाल्मीकि की मूर्ति लगाई गई है। इसका निर्माण ललित कला अकादमी लखनऊ ने मध्य प्रदेश इंदौर के शिल्पकार महेंद्र कोटवानी से कराया है। चार मार्च 2024 को वर्चुअल रूप से मूर्ति का अनावरण किया गया था। आश्रम के महंत भरतदास ने बताया कि मूर्ति के पीछे दो तीन जगह दरारें आ गई हैं।

क्षेत्रीय पर्यटन अधिकारी चित्रकूटधाम मंडल अनुपम श्रीवास्तव ने बताया कि ललित कला अकादमी लखनऊ को पत्र लिखा था कि मूर्ति की जांच करा ली जाए। अकादमी ने भी खनन विभाग को धातु के परीक्षण के लिए पत्र लिखा है, लेकिन अभी जांच नहीं हुई है। मूर्ति में उभरे हुए स्थानों पर अतिरिक्त मसाला लगाया गया था जिसमें दरारें आ गई हैं। कारीगर इन दरारों को ठीक कर रहे हैं।

शिल्पकार महेंद्र कोटवानी ने बताया कि मूर्ति अष्टधातु से बनी है। दरार आने का कारण काम की प्रक्रिया गलत होना है। पहले मूर्ति स्थापित की गई, इसके बाद स्टैंड व अन्य कार्य कराए गए। स्टैंड लगाने के दौरान ड्रिल आदि मशीनें चलने की वजह से दरारें आई हैं।

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