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UP News: चित्रकूट में बनकर तैयार होने वाला है राज्य का पहला ग्लास स्काई वॉक ब्रिज, धनुष-बाण जैसा है आकार

धनुष और बाण के आकार में बन रहे ब्रिज में खाई की ओर बाण की लंबाई 25 मीटर है जबकि दोनों पिलर के बीच धनुष की चौड़ाई 35 मीटर है। पुल की भार क्षमता प्रति वर्ग मीटर में 500 किलोग्राम होगी। विशेष होगा चित्रकूट ग्लास स्काई वाक ब्रिज तुलसी जल प्रपात पर पानी की तीन धाराएं चट्टानों से गिरती हैं।

By Jagran NewsEdited By: Mohammad SameerUpdated: Tue, 12 Sep 2023 06:35 AM (IST)
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चित्रकूट में बनकर तैयार होने वाला है राज्य का पहला ग्लास स्काई वॉक ब्रिज
हेमराज कश्यप, चित्रकूट: उत्तर प्रदेश का पहला ग्लास स्काई वाक ब्रिज चित्रकूट में तुलसी (शबरी) जल प्रपात पर बन रहा है। कोदंड वन स्थित इस प्रपात पर भगवान राम के धनुष और बाण के आकार का ब्रिज बन रहा है। इसे ईको टूरिज्म का मुख्य केंद्र बनाने के लिए यहां पर राक व हर्बल गार्डन से साथ रेस्टोरेंट भी बनाए जाएंगे।

वन विभाग और पर्यटन विभाग की ओर से 3.70 करोड़ रुपये से ग्लास स्काई वाक ब्रिज का निर्माण कराया जा रहा है। पुल निर्माण करा रही गाजीपुर की पवन सुत कंस्ट्रक्शन कंपनी के जनरल मैनेजर अमरेश सिंह के मुताबिक पुल का 70 प्रतिशत काम पूरा हो चुका है।

बनाए गए ढांचे पर पेंटिंग की जा रही है कांच का काम बाकी है। उनके मुताबिक सितंबर तक पुल बनकर तैयार हो जाएगा। मारकुंडी रेंज में जिस जल प्रपात पर ग्लास स्काई वाक ब्रिज बन रहा है उसे पहले शबरी जल प्रपात कहा जाता था। प्रभु श्रीराम की तपोभूमि के साथ यहीं पर राजापुर में गोस्वामी तुलसीदास का जन्म स्थान होने से पिछले साल प्रदेश सरकार ने इसका नाम बदलकर तुलसी जल प्रपात कर दिया था।

500 किग्रा प्रति वर्ग मीटर होगी भार क्षमता

कंपनी के जीएम बताते हैं कि धनुष और बाण के आकार में बन रहे ब्रिज में खाई की ओर बाण की लंबाई 25 मीटर है जबकि दोनों पिलर के बीच धनुष की चौड़ाई 35 मीटर है। पुल की भार क्षमता प्रति वर्ग मीटर में 500 किलोग्राम होगी।

विशेष होगा चित्रकूट ग्लास स्काई वाक ब्रिज तुलसी जल प्रपात पर पानी की तीन धाराएं चट्टानों से गिरती हैं। ये लगभग 40 फीट की ऊंचाई पर एक वाइड वाटर बेड यानी जल शैया में गिरकर जंगल में लुप्त हो जाता है। जैसे ही लोग स्काई वाक पुल पर चलेंगे तो चट्टानों पर पानी गिरने और नीचे जंगल का नजारा भी दिखेगा।

इसके अलावा परियोजना स्थल पर राक गार्डन, हर्बल गार्डन, कैक्टस गार्डन और ईको टूरिज्म एड आन के रूप में व्यू शेड्स का भी प्रस्ताव है।

तपोभूमि की छाप ब्रिज में आएगी नजर

ब्रिज की डिजाइन को लेकर अधिकारियों की सात सदस्यीय टीम ने बिहार के राजगीर में स्काई वाक ग्लास ब्रिज का दौरा किया था। वन विभाग के मारकुंडी वन क्षेत्राधिकारी रमेश यादव कहते हैं कि वहां से लौटने के बाद टीम ने निर्णय लिया कि पुल में तपोभूमि की छाप होनी चाहिए। इसलिए धनुष और बाण की ड्राइंग पास की गई है।

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