कचहरी गोलीकांड: जब बांदा से उखड़ गए थे कांग्रेस के पांव, 19 की मौत-50 को जिंदा नदी में फेंका; आखिर किसने चलवाई थी गोली?
1966 को बांदा कचहरी में कम्युनिस्टों के प्रदर्शन के दौरान तत्कालीन पुलिस अधीक्षक निजामुद्दीन आगा शाह खान व जिलाधिकारी टी ब्लाह ने गोली चलवा दी थी। कर्वी के वरिष्ठ अधिवक्ता आलोक द्विवेदी बताते हैं कि इस गोलीकांड में 19 लोगों की मौत हो गई जबकि 213 घायल हुए थे। पुलिस ने 524 लोगों को सरकारी खजाना लूटने के आरोप में जेल भेजा था।
हेमराज कश्यप, चित्रकूट। 12 जुलाई, 1966 को बांदा कचहरी में कम्युनिस्टों के प्रदर्शन के दौरान तत्कालीन पुलिस अधीक्षक निजामुद्दीन आगा शाह खान व जिलाधिकारी टी ब्लाह ने गोली चलवा दी थी। कर्वी के वरिष्ठ अधिवक्ता आलोक द्विवेदी बताते हैं कि इस गोलीकांड में 19 लोगों की मौत हो गई, जबकि 213 घायल हुए थे। पुलिस ने 524 लोगों को सरकारी खजाना लूटने के आरोप में जेल भेजा था। 50 से अधिक घायल लोगों को जिंदा ट्रकों में भरवाकर यमुना नदी में फेंक दिया था।
इस गोलीकांड की चर्चा पूरे देश में हुई थी। इस घटना ने बांदा-चित्रकूट की राजनीति बदलकर रख दी थी। देश की सबसे बड़ी पार्टी कांग्रेस के इस जमीं से पैर उखड़ गए थे। ‘धन और धरती बंटकर रहेगी’ के नारे से गरीब-गुरबा इतना प्रभावित हुए कि वर्ष 1967 में लोकसभा चुनाव में यहां वामपंथियों की इंट्री हो गई। बांदा लोकसभा क्षेत्र से जागेश्वर यादव भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के टिकट पर सांसद चुने गए और कांग्रेस तीसरे पायदान में खिसक गई थी।
सीपीआइ से जनसंघ ने छीनी सीट
वर्ष 1971 में भारतीय जनसंघ के रामरतन शर्मा सांसद चुने गए, तो आपातकाल के बाद हुए 1977 में हुए चुनाव में भारतीय लोकदल के अंबिका प्रसाद पांडेय के सिर जीत का सेहरा बंधा। वर्ष 1980 में कांग्रेस ने वापसी की और 1984 का चुनाव भी जीता, लेकिन 1989 में एक बार फिर लाल सलाम यानी सीपीआइ ने इस सीट में रामसजीवन सिंह को सांसद बनाकर कब्जा कर लिया।बांदा सीट में वर्ष 1991 और 1998 में भाजपा की जीत मिली। वर्ष 1996 और 99 में बीएसपी से रामसजीवन सिंह सांसद चुने गए। बसपा से वर्ष 2004 में सपा ने श्यामाचरण गुप्ता को सांसद बनाकर सीट छीन लिया। यह जीत का सिलसिला 2009 में भी कायम रहा। आरके सिंह पटेल सपा के टिकट से चुने गए। अब 2014 से यह सीट भाजपा के पास है। मोदी लहर में 2014 में भैरों प्रसाद मिश्र व 2019 में आरके सिंह पटेल सांसद चुने गए।